फेफड़ों का कैंसर – क्या है, कैसे पहचानें और बचें

फेफड़ों का कैंसर सुनते ही कई लोगों को डर लगता है, लेकिन अगर आप सही जानकारी रखें तो बहुत कुछ बचा सकते हैं। यहाँ हम सरल भाषा में बताएँगे कि यह बीमारी कैसे शुरू होती है, कौन‑से लक्षण दिखते हैं और रोज़मर्रा में क्या कदम उठाए जा सकते हैं।

मुख्य लक्षण क्या हैं?

शुरुआती चरण में कई बार कोई खास लक्षण नहीं दिखते, इसलिए अक्सर रोग को देर से पहचाना जाता है। फिर भी कुछ संकेतों पर ध्यान देना जरूरी है:

  • लगातार खाँसी – अगर खाँसी दो‑तीन हफ्तों से नहीं थमती तो डॉक्टर को दिखाएँ।
  • सांस फूलना – सीढ़ी चढ़ते समय या हल्की मेहनत पर सांस जल्दी थकने लगती है।
  • छाती में दर्द या अजीब सी कमी – बहुत देर तक खिंचा हुआ महसूस हो।
  • वजन घटना और भूख में कमी – बिना कोशिश के ही वजन कम हो रहा हो तो इलाज की जरूरत है।
  • खुजली या खून जैसा कफ – कफ में खून दिखे तो तुरंत जांच कराएँ।

इन संकेतों को अक्सर फ्लू या ब्रोंकाइटिस के साथ गड़बड़ी मान लिया जाता है, लेकिन अगर दो‑तीन हफ्तों से लगातार बने रहें तो फेफड़ों के कैंसर की संभावना को नज़रअंदाज़ न करें।

रोकथाम और शुरुआती कदम

फेफड़ों का कैंसर पूरी तरह से टाली नहीं जा सकती, पर सही आदतों से जोखिम काफी घटाया जा सकता है। यहाँ कुछ आसान उपाय हैं जो आप अभी से अपना सकते हैं:

  1. धूम्रपान छोड़ें – सबसे बड़ा ख़तरा तम्बाकू है। अगर आप सिगरेट नहीं पीते तो भी पास के धुएँ से बचें।
  2. हवा की सफ़ाई – घर में एसी या फ़िल्टर का इस्तेमाल करें, विशेषकर शहरी क्षेत्रों में जहाँ प्रदूषण अधिक है।
  3. सही खान‑पान – मौसमी फल, सब्ज़ियाँ और नट्स को रोज़ की डाइट में शामिल करें। एंटी‑ऑक्सिडेंट से कैंसर सेल को नुकसान पहुँचा सकते हैं।
  4. नियमित व्यायाम – तेज़ चलना, साइकिल चलाना या हल्का दौड़ना फेफड़ों को मजबूत बनाता है।
  5. साल में एक बार फेफड़ों की स्क्रीनिंग – अगर आप 40 साल से ऊपर हैं या धूम्रपान करते रहे हैं, तो CT स्कैन या low‑dose CT करवाएँ।

अगर डॉक्टर ने कैंसर की पुष्टि कर दी, तो इलाज के विकल्प भी कई हैं – सर्जरी, रेडिएशन, कीमोथेरपी या टार्गेटेड ड्रग्स। इलाज का चुनाव कैंसर के स्टेज, आपके समग्र स्वास्थ्य और उम्र पर निर्भर करता है। शुरुआती चरण में सर्जरी सबसे प्रभावी हो सकती है, जबकि बाद के चरण में मल्टी‑मॉडल थैरेपी बेहतर परिणाम देती है।

फेफड़ों के कैंसर से डरने की बजाय समझदारी से कदम उठाएँ। नियमित जांच, धूम्रपान से दूर रहना और साफ‑साफ साँस लेना आपके स्वास्थ्य को बचा सकता है। अगर कोई भी लक्षण आपको चिंतित कर रहा हो, तो जल्द से जल्द डॉक्टर से मिलें – समय पर उपचार ही सबसे बड़ा हथियार है।

रविकुमार मेनन का निधन: 71 साल की उम्र में कैंसर से चेन्नई में

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