केरल में दुर्लभ मस्तिष्क-खाने वाले अमीबा संक्रमण से बालक की मृत्यु; दो महीनों में तीसरी मौत

जुल॰, 5 2024

केरल में दुर्लभ ब्रेन-ईटिंग अमीबा संक्रमण ने ली एक और जान

केरल के फरोके क्षेत्र के एक 12 वर्षीय बालक, ई.पी. मृदुल, की जुलाई 4 की रात को कोड़िकोड के एक निजी अस्पताल में मौत हो गई। यह घटना राज्य में पिछले दो महीनों में इस प्रकार की तीसरी मौत है। मृदुल, जो कक्षा VII का छात्र था, ने अपनी अंतिम यात्रा एक स्थानीय तालाब में स्नान करने के बाद प्रारंभ की थी, जिसके बाद उसे सिरदर्द और उल्टी की शिकायत हुई थी।

संक्रमण की उत्पत्ति और लक्षण

मस्तिष्क-खाने वाले अमीबा, जिसे 'नायगलेरिया फौलरी' कहा जाता है, प्रमुख रूप से ताजे और गर्म पानी में रहता है और यह संक्रमण नाक के माध्यम से शरीर में प्रवेश करता है। इस संक्रमण के लक्षणों में सिरदर्द, बुखार, मतली, उल्टी, मानसिक स्थिति में परिवर्तन, और झटके शामिल हैं। ई. पी. मृदुल को पहले फरोके के सरकारी तालुक अस्पताल में भर्ती कराया गया था और बाद में कोड़िकोड के गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज अस्पताल में स्थानांतरित किया गया था। अंत में, उसकी गंभीर स्थिति को देखते हुए उसे एक निजी अस्पताल में ले जाया गया जहाँ उसने जून 24 से अपनी लड़ाई जारी रखी।

स्वास्थ्य विभाग की तैयारी

केरल के स्वास्थ्य विभाग ने इस दुर्लभ और घातक बीमारी के प्रकोप के बाद विशेष उपचार दिशानिर्देश तैयार करने की योजना बनाई है। स्वास्थ्य विभाग ने विशेष निर्देश जारी किए हैं कि जिन बच्चों के कान में संक्रमण है, उन्हें तालाबों या स्थिर पानी में स्नान नहीं करना चाहिए और स्विमिंग पूल और वॉटर थीम पार्क में नियमित रूप से जल का क्लोरीनेशन करना चाहिए।

मृदुल की मृत्यु पिछले दो महीनों में केरल में इस प्रकार की तीसरी घटना है। इससे पहले की घटनाओं में वि. दक्षिना, 13, जिसका निधन जून 12 को कन्नूर में हुआ था, और फदवा, 5, जो मुननियूर, मल्लपुरम की निवासी थी, जिसने मई 20 को अपनी जान गंवाई थी, शामिल हैं।

नायगलेरिया फौलरी: एक अदृश्य और जानलेवा खतरा

नायगलेरिया फौलरी: एक अदृश्य और जानलेवा खतरा

नायगलेरिया फौलरी एक छोटे लेकिन जानलेवा अमीबा की प्रजाति है जो ताजे और गर्म पानी में पाए जाने वाला होता है। यह अमीबा विशिष्ट रूप से तैराकों के लिए खतरनाक होता है, जो गलती से इसे नाक के माध्यम से अपने शरीर में प्रवेश करवा देते हैं। एक बार नाक के माध्यम से प्रवेश करने के बाद, यह मस्तिष्क तक पहुँच जाता है और वहाँ गंभीर संक्रमण उत्पन्न करता है, जिसे प्राइमरी अमीबिक मेनिन्गोएन्सेफलाइटिस (पीएएम) कहा जाता है।

हालांकि, नायगलेरिया फौलरी के संक्रमण के मामले अति दुर्लभ होते हैं, यह जानलेवा होते हैं और मृत्यु दर बहुत ही अधिक होती है। अमेरिका के रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्र (सीडीसी) के अनुसार, नायगलेरिया फौलरी के संक्रमण के 97% मामलों में रोगी की मृत्यु हो जाती है। इंफेक्शन से बचने के लिए उचित जल सुरक्षा उपाय आवश्यक हैं, जैसे कि क्लोरीन का उपयोग और स्थानीय जल स्रोतों की नियमित सफाई।

सावधानी और जागरूकता की जरूरत

सावधानी और जागरूकता की जरूरत

पिछले दो महीनों में केरल के विभिन्न हिस्सों में हुई तीन मौतों ने राज्य के स्वास्थ्य विभाग को सतर्क कर दिया है। अधिकारियों का कहना है कि इन प्रकरणों के बाद अधिवासित इलाकों में लोगों के लिए जागरूकता अभियान चलाना जरूरी हो गया है। कैलिफोर्निया स्वास्थ्य विभाग के विशेषज्ञों का गठित किया गया एक दल अब इन मामलों की समीक्षा कर रहा है और स्थानीय तालाबों और जल स्रोतों की निगरानी करता है।

स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि यदि कोई जल स्रोत गर्मियों के दौरान लंबे समय तक गर्म रहता है, तो उसमें नायगलेरिया फौलरी के पनपने की संभावना अधिक होती है। इसी कारण, तालाबों, झीलों, और नदियों में तैरने से पहले सावधानी बरतनी जरूरी है। साथ ही, किसी भी स्थानीय जल स्रोत में स्नान करने से पहले सुनिश्चित करें कि वे स्वच्छ और सुरक्षित हों।

बालकों की सुरक्षा महत्वपूर्ण

बालकों की सुरक्षा महत्वपूर्ण

चिकित्सा विशेषज्ञ इस बात पर जोर दे रहे हैं कि माता-पिता को अपने बच्चों को स्थिर जल में खेलने और स्नान करने से रोकना चाहिए। विशेषकर वे बच्चे जिनके कान में किसी प्रकार का संक्रमण हो। इसके अलावा, तालाब, झील और अन्य जल स्रोतों की नियमित सफाई और क्लोरीनिंग की व्यवस्था की जानी चाहिए।

स्वास्थ्य विभाग ने यह भी सलाह दी है कि किसी भी गंदे जल स्रोत में बच्चों को जाने से बचाने के लिए समाज की सामूहिक जिम्मेदारी है। इसके साथ ही, आवश्यकता पड़ने पर चिकित्सा सलाह और उपचार के लिए तुरंत पेशेवर चिकित्सा सहायता लें।