प्रधानमंत्री ने पूर्व भारतीय क्रिकेटर और कोच श्री अंशुमान गायकवाड़ के निधन पर जताया शोक

अग॰, 1 2024

प्रधानमंत्री का शोक संदेश

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूर्व भारतीय क्रिकेटर और कोच श्री अंशुमान गायकवाड़ के निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया है। अंशुमान गायकवाड़ न केवल एक प्रतिभाशाली खिलाड़ी थे, बल्कि एक उत्कृष्ट कोच के रूप में भी उनकी पहचान थी। प्रधानमंत्री मोदी ने अपने शोक संदेश में कहा, 'श्री अंशुमान गायकवाड़ जी को उनके क्रिकेट में योगदान के लिए याद किया जाएगा। वह एक प्रतिभाशाली खिलाड़ी और उत्कृष्ट कोच थे। उनके निधन से मैं बहुत पीड़ा में हूँ। उनके परिवार और प्रशंसकों के प्रति मेरी संवेदनाएँ। ओम शांति।'

अंशुमान गायकवाड़ की जीवनी

गायकवाड़ की उम्र 71 साल थी जब उन्होंने इस दुनिया को अलविदा कहा। उनका जन्म 23 सितंबर 1952 को हुआ था। अपने क्रिकेट करियर के दौरान, उन्होंने भारतीय क्रिकेट टीम का नेतृत्व किया और 40 टेस्ट मैचों और 15 एकदिवसीय मैचों में भारत का प्रतिनिधित्व किया। वह एक साहसी बल्लेबाज़ के रूप में जाने जाते थे, जो विरोधी गेंदबाजों के लिए एक चुनौती बनकर उभरते थे।

गायकवाड़ ने न केवल खिलाड़ी के रूप में, बल्कि कोच के रूप में भी भारतीय क्रिकेट में अपार योगदान दिया। उनकी कोचिंग में, भारतीय टीम ने 2000 में हुए आईसीसी चैंपियंस ट्रॉफी में उपविजेता स्थान प्राप्त किया। इस दौरान उनकी रणनीतियाँ और खेल पर उनकी पकड़ ने भारतीय टीम को कई महत्वपूर्ण मुकाबलों में सफलता दिलाई और युवाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत बने।

क्रिकेट में गायकवाड़ का योगदान

अंशुमान गायकवाड़ का क्रिकेट के प्रति समर्पण अनुकरणीय था। उन्होंने अपनी बल्लेबाजी कौशल और नेतृत्व गुणों से भारतीय क्रिकेट को नई ऊंचाइयों तक पहुँचाया। गायकवाड़ का करियर कई अहम मोड़ों से गुजरा। उनके शुरुआती दौर में, जब भारतीय टीम अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर संघर्षशील थी, उन्होंने साहसिक पारियों से टीम को मजबूती प्रदान की।

एक खिलाड़ी के रूप में

गायकवाड़ ने भारतीय क्रिकेट टीम के लिए 1974 से 1985 तक खेला। उन्होंने 40 टेस्ट मैचों में कुल 1,981 रन बनाए, जिसमें दो शतक और दस अर्धशतक शामिल थे। उनके खेल में धैर्य और तकनीकी निपुणता झलकती थी, जिसने उन्हें मजबूत स्थिति में खड़े रहने की क्षमता दी। 1977 में पाकिस्तान के ख़िलाफ़ एक टेस्ट मैच में उन्होंने 201* रनों की पारी खेली, जिसे आज भी क्रिकेट प्रेमियों द्वारा सहेजा जाता है।

उन्होंने 15 एकदिवसीय मैचों में भी हिस्सा लिया, लेकिन टेस्ट क्रिकेट में उनका प्रभाव अधिक था। मैदान पर उनकी शानदार अनुशासन और धैर्य ने उन्हें दर्शकों का प्रिय बना दिया।

गायकवाड़ की कोचिंग यात्रा

गायकवाड़ की कोचिंग यात्रा

खिलाड़ी के करियर के बाद गायकवाड़ ने कोचिंग में भी अपनी पहचान बनाई। उन्होंने भारतीय क्रिकेट टीम को 1997 से 2000 के दौरान कोचिंग दी। उनके कोच रहते हुए, भारतीय टीम ने कई महत्वपूर्ण मुकाबले जीते और 2000 में आईसीसी चैंपियंस ट्रॉफी में उपविजेता बनी।

कोच के रूप में, गायकवाड़ ने खिलाड़ियों को न केवल उनकी तकनीकी कौशल में सुधार करने में मदद की, बल्कि उन्हें मानसिक रूप से भी मजबूत बनाया। उनके नेतृत्व में, कई युवाओं ने अंतर्राष्ट्रीय ख्याति अर्जित की।

गायकवाड़ की विरासत

अंशुमान गायकवाड़ का क्रिकेट के प्रति योगदान आज भी याद किया जाता है। उनके निधन से क्रिकेट जगत में एक बड़ा शून्य उत्पन्न हुआ है। लेकिन उनके योगदान और उपलब्धियाँ हमेशा युवाओं को प्रेरित करती रहेंगी। उनकी साहसिक पारियां, कोचिंग के दौरान उनकी रणनीतियाँ और खिलाड़ी के रूप में उनका समर्पण आज भी सभी के दिलों में जिन्दा है।

गायकवाड़ का जीवन भारतीय क्रिकेट के इतिहास में एक मील का पत्थर है। उनके योगदान ने भारतीय क्रिकेट को एक नई दिशा दी और वे हमेशा क्रिकेट प्रेमियों के दिलों में रहेंगे।

प्रधानमंत्री की श्रद्धांजलि

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शोक संदेश में गायकवाड़ के योगदान की सराहना की गई है। उन्होंने कहा कि गायकवाड़ अपने खेल और कोचिंग के माध्यम से आगामी पीढ़ी के खिलाड़ियों के लिए प्रेरणा स्त्रोत बने रहेंगे। गायकवाड़ के निधन से क्रिकेट जगत को एक अपूरणीय क्षति हुई है।

20 टिप्पणि

  • Image placeholder

    yatharth chandrakar

    अगस्त 1, 2024 AT 21:20

    अंशुमान गायकवाड़ जी का योगदान भारतीय क्रिकेट में आज भी स्पष्ट है। उनके द्वारा स्थापित अनुशासन और तकनीकी बारीकी ने कई पीढ़ियों को प्रेरित किया।

  • Image placeholder

    Vrushali Prabhu

    अगस्त 1, 2024 AT 21:38

    वाह, उनका करियर देखके दिल खुश हो जाता है। ऐसा लगता है जैसे हर बॉल पर उनका हाथ था।

  • Image placeholder

    parlan caem

    अगस्त 1, 2024 AT 21:57

    उनकी कोचिंग में कभी‑कभी रणनीति में कमी रही।

  • Image placeholder

    Mayur Karanjkar

    अगस्त 1, 2024 AT 22:15

    गायकवाड़ की रणनीतिक निकृष्टता को हम 'डेटा‑ड्रिवन' दृष्टिकोण से देख सकते हैं, जहाँ उनका बॅटिंग फ़्रेमवर्क वैरिएबल था। वह प्री‑मैच एनालिटिक्स को अपनाने में अग्रणी नहीं थे।

  • Image placeholder

    Sara Khan M

    अगस्त 1, 2024 AT 22:34

    भाई, थोड़ा कम यादगार था 😐

  • Image placeholder

    shubham ingale

    अगस्त 1, 2024 AT 22:52

    सही कहा, लेकिन उनकी 201* की पारी अभी भी यादगार है! 🎉

  • Image placeholder

    Ajay Ram

    अगस्त 1, 2024 AT 23:11

    अंशुमान गायकवाड़ का क्रिकेट में योगदान केवल आंकड़ों से परे है।
    उनका खेल भावना, अनुशासन और टीम भावना का प्रतिनिधित्व करता है।
    वे एक ऐसे युग में आए जब भारतीय टीम को स्थिरता की आवश्यकता थी।
    उनके बैटिंग शैली में तकनीकी शुद्धता और मानसिक दृढ़ता दोनों थी।
    वह गेंदबाजों के खिलाफ अपने फ़ुटवर्क से कई बार मैचों का परिणाम बदल देते थे।
    कोच के रूप में उनका दृष्टिकोण युवा खिलाड़ियों के विकास पर केन्द्रित था।
    गायकवाड़ ने कई नवोदित खिलाड़ियों को अंतरराष्ट्रीय मंच पर प्रवेश दिलाया।
    उनका प्रशिक्षण दृष्टिकोण केवल शारीरिक फिटनेस नहीं, बल्कि खेल की बौद्धिक समझ भी प्रदान करता था।
    उन्होंने भारतीय क्रिकेट में एक नई कार्यसंस्कृति की नींव रखी, जहाँ डीटा‑एनालिटिक्स और मानसिक मजबूती को बराबर महत्व दिया गया।
    उनकी टीम को 2000 में आईसीसी चैम्पियन ट्रॉफी में उपविजेता बना कर उन्होंने भारतीय क्रिकेट की अंतरराष्ट्रीय प्रतिष्ठा बढ़ाई।
    वह हमेशा खिलाड़ियों के व्यक्तिगत विकास को प्राथमिकता देते थे, जिससे उनके बाद के कप्तान भी उन्हें सम्मान देते हैं।
    गायकवाड़ की नेतृत्व शैली में संवाद और स्पष्टता प्रमुख थी, जो टीम के भीतर विश्वास को मजबूती देती थी।
    उनका व्यक्तिगत आदर्श ‘खेल को सच्ची भावना से खेलो’ आज भी कई को प्रेरित करता है।
    भारतीय क्रिकेट के इतिहास में उनका नाम हमेशा सम्मानित रहेगा, चाहे वह उनकी बल्लेबाज़ी हो या कोचिंग।
    इस प्रकार, उनका legado आने वाली पीढ़ियों के लिए एक प्रकाशस्तंभ के समान रहेगा।

  • Image placeholder

    Dr Nimit Shah

    अगस्त 1, 2024 AT 23:29

    बिलकुल, उनका योगदान देश के लिए गर्व का कारण है। 🇮🇳

  • Image placeholder

    Ketan Shah

    अगस्त 1, 2024 AT 23:48

    गायकवाड़ की कोचिंग ने भारतीय टीम की मनोवैज्ञानिक तैयारी को भी नया आयाम दिया। यह पहल आज के खेल विज्ञान में काफी मान्य है।

  • Image placeholder

    Aryan Pawar

    अगस्त 2, 2024 AT 00:06

    है ना, उनका असर अभी भी दिखता है

  • Image placeholder

    Shritam Mohanty

    अगस्त 2, 2024 AT 00:25

    कभी‑कभी लगता है कि गायकवाड़ के मैचों में बाहरी दबाव था, लेकिन उन्होंने फिर भी टीम को संभाला। उनका असली खेल मैदान के बाहर भी चलता था।

  • Image placeholder

    Anuj Panchal

    अगस्त 2, 2024 AT 00:43

    उनके बैटिंग थ्रेशोल्ड को हम 'वॉल्यूम‑ट्रेडिंग' मॉडल से विश्लेषित कर सकते हैं, जैसा कि हालिया रिसर्च में दर्शाया गया है।

  • Image placeholder

    Prakashchander Bhatt

    अगस्त 2, 2024 AT 01:02

    गायकवाड़ की यादें हमें सकारात्मक ऊर्जा देती हैं, वैसे ही उनका कोचिंग अंदाज़।

  • Image placeholder

    Mala Strahle

    अगस्त 2, 2024 AT 01:20

    सच में, उनके साथ बिताए समय को याद करना हमें जीवन के मूल्य को समझाता है। उन्होंने न केवल तकनीकी कौशल सिखाया, बल्कि खेल में नैतिक मूल्य भी स्थापित किए। ऐसी सीखें आज के युवा खिलाड़ियों के लिए अनमोल हैं। उनका जीवन कथा एक प्रेरणा है, जो हमें निरंतर विकसित होने के लिए उत्साहित करती है।

  • Image placeholder

    shubham garg

    अगस्त 2, 2024 AT 01:39

    गायकवाड़ का ख़्याल हमेशा दिल में रहेगा। टीम को उनका सिखाया मार्गदर्शन याद रहेगा।

  • Image placeholder

    LEO MOTTA ESCRITOR

    अगस्त 2, 2024 AT 01:57

    इनकी कहानी हमें बताती है कि कठिन समय में भी आशा नहीं छोड़नी चाहिए। उनका सफ़र प्रेरणा है।

  • Image placeholder

    Sonia Singh

    अगस्त 2, 2024 AT 02:16

    बहुत अच्छी पोस्ट, धन्यवाद।

  • Image placeholder

    Ashutosh Bilange

    अगस्त 2, 2024 AT 02:34

    यार ये तो सचमुच का दन्तकथा है! गायकवाड़ के बिना क्रिकेट कितनी बोरिंग हो जाती, बर्दाश्त नहीं।

  • Image placeholder

    Kaushal Skngh

    अगस्त 2, 2024 AT 02:53

    हँसते-हँसते, अब थोड़ा कम रोमांच चाहते हैं।

  • Image placeholder

    Harshit Gupta

    अगस्त 2, 2024 AT 03:11

    गायकवाड़ जैसे दिग्गज ने भारतीय क्रिकेट को विश्व मंच पर एक नई पहचान दिलाई। उनका योगदान राष्ट्रीय अभिमान का स्रोत है, और हमें इस विरासत को आगे बढ़ाना चाहिए। इस सम्मान को दिल से महसूस कर, हम सभी को आगे के लिए प्रेरित करना चाहिए।

एक टिप्पणी लिखें