
जब हम स्पिन बॉल, क्रिकेट की वह डिलीवरी है जो गति कम लेकिन रोटेशन अधिक देती है. Also known as स्पिनर की गेंद, यह क्रिकेट में रणनीतिक महत्व रखती है और स्पिनर की कला का प्रमुख भाग है।
स्पिन बॉल दो मुख्य प्रकार में आती है – ऑफ़‑स्पिन और लेगस्पिन. ऑफ़‑स्पिन में अंगूठे की ग्रिप से बॉल को बाहर की ओर घुमाया जाता है, जबकि लेगस्पिन में उंगली की ग्रिप से अंदर की ओर घुमाव पैदा होता है. ये दोनों ही शैली पिच की स्थितियों पर निर्भर करती हैं; सूखी पिच पर घुमाव अधिक होता है और बाउंसर की संभावना घटती है. इस कारण कोच अक्सर खिलाड़ियों को पिच रिपोर्ट पढ़ने और ग्रिप में छोटे‑छोटे बदलाव करने की सलाह देते हैं। स्पिन बॉल का प्रभाव तभी दिखता है जब स्पिनर उचित गति, रिटर्न और खिसकाव का संतुलन बनाए रखे. तेज़ बॉलिंग के विपरीत, यहाँ कम गति एक लाभ है क्योंकि बल्लेबाज़ को समय महसूस नहीं होता और वह गलत शॉट मार सकता है। इसलिए, सफल स्पिनर को बॉल को बिंदी पर लैंड करवाना, फिर अपनी उँगलियों की गति से दिशा बदलना आता है.
हाल की क्रिकेट खबरों में स्पिन बॉल ने कई मोड़ लिये हैं। विश्व कप 2025 में भारत की महिला टीम ने क्रांती गौड़ के स्पिन बॉल के तीन विकेट और रिचा घोष की तेज़ बल्लेबाज़ी से जीत हासिल की। इसी तरह, एशिया कप 2025 के फाइनल में पाकिस्तान के कप्तान ने भारत पर 'क्रिकेट अनादर' का आरोप लगाते हुए फ़ीस दान की घोषणा की, जहाँ दोनों टीमों के स्पिनर मुख्य हथियार बनकर उभरे। इन मामलों में स्पिन बॉल ने मैच की दिशा तय करने में अहम भूमिका निभाई। आप यहाँ सबसे अद्यतन स्पिन बॉल से जुड़ी खबरें देख सकते हैं और जान सकते हैं कि कैसे विभिन्न पिच, फ़ॉर्मेट और टॉर्नामेंट के अनुसार स्पिनर अपनी रणनीति बदलते हैं। नीचे आपको संबंधित लेखों की सूची मिलेगी, जहाँ आप हर एक कहानी में स्पिन बॉल की विविधता और प्रभाव को गहराई से समझ सकते हैं.