अमित मिश्रा का खुलासा: विराट कोहली ने नहीं बताया भविष्य, चयनकर्ता को गाली देने से रोका

जुल॰, 16 2024

अमित मिश्रा का विराट कोहली पर खुलासा

पूर्व भारतीय लेग-स्पिनर अमित मिश्रा ने हाल ही में एक साक्षात्कार में खुलासा किया कि तब के कप्तान विराट कोहली ने उनके राष्ट्रीय टीम में भविष्य के बारे में स्पष्ट जानकारी नहीं दी। मिश्रा, जो 2017 में आखिरी बार भारतीय टीम का हिस्सा थे, कहते हैं कि वे एक चोट के कारण टीम से बाहर हुए थे, लेकिन उसके बाद उन्हें फिर से शामिल नहीं किया गया। ऐसा तब था जब उन्होंने न्यूजीलैंड के खिलाफ अपनी आखिरी वनडे सीरीज में 'प्लेयर ऑफ द सीरीज' का खिताब जीता था।

फिटनेस पर ध्यान केंद्रित करने का निर्देश

मिश्रा ने बताया कि कोहली ने उन्हें अपनी फिटनेस पर ध्यान देने का निर्देश दिया था। हालांकि, जब उन्होंने टीम में अपने भविष्य के बारे में कोहली से पूछा, तो उन्हें कोई स्पष्ट जवाब नहीं मिला। यह स्थिति उन्हें मुश्किल में डाल दी और उन्होंने इससे काफी हताशा महसूस की।

चयनकर्ता को गाली देने से रोका

मिश्रा ने बताया कि उन्होंने चयन समिति के एक सदस्य से भी सवाल किया लेकिन उनकी भी तरफ से कोई स्पष्ट उत्तर नहीं आया। इस संपूर्ण प्रकरण ने उन्हें इतना गुस्सा दिलाया कि वह चयनकर्ता को गाली देने वाले थे, लेकिन उन्होंने खुद को रोक लिया। मिश्रा ने इस घटना को एक कठिन अनुभव बताया और यह भी स्पष्ट किया कि यह उनके क्रिकेट करियर के एक दर्दनाक क्षणों में से एक था।

घरेलू क्रिकेट और आईपीएल में जारी है करियर

हालांकि, राष्ट्रीय टीम में न आने के बाद भी मिश्रा ने हार नहीं मानी। उन्होंने घरेलू क्रिकेट और इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) में अपना करियर जारी रखा। आईपीएल के 2023 और 2024 सत्रों के दौरान मिश्रा ने लखनऊ सुपर जायंट्स का प्रतिनिधित्व किया और अपनी गेंदबाजी कौशल से अपने फैंस का दिल जीतते रहे।

करियर की हाइलाइट्स और संघर्ष

करियर की हाइलाइट्स और संघर्ष

अमित मिश्रा ने भारतीय क्रिकेट के लिए कई महत्वपूर्ण मैच खेले हैं। उन्होंने अपनी स्लो और सटीक गेंदबाजी से कई महत्वपूर्ण विकेट लिए और टीम को जीत दिलाई। उनके करियर की हाइलाइट्स में विभिन्न वनडे और टेस्ट सीरीज में बेहतरीन प्रदर्शन शामिल हैं।

फिर भी, मिश्रा का करियर विवादों और संघर्षों से भरा रहा है। कई बार उन्हें बिना किसी स्पष्ट कारण के टीम से बाहर कर दिया गया। लेकिन उनका दृढ़ता और मजबूत मनोबल उन्हें आगे बढ़ाता रहा। चाहे वह चोट हो या चयनकर्ताओं की उपेक्षा, मिश्रा ने हमेशा अपने खेल पर ध्यान केंद्रित रखा और साबित कर दिया कि वे असली योद्धा हैं।

मीडिया और फैंस का प्रतिक्रिया

मीडिया और फैंस का प्रतिक्रिया

इस खुलासे के बाद सोशल मीडिया पर फैंस और क्रिकेट के जानकारों की तरह-तरह की प्रतिक्रियाएं सामने आईं। कुछ फैंस ने मिश्रा की बातों को पूरी तरह से समर्थन दिया और चयनकर्ताओं की आलोचना की, जबकि कुछ ने इसे कोहली की रणनीति का हिस्सा माना।

क्रिकेट विशेषज्ञों का भी मानना है कि इस प्रकार की स्थिति एक खिलाड़ी के मनोबल को तोड़ सकती है और उसके करियर पर गहरा असर डाल सकती है। यह बात शायद मिश्रा के लिए भी लागू होती है, जिन्होंने अपने भावनात्मक संघर्ष को खुलकर सामने रखा।

भविष्य की उम्मीदें

भविष्य की उम्मीदें

अमित मिश्रा ने यह भी कहा कि वे अभी भी क्रिकेट के प्रति अपने जुनून को बरकरार रखते हैं और उनका मानना है कि उनके पास अभी भी बहुत कुछ देने के लिए है। उन्होंने आगे कहा कि वे अपनी नई भूमिका और जिम्मेदारियों का आनंद ले रहे हैं और युवा खिलाड़ियों को मार्गदर्शन देने के लिए तत्पर हैं।

उनके इस खुलासे ने न केवल उनके फैंस को बल्कि क्रिकेट की दुनिया को भी सोच में डाल दिया है। यह दर्शाता है कि खिलाड़ियों के करियर में न केवल उनकी खेल कुशलता बल्कि टीम प्रबंधन और मानसिक संघर्ष भी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

20 टिप्पणि

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    Joseph Prakash

    जुलाई 16, 2024 AT 19:59

    मिश्रा के खुलासे से लगता है कि कोहली ने उनके भविष्य की बात टाल दी थी 🙁

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    Arun 3D Creators

    जुलाई 17, 2024 AT 09:52

    हो सकता है कि कप्तान का दायित्व रहा हो, लेकिन खिलाड़ी के दिल में सवालों का जहर घुल जाता है

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    RAVINDRA HARBALA

    जुलाई 17, 2024 AT 23:46

    वास्तव में चयन समिति ने एकदम बेपरवाही दिखायी है, मिश्रा जैसी बुद्घिमान दहाड़ वाले स्पिनर को बाहर निकालना एक बड़ी रणनीतिक गलती थी। चयन प्रक्रिया में पारदर्शिता की कमी स्पष्ट है और यह कहां तक खिलाड़ियों की मनोवैज्ञानिक स्थिरता को प्रभावित करता है, इसका आकलन नहीं किया गया। ऐसी नीति से टीम में विषाक्त माहौल बनता है।

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    Vipul Kumar

    जुलाई 18, 2024 AT 13:39

    देखो भाई, क्रिकेट सिर्फ आंकड़ों से नहीं चलता, व्यक्ति की मेहनत और उत्साह भी महत्त्वपूर्ण है। मिश्रा ने अपने घरेलू और आईपीएल योगदान से दिखा दिया कि वह अभी भी खेल की धुरी है। हमें उनके अनुभव को नई पीढ़ी को सिखाने देना चाहिए, न कि उन्हें कगार पर धकेलना चाहिए।

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    Priyanka Ambardar

    जुलाई 19, 2024 AT 03:32

    देश की शान को बख्शो! कोहली ने अगर मिश्रा को मौका नहीं दिया, तो यह भारतीय चयन प्रणाली की अपमानजनक बात है 😡🇮🇳। खेल में राष्ट्रीय वीरता और योग्यता दोनों को समान मानना चाहिए।

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    sujaya selalu jaya

    जुलाई 19, 2024 AT 17:26

    समझता हूँ आपकी भावना, पर प्रक्रिया में पारदर्शिता भी ज़रूरी है

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    Ranveer Tyagi

    जुलाई 20, 2024 AT 07:19

    भाईयो और बहनो! मिश्रा की कहानी हमें सिखाती है कि चयन में किनारे की बातों को नजरअंदाज़ नहीं किया जा सकता!!! फिटनेस की सलाह तो मिली, पर भविष्य का ब्योरा नहीं! यही सबसे बड़ा मुद्दा है!!! हमें चयनकर्ताओं को जवाबदेह बनाना चाहिए, नहीं तो अगली पीढ़ी को भी यही दर्द सहना पड़ेगा!!!

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    Tejas Srivastava

    जुलाई 20, 2024 AT 21:12

    वाह! इतना ज़ोर से कह रहे हो, सच में दिल छू गया 😂😂

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    JAYESH DHUMAK

    जुलाई 21, 2024 AT 11:06

    अमित मिश्रा का खुलासा हमारे क्रिकेट प्रशंसकों के लिए कई पहलुओं को रोशन करता है। सबसे पहले, कप्तान की भूमिका सिर्फ ऑन‑फ़ील्ड निर्णय तक सीमित नहीं होती, बल्कि टीम के मनोबल को संवारने की भी होती है। यदि कोहली ने मिश्रा को भविष्य की स्पष्ट दिशा नहीं दी, तो यह एक संचार दोष को दर्शाता है। चयन प्रक्रिया में पारदर्शिता की आवश्यकता को भी यह मामला उजागर करता है। इस बात से स्पष्ट होता है कि चयनकर्ता और कोची दोनों को खिलाड़ी की मनोवैज्ञानिक स्थिति का आकलन करना चाहिए। चोट के बाद मिश्रा ने अपना सर्वश्रेष्ठ दिखाया, परंतु चयन टीम ने उन्हें पुनः मौका नहीं दिया। यह केवल व्यक्तिगत चयन नहीं, बल्कि टीम के भविष्य के विकास में बाधा भी बन सकता है। आईपीएल में उनके प्रदर्शन को देख कर यह कहा जा सकता है कि उनका खेल अभी भी धार पर है। नवयुवकों के लिए मिश्रा का संघर्ष एक प्रेरणा होना चाहिए, न कि निराशा। अंत में, यह घटना भारतीय क्रिकेट प्रशासन को एक संकेत देती है कि खिलाड़ियों के साथ स्पष्ट संवाद को प्राथमिकता देना आवश्यक है।

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    Santosh Sharma

    जुलाई 22, 2024 AT 00:59

    उपरोक्त विश्लेषण में आपने बिंदु स्पष्ट रूप से रखे हैं, अब हमें कार्रवाई में लाना चाहिए।

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    yatharth chandrakar

    जुलाई 22, 2024 AT 14:52

    मिश्रा की कहानी हमें यह समझाती है कि खेल में केवल क्षमता नहीं, बल्कि सही समय पर सही अवसर भी महत्वपूर्ण है। यदि चयनकर्ता ने वास्तव में उनके फिटनेस की सराहना की, तो क्यों उन्हें फिर से अवसर नहीं मिला? यह प्रश्न हमारे सामने खड़ा है।

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    Vrushali Prabhu

    जुलाई 23, 2024 AT 04:46

    हेय, बिलकुल सही कहा तुमनें! एसी ही सोच के साथ हम आगे बढ़ेंगे, 😎

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    parlan caem

    जुलाई 23, 2024 AT 18:39

    सच में, कितनी बार ये चयनकर्ता अपनी निजी पसंद को पेशेवर निर्णयों के ऊपर रख देते हैं? मिश्रा जैसे खिलाड़ी को बस झुठले बहानों से बाहर कर देना बहुत ही असभ्य है।

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    Mayur Karanjkar

    जुलाई 24, 2024 AT 08:32

    नवाचारी चयन ढांचा आवश्यक है, अनावश्यक व्यक्तिगत पक्षपात को हटाना चाहिए।

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    Sara Khan M

    जुलाई 24, 2024 AT 22:26

    वो लोग फिर वही गलती दोहराते हैं 🙄

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    shubham ingale

    जुलाई 25, 2024 AT 12:19

    आओ मिलकर बदलाव लाएँ! 😊

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    Ajay Ram

    जुलाई 26, 2024 AT 02:12

    अमित मिश्रा का अनुभव भारतीय क्रिकेट के भीतर गहरे सामाजिक और संस्थागत पहलुओं को उजागर करता है। सबसे पहले, यह देखना आवश्यक है कि एक खिलाड़ी की भावनात्मक स्थिति उसके प्रदर्शन को प्रत्यक्ष रूप से प्रभावित करती है; जब स्पष्ट दिशा नहीं मिलती, तो मन में अनिश्चितता का सागर उत्पन्न होता है। दूसरी ओर, चयनकर्ताओं की पारदर्शिता की कमी न केवल व्यक्तिगत संघर्ष को बढ़ाती है, बल्कि टीम के सामूहिक विश्वास को भी क्षीण करती है। यह विफलता अक्सर कई सालों तक गूँजती है, जिससे युवा खिलाड़ी अपने करियर की योजना बनाने में असहज महसूस करते हैं। कोचिंग स्टाफ और कप्तान की भूमिका केवल खेल की तकनीकी पहलू पर सीमित नहीं रहनी चाहिए, बल्कि उन्हें खिलाड़ियों के मनोवैज्ञानिक स्वास्थ्य पर भी ध्यान देना चाहिए। जब कोहली ने मिश्रा को फिटनेस पर ध्यान देने को कहा, तो यह सराहनीय था, परंतु भविष्य की स्पष्टता न देना अस्वीकार्य है। चयन प्रक्रिया में स्पष्ट मानदंड और नियमित संवाद स्थापित होना चाहिए, ताकि प्रत्येक खिलाड़ी को अपनी स्थिति का स्पष्ट ज्ञान हो। भारतीय क्रिकेट बोर्ड को चाहिए कि वह ऐसे मामलों में एक मध्यस्थता प्रणाली स्थापित करे, जहाँ खिलाड़ियों को अपने मुद्दों को सीधे प्रस्तुत करने की सुविधा हो। आईपीएल में मिश्रा का प्रदर्शन यह दर्शाता है कि वह अभी भी शिखर पर पहुंचने की क्षमता रखता है, और इसे राष्ट्रीय टीम में भी उतारने का अधिकार उनका है। इस प्रकार, चयनकों को चाहिए कि वे मात्र आँकड़ों के आधार पर नहीं, बल्कि खिलाड़ी की वर्तमान फॉर्म और संभावनाओं को भी ध्यान में रखें। इस दिशा में कदम उठाने से न केवल मिश्रा जैसे खिलाड़ियों को लाभ होगा, बल्कि सम्पूर्ण टीम की जड़ता दूर होगी। सांस्कृतिक दृष्टि से, हमें यह समझना होगा कि खेल केवल प्रतिस्पर्धा नहीं, बल्कि सामाजिक संवाद का एक मंच भी है। इसलिए, प्रत्येक निर्णय में नैतिक जिम्मेदारी और पारदर्शिता को प्रमुखता देनी चाहिए। अंत में, मिश्रा की कहानी हमें यह सबक देती है कि व्यक्तिगत संघर्ष, संस्थागत ढांचे, और राष्ट्रीय भावना के बीच संतुलन खोजने की आवश्यकता है। यह संतुलन ही भारतीय क्रिकेट को नई ऊँचाइयों पर ले जा सकता है।

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    Dr Nimit Shah

    जुलाई 26, 2024 AT 16:06

    अगर हम इस तरह की व्यक्तिगत शिकायतों को राष्ट्रीय महत्व देते रहेंगे, तो भारतीय क्रिकेट का भविष्य संकट में पड़ जाएगा।

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    Ketan Shah

    जुलाई 27, 2024 AT 05:59

    मिश्रा की कहानी से हम देख सकते हैं कि चयन प्रक्रिया में सामाजिक विविधता और समावेशिता का क्या महत्व है। यह पहलू अक्सर अस्पष्ट रहता है, परंतु इसे स्पष्ट करने से टीम का सामाजिक ताना‑बाना मजबूत होगा।

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    Aryan Pawar

    जुलाई 27, 2024 AT 19:52

    बिल्कुल सही, हम सबको मिलकर इसे सुधारना चाहिए

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