अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपनी प्रशासनिक टीम में एक महत्वपूर्ण बदलाव करते हुए फ्लोरिडा के रिप्रेजेंटेटिव माइक वॉल्ट्ज को अपना राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार नियुक्त किया है। माइक वॉल्ट्ज ने सेना में ग्रीन बेरेट के रूप में अपनी सेवाएं दी हैं और उनके नाम के साथ लंबे समय से ट्रंप के करीब रहने का टैग जुड़ा है। यह नियुक्ति अमेरिकी रणनीतिक उपायों और नीतियों को एक नया दृष्टिकोण प्रदान करने की दिशा में महत्वपूर्ण मानी जा रही है।
चीन के लिए माइक वॉल्ट्ज के कठोर विचार स्वाभाविक हैं, क्योंकि उन्होंने लगातार कांग्रेस में चीन के खिलाफ कठोर कदम उठाने का समर्थन किया है। वे अमेरिकी तकनीकी संस्थानों में चीन के जासूसी खतरों पर सावधानी बरतने की बात करते रहे हैं और चीनी निर्भरता को कम करने के लिए कानून प्रस्तावित किए हैं। उनकी यह भूमिका उन्हें वर्तमान अंतर्राष्ट्रीय परिस्थितियों में एक सशक्त नीति निर्माता के रूप में प्रस्तुत करती है।
माइक वॉल्ट्ज ने डिफेंस का एक अलग दृष्टिकोण प्रस्तुत किया है। उन्होंने पेंटागन में नयापन लाने की बात कही है, जहाँ नौकरशाही के कारण नई तकनीकों को जगह मिलने में बाधाएं आती हैं। वे सिलिकॉन वैली और अन्य तकनीकी केंद्रों की मदद से रक्षा और सुरक्षा मुद्दों को सुलझाने की बात करते हैं। उनका मानना है कि अमेरिकी सेना को इंडो-पेसिफिक क्षेत्र में संभावित संघर्ष के लिए तैयार होना चाहिए और यही कारण है कि उन्होंने ताइवान को शीघ्रता से साजो-सामान उपलब्ध कराने की बात कही है।
अफगानिस्तान से अमेरिकी सेना के वापसी के संबंध में बाइडेन प्रशासन की आलोचना करने वाले माइक वॉल्ट्ज को अनेक चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा। वे ट्रंप की विदेश नीति को सही मानते हैं और इस दिशा में नई योजनाओं का क्रियान्वयन शुरू करेंगे। उनकी नियुक्ति के साथ, इंडो-पेसिफिक क्षेत्र में गठबंधन को मजबूत करने और उभरते खतरों को रोकने की कोशिशें बढ़ेंगी।
माइक वॉल्ट्ज की गहन समझ और व्यापक अनुभव उन्हें नई जिम्मेदारी के लिए एक उपयुक्त पात्र बनाते हैं। आतंरिक और बाहरी सुरक्षा के क्षेत्र में उनकी नीतियाँ और दृष्टिकोण अमेरिका को अंतर्राष्ट्रीय मंच पर नई दिशा देने में सहायक सिद्ध होंगे।