डोनाल्ड ट्रंप के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार बने इंडिया समर्थक माइक वॉल्ट्ज

नव॰, 12 2024

राष्ट्रीय सुरक्षा में नयी पहल

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपनी प्रशासनिक टीम में एक महत्वपूर्ण बदलाव करते हुए फ्लोरिडा के रिप्रेजेंटेटिव माइक वॉल्ट्ज को अपना राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार नियुक्त किया है। माइक वॉल्ट्ज ने सेना में ग्रीन बेरेट के रूप में अपनी सेवाएं दी हैं और उनके नाम के साथ लंबे समय से ट्रंप के करीब रहने का टैग जुड़ा है। यह नियुक्ति अमेरिकी रणनीतिक उपायों और नीतियों को एक नया दृष्टिकोण प्रदान करने की दिशा में महत्वपूर्ण मानी जा रही है।

चीन के प्रति कठोर रुख

चीन के लिए माइक वॉल्ट्ज के कठोर विचार स्वाभाविक हैं, क्योंकि उन्होंने लगातार कांग्रेस में चीन के खिलाफ कठोर कदम उठाने का समर्थन किया है। वे अमेरिकी तकनीकी संस्थानों में चीन के जासूसी खतरों पर सावधानी बरतने की बात करते रहे हैं और चीनी निर्भरता को कम करने के लिए कानून प्रस्तावित किए हैं। उनकी यह भूमिका उन्हें वर्तमान अंतर्राष्ट्रीय परिस्थितियों में एक सशक्त नीति निर्माता के रूप में प्रस्तुत करती है।

डिफेंस और मिलिटरी

माइक वॉल्ट्ज ने डिफेंस का एक अलग दृष्टिकोण प्रस्तुत किया है। उन्होंने पेंटागन में नयापन लाने की बात कही है, जहाँ नौकरशाही के कारण नई तकनीकों को जगह मिलने में बाधाएं आती हैं। वे सिलिकॉन वैली और अन्य तकनीकी केंद्रों की मदद से रक्षा और सुरक्षा मुद्दों को सुलझाने की बात करते हैं। उनका मानना है कि अमेरिकी सेना को इंडो-पेसिफिक क्षेत्र में संभावित संघर्ष के लिए तैयार होना चाहिए और यही कारण है कि उन्होंने ताइवान को शीघ्रता से साजो-सामान उपलब्ध कराने की बात कही है।

अफगानिस्तान से सेना हटाना

अफगानिस्तान से अमेरिकी सेना के वापसी के संबंध में बाइडेन प्रशासन की आलोचना करने वाले माइक वॉल्ट्ज को अनेक चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा। वे ट्रंप की विदेश नीति को सही मानते हैं और इस दिशा में नई योजनाओं का क्रियान्वयन शुरू करेंगे। उनकी नियुक्ति के साथ, इंडो-पेसिफिक क्षेत्र में गठबंधन को मजबूत करने और उभरते खतरों को रोकने की कोशिशें बढ़ेंगी।

माइक वॉल्ट्ज की गहन समझ और व्यापक अनुभव उन्हें नई जिम्मेदारी के लिए एक उपयुक्त पात्र बनाते हैं। आतंरिक और बाहरी सुरक्षा के क्षेत्र में उनकी नीतियाँ और दृष्टिकोण अमेरिका को अंतर्राष्ट्रीय मंच पर नई दिशा देने में सहायक सिद्ध होंगे।

9 टिप्पणि

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    Aryan Pawar

    नवंबर 12, 2024 AT 12:47

    वाह! ट्रंप ने वॉल्ट्ज को राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार बनाया है यह बड़ा इफ़ेक्ट देगा

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    Shritam Mohanty

    नवंबर 12, 2024 AT 13:20

    देखो, वॉल्ट्ज की यह नियुक्ति तो गुप्त योजना का हिस्सा है वो चीन के स्पाइयों को अंदर घुसाने की कोशिश कर रहा है ये सब हमारे दिमाग से बाहर है

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    Anuj Panchal

    नवंबर 12, 2024 AT 13:53

    वॉल्ट्ज का प्रोफ़ाइल काफी इम्प्रेसिव है, विशेषकर उसका "ग्लोबल डिफेंस फ्रेमवर्क" अनुभव और "इंडो‑पैसिफिक डिटरेंस" पर फोकस। इसमें टेक्निकल एन्हांसमेंट और सायबर ऑपरेशन्स का इंटेग्रेशन मुख्य भूमिका निभाएगा। साथ ही, पेंटागन में ब्यूरोक्रेसी को बाईपास करके सॉलिड सॉल्यूशन्स इम्प्लीमेंट करना उनके एजेंडा का हिस्सा है। यह सभी बातों को देखते हुए हमें एक समन्वित स्ट्रैटेजिक एप्रोच की जरूरत है।

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    Prakashchander Bhatt

    नवंबर 12, 2024 AT 14:27

    सही कहा, ऐसे कदम से न सिर्फ अमेरिकी सेना को बल मिलेगा बल्कि हमारे क्षेत्र में स्थिरता भी आएगी। उम्मीद है कि इस दिशा में और भी सकारात्मक बदलाव होंगे।

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    Mala Strahle

    नवंबर 12, 2024 AT 15:00

    वॉल्ट्ज का इंट्रोडक्शन वास्तव में कई स्तरों पर विचार योग्य है।
    पहला पहलू यह है कि उनका सैन्य पृष्ठभूमि और राजनीतिक कनेक्शन दोनों ही मजबूत हैं।
    दूसरा, उनका "एंड्रुजिंग टेक्नोलॉजी इंटीग्रेशन" का विज़न अमेरिकी डिफेंस को आधुनिक बनाएगा।
    तीसरे, चीन के प्रति उनका कठोर रुख एशिया‑पैसिफिक में शक्ति संतुलन को पुनः स्थापित कर सकता है।
    चौथा, वह इंडो‑पेसिफिक में सहयोगियों के साथ मिलकर जॉइंट एक्सरसाइज़ को बढ़ावा देंगे।
    पाँचवाँ, वॉल्ट्ज ने टेररिज़्म के खिलाफ "होलिस्टिक अप्रोच" अपनाने की बात की है, जो काफी प्रैक्टिकल लगती है।
    छठा, उनका क्वालिफिकेशन यह दर्शाता है कि वे सिर्फ सैद्धांतिक नहीं बल्कि व्यावहारिक रणनीति में भी निपुण हैं।
    सातवाँ, वे सैन्य आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को कॉम्बैट सिस्टम में इंटीग्रेट करने की दिशा में काम करेंगे।
    आठवाँ, वॉल्ट्ज ने कहा है कि "टेक्निकल इनोवेशन" बिना ब्यूरोक्रेटिक अड़चन के फास्ट ट्रैक पर होना चाहिए।
    नौवाँ, यह दृष्टिकोण पेंटागन की मौजूदा ढाँचे को चुनौती देगा, लेकिन संभावित लाभ बड़े हैं।
    दसवाँ, यदि वे यह कार्य सफलतापूर्वक लागू कर पाते हैं तो अमेरिकी सैन्य शक्ति का वैश्विक प्रभुत्व फिर से स्थापित हो सकता है।
    ग्यारहवाँ, इस पॉलिसी के पीछे का मुख्य तर्क यह है कि हमें चीन के साइबर थ्रेट से निपटना होगा।
    बारहवाँ, वॉल्ट्ज ने स्पष्ट किया है कि रक्षा बजट को "डेटा‑पावर्ड" निर्णयों के आधार पर पुनः वितरण किया जाएगा।
    तेरहवाँ, इस प्रक्रिया में छोटे-छोटे कॉन्ट्रैक्टर्स को भी अवसर मिलेंगे, जिससे इकोनॉमी को बूस्ट मिलेगा।
    चौदहवाँ, यह रणनीति सामाजिक और आर्थिक दोनों पर सकारात्मक असर डालेगी, यदि सही ढंग से लागू की जाए।
    पन्द्रहवाँ, अंत में, जनता को यह समझना चाहिए कि राष्ट्रीय सुरक्षा सिर्फ सैनिकों के हाथों में नहीं बल्कि तकनीकी नवाचारों में भी निहित है।
    सोलहवाँ, इसलिए हम सभी को इस बदलाव को खुले दिमाग से देखना चाहिए और समर्थन देना चाहिए।

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    shubham garg

    नवंबर 12, 2024 AT 15:33

    बिलकुल सही बात!

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    LEO MOTTA ESCRITOR

    नवंबर 12, 2024 AT 16:07

    मालिक, जब हम इतनी गहरी बातों को समझते हैं तो थोडा आशावाद भी जरूरी है। ये कदम भविष्य की सुरक्षा को मजबूत कर सकते हैं।

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    Sonia Singh

    नवंबर 12, 2024 AT 16:40

    वॉल्ट्ज की नीति में कई सकारात्मक पहलू दिखते हैं, विशेषकर टेक्नोलॉजी इंटेग्रेशन की दिशा। इस बदलाव से हमें उम्मीद है कि क्षेत्रीय स्थिरता में सुधार होगा।

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    Ashutosh Bilange

    नवंबर 12, 2024 AT 17:13

    यार ये सब बात तो सबको पता है, लेकिन लोग इसको इतना बड़े हुजूम में ले रहे हैं। देखो, असली गेम तो अभी शुरू ही हुआ है!

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