सिमोना हालेप, जिन्हें खेलप्रेमियों के बीच सिर्फ अपने अद्वितीय खेल कौशल के लिए जाना जाता था, अब अपनी हाल की बयानबाजी के कारण चर्चा में हैं। भारतीय टेनिस संघ (ITIA) द्वारा उनके डोपिंग मामले पर लगाए गए भारी प्रतिबंध से उनके प्रशंसक और खेल विशेषज्ञ दोनों ही हैरान हैं। हालेप को यूएस ओपन 2022 के दौरान रोक्साडस्टैट नामक प्रतिबंधित दवा के लिए चार साल के बैन का सामना करना पड़ा था। यह उनकी पहली बड़ी विवादास्पद घटना थी, जो किसी भी खिलाड़ी के करियर को खत्म करने के लिए काफी थी। हालांकि, कोर्ट ऑफ आर्बिट्रेशन फॉर स्पोर्ट्स (CAS) ने उनके अपील को देखते हुए इसे कई कम कर दिया और केवल नौ महीने का किया।
वहीं दूसरी तरफ, इगा स्विएतेक के मामले में ITIA का दृष्टिकोण बिल्कुल अलग था। स्विएतेक को ट्रिमेटाज़िडाइन के लिए सिर्फ एक महीने का प्रतिबंध दिया गया था, जो कि एक हृदय रोग की दवा है। यह मामला तब सामने आया जब अगस्त में एक आउट-ऑफ-कॉम्पिटिशन डोपिंग टेस्ट में उनकी रिपोर्ट पॉजिटिव पाई गई।
स्विएतेक की सफाई को मान्यता मिली कि यह पॉजिटिव रिपोर्ट एक गैर-प्रिस्क्रिप्शन दवा मेलाटोनिन की वजह से हुई थी, जो वह जेट लैग और नींद की समस्याओं के लिए ले रही थीं। इस वजह से स्विएतेक को एक महीने का अस्थायी प्रतिबंध दिया गया जबकि उनका मामला को इंटेंटम के नहीं बल्कि आसक्त परिस्थिति के रूप में देखा गया।
हालेप ने अपने इंस्टाग्राम पोस्ट में इस विभेदकारी उपचार पर सवाल उठाए। उन्होंने अपनी पोस्ट में लिखा कि एक जैसी परिस्थितियों में इतनी भिन्नता क्यों है? यह सवाल टेनिस समीक्षकों और आधिकारिक संस्थाओं के लिए भी विचारणीय है। उन्होंने ITIA पर आरोप लगाया कि उन्होंने कोई ठोस कारण नहीं दिया और बदले में उन्हें 'नीष्ट' करना ही उनका मकसद था।
यह बहस तब और गर्म हो गई जब जैनिक सिनर के मामले का मुद्दा उठाया गया। अंकुरित प्रोटीन वायरल होने के बावजूद, उन्हें बैन नहीं किया गया। इस घटना से टेनिस में शीर्ष खिलाड़ियों की ठोस स्थिति के लिए अत्याधिक समर्थन और विषय-भिन्न प्रणाली का मुद्दा उठ गया। विश्व एंटी-डोपिंग एजेंसी (WADA) ने इस निर्णय पर आपत्ति जताई है और एक से दो साल के प्रतिबंध की मांग की है।
यह विषय कई स्तरों पर विभिन्न खिलाड़ियों के उपचार में विषमताओं के संकेत देता है। इसलिए, यह देखने वाली बात होगी कि खेल संस्थाएं और अधिकारी इससे जुड़े मुद्दों का समाधान कैसे करते हैं। हालेप की स्थिति ने इस दिशा में एक महत्वपूर्ण चर्चा की शुरुआत की है।
इस गंभीर मुद्दे के चलते, खेल जगत अब इस सोच में है कि समस्त ख्याती और नाम के बावजूद निष्पक्षता की गारंटी कैसे दी जा सकती है। हालेप और स्विएतेक के अलग-अलग निर्णयों के खिलाफ उठे सवालों ने यह भी संकेत दिया है कि नियमों और उनके पालन में कहीं न कहीं एक बड़ी खाई है। ऐसे में, खिलाड़ियों को एक समान नियमों के तहत और निष्पक्ष रूप से आंका जाए, ताकि टेनिस के खेल का वास्तविक प्रभाव बरकरार हो सके।