Zubeen Garg की सिंगापुर में स्कूबा डाइविंग के दौरान मौत, 52 साल की उम्र में संगीत जगत शोक में

सित॰, 20 2025

सिंगापुर में हादसा, देश में शोक

भारतीय संगीत जगत ने अपनी सबसे पहचानी आवाज खो दी। लोकप्रिय गायक Zubeen Garg का सिंगापुर में स्कूबा डाइविंग के दौरान निधन हो गया। 52 साल के ज़ुबीन ‘गैंगस्टर’ फिल्म के हिट गीत ‘या अली’ से पूरे देश में मशहूर हुए थे। वे नॉर्थ ईस्ट इंडिया फेस्टिवल के लिए सिंगापुर पहुंचे थे, जहां शुक्रवार को पानी में एक्टिविटी के दौरान उन्हें सांस लेने में दिक्कत हुई।

नॉर्थ ईस्ट इंडिया फेस्टिवल के प्रतिनिधि अनुज कुमार बोरुआह के मुताबिक, पानी में परेशानी दिखते ही उन्हें तुरंत CPR दिया गया और Singapore General Hospital ले जाया गया। तमाम कोशिशों के बावजूद उन्हें दोपहर 2:30 बजे (IST) ICU में मृत घोषित किया गया। शुरुआती रिपोर्टों में घटना के हालात को लेकर विरोधाभास दिखा—किसी ने कहा कि वे बिना लाइफ जैकेट तैर रहे थे, तो एक वायरल वीडियो में वे सुरक्षित उपकरणों के साथ वॉटर एक्टिविटी करते दिखे। फिलहाल, जांच एजेंसियां सभी पहलुओं की पुष्टि कर रही हैं।

असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने सिंगापुर के हाई कमिश्नर साइमन वोंग से बात कर विस्तृत जांच का आग्रह किया है। पुलिस ने हादसे की जांच शुरू कर दी है। आम तौर पर ऐसे मामलों में स्थानीय प्राधिकार पोस्टमॉर्टम, डाइव ऑपरेटर की लाइसेंसिंग, सेफ्टी ब्रीफिंग, उपकरण की कार्यशीलता और मौसम/करंट जैसी स्थितियों की पड़ताल करते हैं। परिवार और भारतीय मिशन के समन्वय से पार्थिव देह को भारत लाने की प्रक्रिया चलाई जाएगी।

असम सरकार ने 20 से 22 सितंबर तक तीन दिन का राजकीय शोक घोषित किया है। इस दौरान राज्य में सरकारी मनोरंजक कार्यक्रम, औपचारिक समारोह और सरकारी भोज नहीं होंगे। यह फैसला साफ दिखाता है कि ज़ुबीन सिर्फ एक गायक नहीं, असम की सांस्कृतिक पहचान थे—ऐसी आवाज जो सीमाओं से बड़ी हो गई।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शोक प्रकट करते हुए कहा कि ज़ुबीन की गायिकी हर तबके के लोगों में लोकप्रिय थी। राजनीतिक दलों के नेताओं से लेकर संगीत जगत के दिग्गजों तक, सोशल मीडिया पर उनके गाने, स्टेज परफॉर्मेंस और ऑफ-स्टेज मिज़ाज वाली क्लिप्स लगातार शेयर हो रही हैं। प्रशंसकों ने असम और अन्य शहरों में मोमबत्तियां जलाकर श्रद्धांजलि दी।

करियर, विरासत और सवाल

ज़ुबीन गर्ग सिर्फ बॉलीवुड के गायक नहीं थे। तीन दशक में उन्होंने असमिया, बंगला, हिंदी, नेपाली सहित 40 से ज्यादा भाषाओं में गाया। ‘या अली’ ने उन्हें अखिल भारतीय पहचान दी, फिर उन्होंने हिंदी में कई लोकप्रिय ट्रैक्स गाए—जिनमें ‘कृष 3’ का ‘दिल तू ही बता’ भी शामिल है। वे कंपोजर और लिरिसिस्ट के तौर पर भी उतने ही सक्रिय रहे, और असमिया फिल्मों-संगीत को मेनस्ट्रीम चर्चा तक ले आए।

उनकी ताकत थी—वर्सटिलिटी। सूफियाना अंदाज से लेकर लोक-सुगंध वाले धुनों तक, वे हर रंग में ढल जाते थे। नॉर्थ ईस्ट के मंचों से निकलकर उन्होंने नेशनल टूर किए, बड़े फेस्टिवल्स में परफॉर्म किया और नए कलाकारों को स्पॉटलाइट में लाने की कोशिश की। कई युवा गायकों-म्यूज़िशियनों के लिए वे “पहला कॉल” थे—सलाह, स्टूडियो समय और मंच, जो भी जरूरत हुई, अक्सर उपलब्ध करा देते थे।

हादसे ने स्कूबा डाइविंग जैसी एडवेंचर एक्टिविटी में सुरक्षा पर भी चर्चा छेड़ दी है। सामान्य नियम साफ कहते हैं—डाइव से पहले मेडिकल फिटनेस, प्री-डाइव ब्रीफिंग, बडी सिस्टम, उथले पानी में टेस्ट, नियंत्रित डिसेंट-एसेन्ट और सतह पर रिकवरी प्रोटोकॉल। 40-50 की उम्र के बाद कार्डियो-रेस्पिरेटरी स्क्रीनिंग और भी अहम हो जाती है। पर अभी इस खास घटना में क्या चूका—यह बताना जल्दबाजी होगी। जांच रिपोर्ट ही तय करेगी कि मेडिकल इमरजेंसी थी, उपकरण विफल हुआ या प्रक्रियागत कोई कमी रही।

आयोजकों ने बताया कि फेस्टिवल (19-21 सितंबर) के शेष कार्यक्रमों पर निर्णय वे अधिकारियों और परिवार के साथ संवाद के बाद करेंगे। उधर, संगीत जगत में उनके न रहने का खालीपन साफ दिख रहा है—रेडियो चैनल्स उनके गानों के स्पेशल प्लेलिस्ट चला रहे हैं, और स्ट्रीमिंग पर उनकी डिस्कोग्राफी फिर टॉप ट्रेंड में है।

जो अब तक पुष्ट है:

  • उम्र 52 वर्ष; सिंगापुर में स्कूबा डाइविंग के दौरान मेडिकल इमरजेंसी हुई।
  • पानी से निकालकर तुरंत CPR दिया गया, फिर अस्पताल ले जाया गया।
  • Singapore General Hospital में 2:30 बजे (IST) ICU में मृत घोषित।
  • असम सरकार ने 20-22 सितंबर तक तीन दिन का राजकीय शोक घोषित किया।
  • सीएम ने सिंगापुर हाई कमिश्नर से विस्तृत जांच का अनुरोध किया; पुलिस जांच जारी है।

ज़ुबीन की विरासत सिर्फ प्लेलिस्ट नहीं, एक भावना है—कि नॉर्थ ईस्ट की धुनें देश के दिल में जगह बना सकती हैं। उनकी आवाज अब स्टेज पर नहीं लौटेगी, लेकिन स्टूडियो से निकली रिकॉर्डिंग्स, असमिया-बंगला-हिंदी में फैली धुनें, और उनके बनाए मौके—यही उन्हें बार-बार लौटा लाएंगे।

4 टिप्पणि

  • Image placeholder

    Vinay Upadhyay

    सितंबर 20, 2025 AT 20:00

    क्या बात है, ज़ुबीन गर्ग की मौत का समाचार भी अब सेंसेशन बन गया है? वे तो बस एक स्कूबा डाइव कर रहे थे, लेकिन इंटरनेट ने तुरंत उन्हें ट्रैजेडी के रूप में पिरो दिया। आप लोग असली कारण को समझने की बजाए, “सुरक्षा नियमन” की गिनती शुरू कर देते हैं। वैध व्याकरण की बात करूँ तो "फ़ोन" के बजाय "फ़ोन" लिखना चाहिए, लेकिन यहाँ लोग “फ़न” लिखते हैं। यह पोस्ट दिमाग़ का दही है; कोई भी तथ्य नहीं, सिर्फ अफ़वाहें। बहुतेरे लोग “उम्र 50 के बाद फिटनेस टेस्ट जरूरी है” लिखते हैं, पर क्या उन्होंने ज़ुबीन के मेडिकल रिपोर्ट देखी? नहीं! क्योंकि यह सब “क्लिकबेट” के लिये है। आपका “डायविंग गाइड” कौन था, कौन नहीं? और क्या "CPR" का मतलब स्पष्ट किया गया? नहीं, बस “सांस नहीं ले पाए” लिखा गया। अगर आप वास्तव में कुछ सीखना चाहते हैं, तो डाइविंग से पहले कार्डियो‑रिस्पिरेटरी स्क्रीनिंग की ज़रूरत होती है, यह बात सबको नहीं पता। पर आप लोग “ड्रामा” देखना पसंद करते हैं, इसलिए “जॉनी डेप” की तरह इमोशनल टॉपली डालते हैं। यह भी पढ़ा गया कि ज़ुबीन ने लाइफ जाकेट पहना था, पर फिर भी “बिना लाइफ जैकेट” वाला वीडियो वायरल हुआ। आप इन दो रूपों को एक साथ क्यों न जोड़ें? संपूर्ण लेख में अभिव्यक्तियों का प्रयोग बहुत ही “तरक्की” है, पर तथ्य पर नहीं। ना ही कोई ठोस स्रोत है और ना ही आधिकारिक बयान। सभी को विनती है, बौद्धिक स्तर को थोड़ा ऊँचा रखें और झूठी खबरों में फँसे नहीं। किसी को “ड्रामा किंग” कहे बिना, बस तथ्य पढ़ें, समझें और फिर शेयर करें। अंत में, “सिंगापुर में स्कूबा डाइविंग” वाला केस एक चेतावनी है, “हमें क्या करना चाहिए” नहीं। तो दोस्तों, कृपया आत्म‑जाँच करिए और पकड़िए कि आपका मन कितना “ग्लिची” हो गया है। भूलिए मत, ज़ुबीन की आवाज़ अभी भी हमारे दिलों में गूँजती है, पर उनकी मृत्यु का अभिसार सिर्फ एक आँसू नहीं, बल्कि एक इंटर्नेट फिक्शन है।

  • Image placeholder

    Divyaa Patel

    अक्तूबर 2, 2025 AT 15:20

    ज़ुबीन की आवाज़ ने असम की पहाड़ी ध्वनि को पूरे देश की सड़कों तक गूँजाया, और अब उसका सफ़र गाइडेंस की तरह समाप्त हो गया-एक अजीब और दम्पली कथा।

  • Image placeholder

    Chirag P

    अक्तूबर 14, 2025 AT 10:40

    ज़ुबीन गुर्र के संगीत ने कई पीढ़ियों को सिखाया कि कला में कोई सीमा नहीं होती, उनकी रचनाओं में हमारी सांस्कृतिक धरोहर बसती है। उनके योगदान को याद करके हम सिर्फ शोक नहीं, बल्कि उनका संगीत आगे ले जाने का वादा कर सकते हैं।

  • Image placeholder

    Prudhvi Raj

    अक्तूबर 26, 2025 AT 06:00

    डाइविंग से पहले मेडिकल चेक‑अप और बायलॉन्ग प्रमाणपत्र आवश्यक हैं; इससे ऐसी अनपेक्षित घटनाओं से बचा जा सकता है।

एक टिप्पणी लिखें