इज़राइल और हिजबुल्लाह में बढ़ती तनावपूर्ण हिंसा
पिछले कुछ दिनों में इज़राइल और हिजबुल्लाह के बीच सीमा पार गोलीबारी की घटनाओं ने पूरे क्षेत्र को नई उथल-पुथल में डाल दिया है। यह घटना इज़राइली सेना द्वारा हिजबुल्लाह के ठिकानों पर हवाई हमलों के बाद सामने आई है। इन हमलों का असर इतना गहरा है कि इसे पिछले बीस वर्षों में सबसे घातक माना जा रहा है।
इज़राइल की सेना ने दक्षिणी लेबनान में हिजबुल्लाह के ठिकानों पर हमला किया, जिसमें टैंकों और तोपखानों का भी इस्तेमाल किया गया। इसके जवाब में हिजबुल्लाह ने दर्जनों रॉकेट उत्तरी इज़राइल में दागे। इन रॉकेट हमलों ने विभिन्न सैन्य ठिकानों, एक हवाई अड्डे और एक गोला-बारूद कारखाने को निशाना बनाया।
लेबनानी निवासियों का पलायन
इन हमलों की तीव्रता के बीच, उत्तर इज़राइल के एक क्षेत्रीय अस्पताल को भी नुकसान पहुँचा और कई क्षेत्रों में सतर्कता सायरन बजने लगे। इज़राइली सेना की मिसाइल प्रतिरक्षा प्रणालियों ने कुछ रॉकेटों को निष्क्रिय कर दिया, फिर भी कई संरचनाओं को नुकसान पहुंचा, और आग बुझाने के लिए दमकल कर्मियों को तैनात करना पड़ा।
मंगलवार की सुबह दक्षिणी गाजा के खान यूनिस में इज़राइली हमलों में कम से कम सात लोग मारे गए, जैसा कि फिलिस्तीनी अधिकारियों ने बयान दिया।
पिछले दिन, हिजबुल्लाह ने लगभग 100 मिसाइलें दागीं, जिनमें से कुछ इज़राइली क्षेत्र में गहराई तक पहुंच गईं, और उत्तरी शहर हाइफा के आसपास की छेत्र में जा पहुंची। अधिकांश मिसाइलें रोकी गईं और इज़राइली आपातकालीन सेवाओं ने केवल कुछ चोटों की रिपोर्ट की।
भीषण जनहानि और घायल
लेबनान के स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, सोमवार को हुई करीब 500 मौतों में से अधिकांश दक्षिणी लेबनान में हुईं, जहाँ हिजबुल्लाह ने अक्टूबर 7 से इज़राइली ठिकानों पर कई सीमा पार हमले किए। इसके अलावा, 1,600 से अधिक लोग घायल हो गए और हजारों लोग अपने घरों को छोड़ने के लिए मजबूर हो गए।
चार लेन की हाईवे पूरी तरह से गाड़ियों और बसों से भरी हुई थी, क्योंकि परिवार अपने घर छोड़कर उत्तर की ओर भाग रहे थे। दक्षिणी लेबनान के निवासियों ने बताया कि उन्हें अज्ञात फोन कॉल प्राप्त हुए, जिसमें उन्हें अपने घर छोड़ने का निर्देश दिया गया।
Nabatieh गांव के एक व्यवसायी बिल्लाल हमरदी ने बताया कि उन्होंने और उनके तीन बच्चों सहित उत्तर की ओर बेरूत में शरण पाए।
आने वाले समय में संघर्ष की अनिश्चितता
एक उच्च-रैंकिंग हिजबुल्लाह कमांडर ने छुट्टी के समय लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि वर्तमान संघर्ष अनिश्चित युद्ध को दर्शाता है। इस बीच, इज़राइली सेना ने संकेत दिया कि लेबनान के क्षेत्र में एक जमीनी आक्रमण भी एक संभावना बनी हुई है।
सीमा पार बढ़े हुए हिंसा का कारण पेजर और वॉकी-टॉकी से होने वाले विस्फोटों की एक श्रृंखला है, जिसमें हिजबुल्लाह के सदस्य और उनके सहयोगी घायल हुए थे। इन घटनाओं में नागरिकों के साथ बच्चों के भी घायल होने या मारे जाने की खबरें हैं। शुक्रवार को लेबनान की राजधानी में हुए हवाई हमलों में कई नागरिक और हिजबुल्लाह के लड़ाके मारे गए।
इज़राइल के प्रधानमंत्री बिन्यामिन नेतन्याहू ने सोमवार को जारी एक वीडियो संदेश में लेबनान के नागरिकों को चेतावनी दी कि हिजबुल्लाह, जिसे कई देश आतंकवादी संगठन मानते हैं, उनकी सुरक्षा के लिए खतरा बना हुआ है। उन्होंने कहा, 'कृपया तुरंत अपने आप को खतरे से हटा लें। हमारे ऑपरेशनों के बाद आप सुरक्षित रूप से घर लौट सकते हैं।' हालांकि, कुछ सीमा क्षेत्रों में इज़राइली हमलों से हुए विनाश के कारण निवासियों के पास लौटने के लिए घर भी नहीं बचे हैं।
Ashutosh Bilange
सितंबर 24, 2024 AT 21:47इज़राइल‑हिजबल्ला के बीच की इस लगातार चलती गोलीबारी ने पूरे लेबनान को भयावह दहशत में डाल दिया है।
हर सुबह जब लोग उठते हैं, तो उनके कानों में लगातार ध्वनि वाले अलार्म सुनाई देते हैं और उनका दिल धड़कता है।
सुरक्षित स्थान ढूँढने की उलझन में लोग बंधे‑बंद हो गए हैं, जैसे कोई खेल का अंत नहीं देख पा रहा हो।
सिंघासन की ओर जाने वाले रास्ते पर गाड़ियों का अटूट प्रवाह है, लेकिन हर गाड़ी में एक सूनी आँख और बेबसी की कहानी है।
पिछले दो दशकों में ऐसी मारी‑पीट नहीं देखी गई थी, और अब यह इतिहास के पन्नों में एक काली धुंध बनकर लिखी जा रही है।
हिजबल्ला ने लगभग 100 मिसाइलें फेंकीं, कुछ तो इज़राइल की गहराइयों तक पहुँच गईं, लेकिन कई तो मोबाइल सिस्टरन की तरह रोकी गईं।
इज़राइल की मिसाइल रक्षा प्रणाली ने कुछ रॉकेटों को नष्ट कर दिया, पर कई घर और स्कूल तबाह हो गये।
सुनामी जैसी इस हिंसा ने हर छोटे‑बड़े परिवार को अपने घरों से निकाल कर फिर से उजाड़ बना दिया।
बच्चे भी इस युद्ध के चक्र में फंस गये हैं, उनका मन अब भी शरारत के बजाय गुस्से में भरा है।
कई डॉक्टरों ने कहा कि अस्पताल में बचे हुए मरीजों की हालत गंभीर है और उन्हें तुरंत मदद चाहिए।
सरकार ने लोगों को अज्ञात फोन कॉल्स के जरिए सुरक्षित स्थानों की सलाह देना शुरू किया है, पर कई लोग इस पर भरोसा नहीं करते।
एक व्यापारी ने बताया कि उन्होंने और उनके तीन बच्चों के साथ बर्लोमे में शरण ली, पर अब भी रातों‑रात उनका मन नहीं लगा।
इज़राइली सेना ने जमीनी आक्रमण की संभावना को नहीं खारिज किया है, जिससे स्थिति और भी तनावपूर्ण हो रही है।
यह सब देखकर ऐसा लगता है जैसे हम सब एक बड़े कूलर में फँसे हैं, जहाँ बाहर की ठंड बर्दाश्त नहीं होती।
आशा है कि इन सभी पीड़ितों को जल्द ही शांति और सुरक्षा मिले।
Kaushal Skngh
अक्तूबर 8, 2024 AT 09:46स्थिति बहुत दयनीय है।
Harshit Gupta
अक्तूबर 21, 2024 AT 11:40देखो भाई, इस पूरे दंगे में कोई नहीं बचा, इज़राइल के काम से लैबनान को नयी कष्ट मिल रही है।
हिजबल्ला जैसे अंधाधुंध समूह को हटा दो, हमारे देश को हमेशा स्थिरता चाहिए।
अगर नहीं रोकेगे तो ये टाबरबंदियाँ और भी बढ़ेंगी, ये कोई अफवाह नहीं।
ये सब संघर्ष सिर्फ़ शक्ति के खेल हैं, आम जनता को कोयले की तरह जलाते रहेंगे।
समय आया है कि हम एकजुट हों और इस अराजकता को खत्म करें।
HarDeep Randhawa
नवंबर 3, 2024 AT 05:13ओह, क्या बात है!
ऐसे ही नाटकिया बैनर वाले लोग, हमेशा ही सच्चाई को उल्टा घुमा देते हैं, सच कहूँ तो, इस मुद्दे में कई पहलुओं को देखा नहीं गया है!
आपकी बातों से तो लगता है कि आप इस संघर्ष के हर कोने को जानते हैं, पर दिमाग में कोई नया सोच नहीं है, बस चाइल्ड फॉर्मूले की तरह दोहराते रहते हैं!
कभी सोचा है, असली समस्या क्या है? आखिर वह कौन हैं जो इस टकराव को जिंदा रख रहे हैं? यह सब नजरअंदाज़ नहीं किया जा सकता!
Nivedita Shukla
नवंबर 15, 2024 AT 22:46चलो एक सोचते हैं: हिंसा का चक्र एक अनंत गलीचा है, जहाँ हर धागा एक दर्द की कहानी बुनता है।
यदि हम इस बुनावट को तोड़ना चाहते हैं तो हमें सच्ची सहानुभूति चाहिए, न कि केवल शब्दों की गड़बड़।
पढते‑पढते ऐसा लगता है कि हर बक्से में एक नया शोक चलता है; बच्चों की हँसी अब कब तक मौन रहेगी?
भूलो मत, इतिहास केवल उन लोगों का है जो भागते नहीं, बल्कि खड़े होते हैं।
समय आने वाला है जब लोग अपनी दहाड़ से नहीं, बल्कि अपने कार्यों से आवाज़ देंगे।
जब तक हम अपने दिल की दीवारें नहीं तोड़ते, ये जंग नहीं रुकेगी।
समाज की बौछारों से बचने के लिए हमें अपने अंदर की अँधियारी को उजाले में बदलना होगा।
जहाँ तक संभव हो, एक नया सूरज उगाने की आशा हमेशा रखो।
Rahul Chavhan
नवंबर 28, 2024 AT 16:20भाई लोग, इस समस्या का समाधान आसान नहीं है, पर हम छोटे‑छोटे कदम उठाकर बड़ा बदलाव ला सकते हैं।
पहले तो सुरक्षित जगहों की जानकारी फैलाओ, फिर ज़रूरतमंदों को भोजन और दवा देना शुरू करो।
सभी मिलकर इस कठिनाई को पार कर सकते हैं, बस हिम्मत रखना जरूरी है।
Joseph Prakash
दिसंबर 11, 2024 AT 09:53ये सब देख के दिल दुखता है 😢 पर हमें आगे बढ़ते रहना चाहिए 🙏