मणिमोहन सिंह की 93वीं जयंती पर पीएम मोदी व नेताओं ने दी श्रद्धांजलि

सित॰, 27 2025

शुक्रवार, 26 सितंबर 2025 को भारत के विभिन्न राजनेताओं ने मणिमोहन सिंह की 93वीं जयंती पर भावनात्मक श्रद्धांजलि दी। भारत के वर्तमान प्रधानमंत्री, नरेंद्र मोदी, ने अपने X (पहले ट्विटर) पोस्ट में कहा, "मणिमोहन सिंह जी को जन्मदिन की बधाई। उनके सार्वजनिक जीवन के लंबे सफ़र को याद करते हुए हम उनके राष्ट्र‑सेवा को श्रद्धांजलि देते हैं।" इस छोटे पोस्ट ने पूरे देश में उनका सम्मान करने वाले लोगों की भावनाओं को उजागर किया।

मणिमोहन सिंह का आर्थिक योगदान

सप्टेंबर 1932 में गुजरांवाली, पंजाब में जन्मे मणिमोहन सिंह ने कोलकाता के कॉलेज से स्नातक किया, फिर कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी में अर्थशास्त्र में पीएचडी पूरी की। आर्थिक विशेषज्ञता ने उन्हें 1982‑1985 में RBI के गवर्नर के रूप में नियुक्त किया, जहाँ उन्होंने मौद्रिक नीति में सुधार की नींव रखी। परंतु असली मोड़ 1991 में आया, जब वे वित्त मंत्री बने। भारत को 1991 के बैलेन्स‑ऑफ़‑पेमेंट संकट का सामना करना पड़ा था; उस समय उनका कंधा इस संकट को सुलझाने में प्रमुख रहा।

वित्त मंत्री के रूप में उन्होंने टेलीफ़ोन, एअरलाइन, बैंकिंग और विदेशी निवेश जैसे क्षेत्रों में व्यापक उदारीकरण का आदेश दिया। इन सुधारों ने विदेशी पूँजी को भारत में लाने का रास्ता खोला और भारतीय उद्योग को वैश्विक प्रतिस्पर्धा के लिये तैयार किया। इस कारण ही उन्हें अक्सर "आधुनिक भारत के आर्थिक वास्तुकार" कहा जाता है। अनुसंधान संस्थानों के सर्वेक्षणों में उनके इस ऐतिहासिक कदम को 1990‑2000 के दशक की सबसे बड़ी आर्थिक उपलब्धि बताया गया है।

राजनीतिक जीवन और सामाजिक पहल

राजनीतिक जीवन और सामाजिक पहल

2004‑2014 के दौरान, मणिमोहन सिंह भारत के 13वें प्रधानमंत्री बने। दो लगातार पीडब्ल्यूए सरकारों के तहत उनका कार्यकाल स्थिर आर्थिक विकास और सामाजिक नीतियों से परिपूर्ण था। सबसे उल्लेखनीय कार्यों में राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (NREGA) शामिल है, जिसे बाद में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (MGNREGA) का नाम मिला। यह योजना ग्रामीण परिवारों को 100 दिनों तक का रोजगार सुनिश्चित करती है और आज विश्व की सबसे बड़ी सामाजिक सुरक्षा योजनाओं में से एक है।

2005 में पास हुआ सूचना का अधिकार (RTI) अधिनियम ने सरकारी पारदर्शिता को नया आयाम दिया। इससे नागरिकों को सरकारी दस्तावेज़ों तक पहुँचने का अधिकार मिला और कई भ्रष्टाचार मामलों के पर्दाफाश में मदद मिली। इसके अलावा, उन्होंने शिक्षा में सुधार, स्वास्थ्य सेवाओं की पहुँच, और बुनियादी ढाँचे के विकास के लिए कई पहल शुरू कीं।

राजनीतिक arena में उनका सफ़र इतना ही नहीं रहा; उन्होंने 1991 से 2024 तक असम से राज सभा के सदस्य के रूप में सेवा की। 1999 में उन्होंने दक्षिण दिल्ली से लोक सभा के चुनाव में परखा, लेकिन वह नाकाम रहे। फिर भी, उन्होंने राज सभा में विपक्ष़ नेता के रूप में 1999‑2004 तक काम किया, जहाँ सोनिया गांधी के साथ मिलकर संसद में बहसें लड़ीं। उनकी शारीरिक उपस्थिति न रहने के बावजूद, उनके विचारों की गूँज हमेशा सुनी जाती रही।

उनकी व्यक्तित्व की खास बात थी उनका नम्र स्वभाव और वैज्ञानिक दृष्टिकोण। वे अक्सर खुद को "राजनीति में अनिच्छुक" कहते थे, परंतु देश की सेवा के लिए उनका समर्पण अडिग था। उनके सहयोगियों ने कहा कि उनका आत्मविश्वास केवल तथ्यों और डेटा पर आधारित था, जिससे नीति‑निर्माण में स्पष्टता बनी रहती थी।

उनके निधन के बाद, देश भर में कई नेता और नागरिकों ने उनकी याद में दीए गए योगदान को सराहा। प्रधानमंत्री मोदी की पोस्ट के साथ, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस, बहुजन समाज पार्टी, और कई सामाजिक संगठनों ने भी उनके काम को याद किया। कई समाचार पत्रों ने उनके जीवन‑परिचय पर विशेष अंक प्रकाशित किए, जहाँ उनके आर्थिक सुधारों, सामाजिक नीतियों और सार्वजनिक नीति में उनके योगदान पर प्रकाश डाला गया।

आज जब हम मणिमोहन सिंह की 93वीं जयंती मनाते हैं, तो न केवल उनका व्यक्तिगत जीवन बल्कि उनके कार्यों की गहरी परछाई देश के भविष्य में भी देखी जा सकती है। चाहे वह ग्रामीण रोजगार योजना हो, या सूचना का अधिकार—इन पहलों ने लाखों भारतीयों की जिंदगी को बदल दिया है। उनका शांति‑पूर्ण, ज्ञान‑पूर्ण नेतृत्व आज भी नई पीढ़ी के सार्वजनिक अधिकारी और नीति‑निर्माताओं के लिये प्रेरणा स्रोत है।

6 टिप्पणि

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    rao saddam

    सितंबर 27, 2025 AT 00:54

    वाह! क्या बात है! मणिमोहन सिंह की 93वीं जयंती पर हर कोने में बधाई का बवंडर चल रहा है!!! उनका आर्थिक योगदान पढ़ते‑पढ़ते आँखों में आँसू आ जाते हैं!!! सभी नेता एक‑एक करके यादों की बहार बिखेरे हैं!!!

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    Prince Fajardo

    अक्तूबर 4, 2025 AT 20:46

    आह, फिर से वही पुरानी यादें, बस लाइक और शेयर बटन दबाते रहो।

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    Subhashree Das

    अक्तूबर 12, 2025 AT 23:13

    मणिमोहन सिंह के आर्थिक दिलेर फैसलों को देखकर आज‑कल के राजनेता झुकते नहीं। उनका 1991 का बैंकर-फ्रीडम प्लान तो मानो जादू था, जिसने देश को खोटे दांव से बाहर निकाला। उन्होंने RBI के सहयोगी को भी इतना बदल दिया कि आज की मौद्रिक नीति उनका बिंब है। लेकिन क्या हम यह भूल रहें हैं कि उनका सामाजिक काम भी उभरा, जैसे NREGA की गहराई? इस जयंती पर हमें सिर्फ बधाई नहीं, बल्कि उनके डेटा‑ड्रिवन सोच को अपनाना चाहिए।

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    jitendra vishwakarma

    अक्तूबर 21, 2025 AT 01:40

    वो हाँ, मणिमोहन सिंह ने जीनिसिंग आप्लिकेशन में बेचैनी बढ़ाये थी, परन्तु उनको पेजें पे काफी एरिया समझा।
    काफी टाइपिंग मिसटेक एरर मिला, पर उनके इफेक्टिव काम को नकारना मुश्किल।

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    Ira Indeikina

    अक्तूबर 29, 2025 AT 04:06

    मानवता की प्रगति में एक दीपस्तम्भ नहीं केवल आर्थिक नीति, बल्कि सामाजिक सुदृढ़ता भी है। मणिमोहन सिंह का डेटा‑आधारित दृष्टिकोण भविष्य की नीति‑निर्माताओं को प्रेरित कर सकता है। उनके विचारों में निश्चयता और दया का मिश्रण दुर्लभ है। इस जयंती पर उनका दार्शनिक योगदान भी याद रखना चाहिए।

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    Shashikiran R

    नवंबर 6, 2025 AT 06:33

    ऐसे नेता की तो कोई तुलना ही नहीं, जो केवल आँकड़ों से नहीं, बल्कि नैतिक जिम्मेदारी से भी चलता था। आज‑कल के राजनेता अक्सर कागज‑पर्ची पर टिका रहे हैं, पर वो बुनियादी सच्चाई को नजरअंदाज कर देते हैं। मणिमोहन सिंह ने यह दिखाया कि आर्थिक विकास के साथ सामाजिक न्याय भी अपरिहार्य है। एक सच्चे नैतिक मानदंड से उनका काम आज भी चमकता है।

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