फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने अस्थिरता के बाद प्रधानमंत्री को रखा अपनी कुर्सी पर

जुल॰, 9 2024

चुनावी परिणाम और उनकी चुनौतियां

फ्रांस के राजनीतिक परिदृश्य में एक नया मोड़ आया जब राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने प्रधानमंत्री गेब्रियल अटाल का इस्तीफा अस्वीकार कर उन्हें अस्थायी रूप से पद पर बने रहने का आग्रह किया। हाल ही में संपन्न हुए चुनाव में कोई भी दल स्पष्ट बहुमत हासिल नहीं कर सका। इससे सरकार गठन की प्रक्रिया जटिल हो गई है और राजनीतिक विपर्यास की स्थिति उत्पन्न हो गई है।

चुनाव परिणामों में बाएं, केंद्र और दूर-दक्षिणपंथ के दलों ने महत्वपूर्ण सीटें जीती हैं, लेकिन कोई भी दल पूरे बहुमत के साथ उभरकर नहीं आ सका है। इस स्थिति ने फ्रांस की राजनीति में एक नए संकट को जन्म दिया है जो यूरोपीय संघ की मुख्य आर्थिक शक्तियों में से एक है। आगामी पेरिस ओलंपिक की तैयारियों के बीच इस अस्थिरता ने सरकार के कामकाज पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं।

राष्ट्रपति मैक्रों की रणनीति

राष्ट्रपति मैक्रों की रणनीति

राष्ट्रपति मैक्रों ने पहले तो स्थिति को स्पष्ट करने के लिए जल्दी चुनाव करवाने का निर्णय लिया, लेकिन इससे वांछित परिणाम प्राप्त नहीं हुए। परिणामस्वरूप, फ्रांस एक जटिल राजनीतिक परिदृश्य के समक्ष खड़ा है, जहां सरकार गठन के लिए स्पष्ट मार्ग नहीं दिखाई दे रहा है। प्रधानमंत्री गेब्रियल अटाल ने अपना इस्तीफा सौंप दिया था, लेकिन स्थिति की गंभीरता को ध्यान में रखते हुए मैक्रों ने उन्हें पद पर बने रहने का आग्रह किया। यह कदम स्थिरता बनाए रखने के लिए उठाया गया है।

फ्रांसीसी स्टॉक मार्केट में भी इस चुनावी अस्थिरता का प्रभाव देखने को मिला। हालांकि, प्रारंभिक गिरावट के बाद बाजार में सुधार देखा गया। यह संभावित रूप से दूर-दक्षिणपंथ की स्पष्ट जीत या वामपंथी गठबंधन की बड़ी प्रगति के डर से हो सकता है।

संसदीय वार्ताओं की संभावनाएँ

संसदीय वार्ताओं की संभावनाएँ

नए और पुनः चुने गए सांसद अब नई सरकार की गठन की प्रक्रिया के लिए वार्ताओं की शुरुआत करेंगे। यह वार्ताएँ लंबी और कठिन होने की संभावना है क्योंकि वार्ता समूहों के नीतियाँ एक-दूसरे के बिल्कुल विपरीत हैं। दूर-दक्षिणपंथी 'नेशनल रैली' ने यद्यपि महत्वपूर्ण बढ़त हासिल किया है, लेकिन उनकी अपेक्षा के अनुसार पूरी सफलता नहीं मिल सकी।

वामपंथी नेता जीन-ल्यूक मेलेंशों ने इन परिणामों को कई नागरिकों के लिए राहत करार दिया और प्रधानमंत्री अटाल के इस्तीफे की मांग की।

आगे की राह

आगे की राह

फ्रांस के राजनीतिक परिदृश्य में यह एक असाधारण स्थिति है, जहां किसी भी दल को स्पष्ट बहुमत नहीं मिला है। इससे संविधान के भीतर से ही समाधान निकालने की जरूरत है। वार्ताओं के दौरान विभिन्न दलों को अपनी नीतियाँ प्रस्तुत करने और सामान्य आधार पर कार्य करने की आवश्यकता होगी।

मैक्रों खुद वाशिंगटन में नाटो शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेंगे, जिससे वार्ताओं की प्रक्रिया और भी पेचीदा हो सकती है। फ्रांस की जनता और अंतरराष्ट्रीय समुदाय अब इस पर नजरें गड़ाये हुए हैं कि क्या वे किसी नतीजे पर पहुँच सकते हैं या नहीं।