प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूर्व भारतीय क्रिकेटर और कोच श्री अंशुमान गायकवाड़ के निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया है। अंशुमान गायकवाड़ न केवल एक प्रतिभाशाली खिलाड़ी थे, बल्कि एक उत्कृष्ट कोच के रूप में भी उनकी पहचान थी। प्रधानमंत्री मोदी ने अपने शोक संदेश में कहा, 'श्री अंशुमान गायकवाड़ जी को उनके क्रिकेट में योगदान के लिए याद किया जाएगा। वह एक प्रतिभाशाली खिलाड़ी और उत्कृष्ट कोच थे। उनके निधन से मैं बहुत पीड़ा में हूँ। उनके परिवार और प्रशंसकों के प्रति मेरी संवेदनाएँ। ओम शांति।'
गायकवाड़ की उम्र 71 साल थी जब उन्होंने इस दुनिया को अलविदा कहा। उनका जन्म 23 सितंबर 1952 को हुआ था। अपने क्रिकेट करियर के दौरान, उन्होंने भारतीय क्रिकेट टीम का नेतृत्व किया और 40 टेस्ट मैचों और 15 एकदिवसीय मैचों में भारत का प्रतिनिधित्व किया। वह एक साहसी बल्लेबाज़ के रूप में जाने जाते थे, जो विरोधी गेंदबाजों के लिए एक चुनौती बनकर उभरते थे।
गायकवाड़ ने न केवल खिलाड़ी के रूप में, बल्कि कोच के रूप में भी भारतीय क्रिकेट में अपार योगदान दिया। उनकी कोचिंग में, भारतीय टीम ने 2000 में हुए आईसीसी चैंपियंस ट्रॉफी में उपविजेता स्थान प्राप्त किया। इस दौरान उनकी रणनीतियाँ और खेल पर उनकी पकड़ ने भारतीय टीम को कई महत्वपूर्ण मुकाबलों में सफलता दिलाई और युवाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत बने।
अंशुमान गायकवाड़ का क्रिकेट के प्रति समर्पण अनुकरणीय था। उन्होंने अपनी बल्लेबाजी कौशल और नेतृत्व गुणों से भारतीय क्रिकेट को नई ऊंचाइयों तक पहुँचाया। गायकवाड़ का करियर कई अहम मोड़ों से गुजरा। उनके शुरुआती दौर में, जब भारतीय टीम अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर संघर्षशील थी, उन्होंने साहसिक पारियों से टीम को मजबूती प्रदान की।
गायकवाड़ ने भारतीय क्रिकेट टीम के लिए 1974 से 1985 तक खेला। उन्होंने 40 टेस्ट मैचों में कुल 1,981 रन बनाए, जिसमें दो शतक और दस अर्धशतक शामिल थे। उनके खेल में धैर्य और तकनीकी निपुणता झलकती थी, जिसने उन्हें मजबूत स्थिति में खड़े रहने की क्षमता दी। 1977 में पाकिस्तान के ख़िलाफ़ एक टेस्ट मैच में उन्होंने 201* रनों की पारी खेली, जिसे आज भी क्रिकेट प्रेमियों द्वारा सहेजा जाता है।
उन्होंने 15 एकदिवसीय मैचों में भी हिस्सा लिया, लेकिन टेस्ट क्रिकेट में उनका प्रभाव अधिक था। मैदान पर उनकी शानदार अनुशासन और धैर्य ने उन्हें दर्शकों का प्रिय बना दिया।
खिलाड़ी के करियर के बाद गायकवाड़ ने कोचिंग में भी अपनी पहचान बनाई। उन्होंने भारतीय क्रिकेट टीम को 1997 से 2000 के दौरान कोचिंग दी। उनके कोच रहते हुए, भारतीय टीम ने कई महत्वपूर्ण मुकाबले जीते और 2000 में आईसीसी चैंपियंस ट्रॉफी में उपविजेता बनी।
कोच के रूप में, गायकवाड़ ने खिलाड़ियों को न केवल उनकी तकनीकी कौशल में सुधार करने में मदद की, बल्कि उन्हें मानसिक रूप से भी मजबूत बनाया। उनके नेतृत्व में, कई युवाओं ने अंतर्राष्ट्रीय ख्याति अर्जित की।
अंशुमान गायकवाड़ का क्रिकेट के प्रति योगदान आज भी याद किया जाता है। उनके निधन से क्रिकेट जगत में एक बड़ा शून्य उत्पन्न हुआ है। लेकिन उनके योगदान और उपलब्धियाँ हमेशा युवाओं को प्रेरित करती रहेंगी। उनकी साहसिक पारियां, कोचिंग के दौरान उनकी रणनीतियाँ और खिलाड़ी के रूप में उनका समर्पण आज भी सभी के दिलों में जिन्दा है।
गायकवाड़ का जीवन भारतीय क्रिकेट के इतिहास में एक मील का पत्थर है। उनके योगदान ने भारतीय क्रिकेट को एक नई दिशा दी और वे हमेशा क्रिकेट प्रेमियों के दिलों में रहेंगे।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शोक संदेश में गायकवाड़ के योगदान की सराहना की गई है। उन्होंने कहा कि गायकवाड़ अपने खेल और कोचिंग के माध्यम से आगामी पीढ़ी के खिलाड़ियों के लिए प्रेरणा स्त्रोत बने रहेंगे। गायकवाड़ के निधन से क्रिकेट जगत को एक अपूरणीय क्षति हुई है।