सुरजीत सिंह पटार, जिन्होंने पंजाबी साहित्यिक दुनिया में अपना एक विशिष्ट स्थान बनाया, का शनिवार की सुबह लुधियाना में उनके निवास पर निधन हो गया। उनकी उम्र 79 वर्ष थी। सुरजीत सिंह पटार ने पंजाबी कविता और साहित्य में अपनी अद्वितीय छाप छोड़ी है, जिनकी रचनाओं ने न केवल पंजाब में बल्कि विश्वभर के पंजाबी समुदाय में प्रशंसा प्राप्त की।
Aryan Pawar
मई 11, 2024 AT 19:20सुरजीत सिंह पटार की रचनाएँ हमें हमेशा प्रेरित करती रहेंगी
Shritam Mohanty
मई 14, 2024 AT 02:53लगता है इस मामले में कुछ गहरा राज़ है, कहीं कोई राजनीतिक साजिश तो नहीं जो उनके निधन को दबी रखने की कोशिश कर रही है
Anuj Panchal
मई 16, 2024 AT 10:27पटार की काव्यशास्त्र में प्रयुक्त पॉइंटिलिस्ट एस्थेटिक मॉडल्स और सिंक्रेटिक लिंग्विस्टिक फ्रेमवर्क ने पंजाबी साहित्य को नई परिभाषा दी
Prakashchander Bhatt
मई 18, 2024 AT 18:00उनकी यादें हमेशा हमारे दिल में बसेंगी, उनका साहित्यिक योगदान समय के साथ और भी उज्ज्वल होता जाएगा
Mala Strahle
मई 21, 2024 AT 01:33सुरजीत सिंह पटार का जीवन एक विश्वव्यापी साहित्यिक संकल्पना का प्रतिपादन था
उनकी कविताओं में सामाजिक परिवर्तन की चिंगारी हमेशा चमकती रही
जब हम उनके शब्दों को पढ़ते हैं तो अनुभव होते हैं जैसे किसी नदी की लहरों में बहते हुए विचारों का प्रवाह
वह न केवल पंजाब की मिट्टी से जुड़े थे, बल्कि मानवीय मूल्यों की सार्वभौमिक खोज में भी लिप्त रहे
उनकी लेखनी में प्रतिवर्ती परतें थीं, जो कई बार पढ़ने पर नई अर्थों को उजागर करती थीं
हर कविता एक नई दार्शनिक परीक्षा लगती थी, जिसमें पाठक को अपनी ही सोच को परखना पड़ता था
उनकी शैली में पारंपरिक लोकसाहित्य और आधुनिक अस्तित्ववाद का अद्भुत मिश्रण देखते हैं
पाँच दशक से अधिक समय तक उन्होंने साहित्यिक मंच पर आवाज़ उठाते हुए कई सामाजिक मुद्दों को उठाया
उनकी कृतियों में अक्सर महिलाओं की सशक्तिकरण और वर्ग संघर्ष की छवि स्पष्ट रहती थी
वह कवि न सिर्फ शब्दों के जाल बुनते थे बल्कि भावनाओं के पुल भी बनाते थे
उनका निधन एक खालीपन छोड़ गया है, परन्तु उनका कार्यशेष हमेशा हमें प्रेरित करेगा
भविष्य के लेखकों को उनके मार्गदर्शन में अपने विचारों को विकसित करने का अवसर मिलता रहेगा
साहित्यिक इतिहास में उनका स्थान नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता
उनके लेखन को पढ़ते समय हम अक्सर अपनी अड़चनें और आशाएं पहचानते हैं
अंततः, उनके शब्दों की गूँज समय के प्रवाह में भी स्थिर रहती है
shubham garg
मई 23, 2024 AT 09:07सुरजीत जी की याद में एक छोटी सी कविता लिखूँ? उनके शब्दों की तरह सरल और गहरी।
LEO MOTTA ESCRITOR
मई 25, 2024 AT 16:40वास्तव में उनके काव्य में इतने जटिल मॉडल्स का उपयोग अद्भुत है, इससे नवोदित लेखकों को भी प्रेरणा मिलेगी
Sonia Singh
मई 28, 2024 AT 00:13उनकी कविताएँ अब भी मेरे दिल को छू जाती हैं
Ashutosh Bilange
मई 30, 2024 AT 07:47यार मैं तो कहूँगा, पटार की लाइफ़स्टाइल तो पूरी फिल्म जैसा थी, कौन नहीं रोयेगा इनकी लिरिक्स सुन के
Kaushal Skngh
जून 1, 2024 AT 15:20न इसको लेकर बहुत कुछ नहीं कहा जा सकता, बस एक बड़ाई है
Harshit Gupta
जून 3, 2024 AT 22:53सुरजीत सिंह पटार ने पंजाबी भाषा को विश्व मंच पर लाया, उनका सम्मान हर भारतीय को करना चाहिए
HarDeep Randhawa
जून 6, 2024 AT 06:27वास्तव में, उनकी कृतियों ने, न सिर्फ पंजाबी साहित्य को, बल्कि पूरे भारतीय साहित्य को, एक नई दिशा दी, यह एक स्पष्ट तथ्य है, जिसे हम नहीं नज़रअंदाज़ कर सकते
Nivedita Shukla
जून 8, 2024 AT 14:00उनकी मृत्यु एक दार्शनिक प्रश्न उठाती है-क्या साहित्यिक आत्मा कभी पूरी तरह से मरी जा सकती है? शायद नहीं, क्योंकि उनके शब्दों की चमक अँधेरों में भी चमकता रहेगी
Rahul Chavhan
जून 10, 2024 AT 21:33चलो, हम सब उनके विचारों को आगे बढ़ाएँ और नई काव्य सीमाएँ बनाएं