Navratri रंग 2025: नौ दिव्य रंगों का विस्तृत मार्गदर्शन
सित॰, 24 2025
नवरात्रि के नौ दिव्य रंग
शरदिया नवरात्रि 2025 के नौ दिनों में प्रत्येक दिन को एक विशिष्ट Navratri रंग से जोड़ा जाता है। यह परम्परा प्राचीन वैदिक विज्ञान और रंगथैरेपी पर आधारित है, जहाँ रंग शरीर के प्रमुख चक्रों से संवाद करता है और देवियों की ऊर्जा को प्रतिबिंबित करता है। नीचे प्रत्येक दिन के रंग, उसकी आध्यात्मिक महत्ता और पहनावे में सुझाव दिए गए हैं।
- पहला दिन – 22 सितम्बर (माँ शैलपूत्री) – सफेद: शुद्धता, शांति और आंतरिक शुद्धि का प्रतीक। सफेद वस्त्र पहनने से मन स्पष्ट रहता है और ध्यान में आसानियां आती हैं।
- दूसरा दिन – 23 सितम्बर (माँ ब्रह्मचारिणी) – लाल: शक्ति, साहस और जीवन्तता को दर्शाता है। लाल शाल या साड़ी पहनने से आत्मविश्वास बढ़ता है और बाधाओं को पार करने की ऊर्जा मिलती है।
- तीसरा दिन – 24 सितम्बर (माँ चंद्रघंटा) – रॉयल ब्लू: शांति, आध्यात्मिक गहराई और समृद्धि का रंग। नीली चूनर या कुर्ता पहनने से भावनात्मक संतुलन बना रहता है।
- चौथा दिन – 25 सितम्बर (माँ कूष्मांडा) – पीला: आनंद, आशावाद और प्रकाश का रंग। पीले कपड़े से मन ऊर्जा से भर जाता है और सकारात्मक विचार उत्पन्न होते हैं।
- पाँचवां दिन – 26 सितम्बर (माँ स्कंदमाता) – हरा: विकास, उपजाऊपन और शांति का प्रतीक। हरे पोशाक में माँ स्कंदमाता की माँत्वी ऊर्जा को महसूस किया जाता है।
- छठा दिन – 27 सितम्बर (माँ कात्यायनी) – ग्रे: संतुलन, मध्यमता और स्थिरता का रंग। ग्रे शर्ट या स्कर्ट पहनने से अत्यधिक उत्तेजना को नियंत्रित किया जा सकता है।
- सातवां दिन – 28 सितम्बर (माँ कालरात्रि) – नारंगी: उत्साह, साहस और नकारात्मकों को नष्ट करने की शक्ति। नारंगी कपड़े से अंधकार के भय को दूर किया जाता है।
- आठवां दिन – 29 सितम्बर (माँ महागौरी) – मोतियाबिंद हरा (पिंक) नहीं बल्कि नीले‑हरा मिश्रण: शुद्धता और करुणा का रंग। यह रंग आध्यात्मिक परिवर्तन और ज्ञान का द्वार खोलता है।
- नौवां दिन – 30 सितम्बर (माँ सिद्धिदात्री) – गुलाबी: प्रेम, दया और सामंजस्य। गुलाबी रंग हमेशा सभी ऊर्जा को एक साथ बाँधता है और पूर्णता का अहसास देता है।
इन रंगों को सिर्फ परिधान में ही नहीं, बल्कि घर की सजावट, पवित्र प्रसाद और यहाँ तक कि पूजा स्थल की वस्तुओं में भी सम्मिलित किया जा सकता है। इस प्रकार का समग्र उपयोग नवरात्रि के आध्यात्मिक माहौल को और भी गहरा बनाता है।
रंगों का आध्यात्मिक महत्व और व्यावहारिक टिप्स
हर रंग का अपना चक्र (आधार, स्वाधिष्ठान, मणिपुर, अनाहत, विशुद्धि, आज्ञा, सार) से संबंध है। उदाहरण के तौर पर, सफेद रंग मुलाधार चक्र को संतुलित करता है, जबकि लाल सहस्रार चक्र को उत्तेजित करता है। इस ज्ञान को अपनाकर आप न केवल पूजा में बल्कि दैनिक जीवन में भी ऊर्जा का समुचित प्रवाह पा सकते हैं।
- पहनावे की योजना बनाएं: अपने वार्डरोब में पहले से ही सफेद, लाल, नीले, पीले आदि के बेसिक कपड़े रखें। इससे आप हर दिन जल्दी तैयार हो सकते हैं।
- सजावट में रंगों का प्रयोग: घर में सफेद दीये, लाल पुष्प, नीले कागज की लटें, पीले फूल, हरे पत्ते आदि रखें। यह न केवल दृश्य सौंदर्य बढ़ाता है, बल्कि ऊर्जा को भी पूरक बनाता है।
- भोजन में रंग शामिल करें: सफेद पोहा, लाल चटनी, नीले सिंघाड़े के फूल (सुरक्षित), पीले हलवा, हरे सलाद, ग्रे (सामान्यतः नहीं), नारंगी गाजर का हलवा, मोती‑हरा (केसर‑हरी) आदि तैयार करें।
- ध्यान और प्राणायाम: मन की शांति के लिए सफेद दिन पर श्वास‑ध्यान, लाल दिन पर कृतियों के साथ तेज़ श्वास, नीले दिन पर विज़ुअलाइज़ेशन अभ्यास करें। यह रंग‑आधारित ध्यान प्रभाव को बढ़ाता है।
- समुदाय की भागीदारी: पड़ोस में रंग‑थीम वाले कार्यक्रम रखें—जैसे सफेद दिन पर शुद्धता पर चर्चा, लाल दिन पर महिलाओं के लिए स्वास्थ्य संगोष्ठी आदि। इससे सामाजिक बंधन मजबूत होते हैं।
रंगों की इस परम्परा को अपनाते समय यह याद रखें कि बाहरी रंग केवल एक माध्यम है; असली शक्ति तो आपके मन की श्रद्धा और इरादा में निहित है। जब आप रंग को पूरी निष्ठा के साथ धारण करते हैं, तो वह आपके शरीर की विद्युत् तरंगों को समायोजित कर देता है, जिससे देवी‑देवताओं की आशीर्वाद शक्ति आपके भीतर प्रवाहित होती है।
नवरात्रि की समाप्ति के साथ, यह प्रक्रिया एक आत्म‑विकास की यात्रा बन जाती है। प्रत्येक रंग आपको एक नई भावना, एक नया दृष्टिकोण और एक नई ऊर्जा प्रदान करता है, जो सप्तम दिवस तक जारी रहकर जीवन के विभिन्न पहलुओं में आपको समर्थ बनाता है। इस रंग‑रहस्य को समझ कर और अपनाकर आप न केवल नवरात्रि के उत्सव को जीवंत बना सकते हैं, बल्कि अपने जीवन को भी उज्जवल बना सकते हैं।