जब आप सरकार से कोई जानकारी माँगते हैं और उत्तर नहीं मिलता, तो केंद्रीय सूचना आयोग, भारत में सूचना के अधिकार के लिए एक स्वतंत्र नियामक निकाय है, जो RTI अधिनियम के तहत नागरिकों के अनुरोधों की सुनवाई करता है आपकी मदद के लिए तैयार है। यह कोई सामान्य ऑफिस नहीं है—यह एक ऐसा अदालत है जहाँ आपकी आवाज़ सुनी जाती है, चाहे आप एक छात्र हों, एक मजदूर हों या एक व्यापारी। इसका मकसद सिर्फ एक फॉर्म भरना नहीं, बल्कि सरकार को जवाबदेह बनाना है।
केंद्रीय सूचना आयोग के सामने आने वाले मामले अक्सर बहुत साधारण होते हैं—जैसे किसी योजना की राशि कहाँ गई, किसी अधिकारी की तैनाती क्यों हुई, या किसी स्कूल के बजट की विवरणी कैसे देखें। RTI, सूचना के अधिकार का कानूनी आधार है, जिसके तहत कोई भी नागरिक सरकारी विभाग से जानकारी माँग सकता है। आपको अपना नाम, पता और सवाल लिखकर भेजना होता है। कोई वजह नहीं बतानी पड़ती। अगर जवाब नहीं मिलता या अधिकारी झूठ बोलता है, तो आप सरकारी अधिकारी, जिन पर RTI का लागू होता है, जिनमें मंत्रालयों, बैंकों, और सार्वजनिक उपक्रमों के अधिकारी शामिल हैं के खिलाफ शिकायत दर्ज कर सकते हैं। केंद्रीय सूचना आयोग ने पिछले 15 सालों में हजारों मामलों में ऐसे अधिकारियों को दंडित किया है।
क्या आप जानते हैं कि कर्नाटक में स्कूल बंद करने का फैसला किसने लिया? या दिल्ली में चाँदी की कीमत क्यों बढ़ी? इन सवालों के जवाब आप जानकारी का अनुरोध, RTI के तहत किया जाने वाला एक सरल प्रक्रिया है जिसके जरिए आप सरकारी दस्तावेजों तक पहुँच सकते हैं के जरिए पा सकते हैं। कई लोग सोचते हैं कि यह बहुत जटिल है, लेकिन असल में यह बस एक लिखित अनुरोध है। आपको बस यह जानना है कि किस विभाग के पास जानकारी है, और उसे फॉर्मेट में कैसे लिखना है। इस तरह के अनुरोधों के जरिए ही कई भ्रष्टाचार के मामले सामने आए हैं।
यहाँ आपको ऐसे ही कई उदाहरण मिलेंगे—जहाँ आम नागरिकों ने अपने अधिकार का इस्तेमाल करके सच्चाई निकाली। कुछ खबरें उसी तरह लिखी गई हैं जैसे कि एक व्यक्ति ने अपने गाँव के बजट की जानकारी माँगी और पता चला कि 70% राशि कहीं और जा रही है। दूसरे ने टीसीएस के लाभ के बारे में जानकारी माँगी, तो उसे शेयर बाजार के अंदाज़े से भी ज्यादा सटीक आंकड़े मिले। ये सब उसी एक चीज़ से जुड़े हैं—केंद्रीय सूचना आयोग।
इस पेज पर आपको ऐसे ही वास्तविक कहानियाँ, नियमों की सरल समझ, और आपके लिए जरूरी टिप्स मिलेंगे। आप देखेंगे कि कैसे एक छोटा सा अनुरोध बड़े बदलाव का आधार बन सकता है।