एशिया कप 2025: बांग्लादेश ने हांगकांग को 7 विकेट से हराया, फिर भी ग्रुप B में श्रीलंका शीर्ष पर

सित॰, 19 2025

ग्रुप B का समीकरण और मैच की तस्वीर

शेख ज़ायेद स्टेडियम, अबू धाबी में बांग्लादेश ने दबाव भरे मुकाबले में हांगकांग को सात विकेट से हराया और 20 ओवर में 143/7 के लक्ष्य को 17.4 ओवर में 144/3 बनाकर हासिल किया। यह जीत साफ-सुथरी रही—टॉप ऑर्डर ने शुरुआत दी, बीच के ओवरों में स्ट्राइक रोटेशन दिखा और आखिर में शांत फिनिश। फिर भी, बांग्लादेश ग्रुप B में शीर्ष पर नहीं पहुंच पाया क्योंकि श्रीलंका पहले ही तीनों मैच जीतकर नंबर-1 लॉक कर चुका था। यही इस टूर्नामेंट की खूबसूरती है: हर जीत जरूरी है, पर समय पर मिली हार तालिका की दिशा बदल देती है।

हांगकांग की पारी 143/7 पर थमी। शुरुआत में उनके बल्लेबाजों ने विकेट बचाकर रन जोड़े, लेकिन बांग्लादेश के गेंदबाजों ने बीच के ओवरों में कसा हुआ खेल दिखाया। डेथ ओवर्स में लेंथ में सटीक बदलाव हुए, बाउंड्री रोकने की कोशिश सफल रही और नो-बॉल या फ्री-हिट जैसी गलतियां नहीं हुईं। नतीजा—हांगकांग सेट प्लेटफॉर्म को बड़े स्कोर में नहीं बदल सका।

चेज के दौरान बांग्लादेश ने रिस्क कंट्रोल रखा। पावरप्ले में अनावश्यक शॉट्स नहीं लगाए, 6 से 7 की रनरेट कायम रही। स्पिन आते ही सिंगल-डबल बढ़े और जब फील्ड फैला, तो गैप्स में शॉट्स निकले। अंत के ओवरों में एक-दो बड़े शॉट बने और 17.4 में लक्ष्य पार। यह वही टेम्पलेट है जो नॉकआउट की तरह दबाव वाले खेल में भरोसा देता है: विकेट हाथ में, रनरेट नियंत्रण में और खत्म करने वाले बल्लेबाज की उपस्थिति।

अब सवाल—जीत के बाद भी बांग्लादेश शीर्ष पर क्यों नहीं? सरल वजह: पहले श्रीलंका से मिली हार। श्रीलंका तीन में तीन जीत के साथ 6 अंक पर रहा, जबकि बांग्लादेश दो जीत और एक हार के साथ 4 पर। नेट रन रेट की चर्चा की जरूरत नहीं पड़ी, क्योंकि शीर्ष स्थान पर आने के लिए श्रीलंका को मात देनी ही पड़ती। यही वह ‘मिस्ड मोमेंट’ है जिसे बांग्लादेश अब सुपर फोर में सुधारना चाहेगा।

ग्रुप B का फाइनल परिदृश्य साफ है:

  • श्रीलंका: 3 मैच, 3 जीत – शीर्ष पर, अपराजित
  • बांग्लादेश: 3 मैच, 2 जीत – दूसरे स्थान पर, सुपर फोर में
  • अफगानिस्तान: 3 मैच, 1 जीत – बाहर
  • हांगकांग: 3 मैच, 0 जीत – बाहर

इस ग्रुपिंग ने अफगानिस्तान के लिए मुश्किल खड़ी कर दी। प्रतिभा है, मैच-विनर्स हैं, लेकिन छोटे-छोटे पल हाथ से निकल गए। हांगकांग के लिए यह बड़े मंच पर वापसी थी—डिसिप्लिन दिखा, पर टॉप टीमों के स्तर तक पहुंचने में अभी सफर बाकी है।

दूसरी ओर ग्रुप A में भारत और पाकिस्तान ने सुपर फोर टिकट पक्के किए। भारत ने हाई-प्रोफाइल मुकाबले में पाकिस्तान पर जोरदार जीत दर्ज कर टोन सेट कर दिया। यूएई ने ओमान को हराकर एक यादगार नतीजा निकाला, लेकिन अंक तालिका उनके पक्ष में नहीं बनी और दोनों टीमें बाहर हो गईं।

सुपर फोर: रणनीति, ताकतें और चुनौतियां

सुपर फोर: रणनीति, ताकतें और चुनौतियां

अब शुरू होता है असली प्रेसर-कुकर: सुपर फोर। चारों टीमें—भारत, पाकिस्तान, श्रीलंका और बांग्लादेश—राउंड-रॉबिन खेलेंगी। हर टीम बाकी तीनों से एक-एक मैच खेलेगी। शीर्ष दो फाइनल में पहुंचेंगे। यहां एक ओवर, एक स्पेल, एक कैच भी नतीजा पलट सकता है। बराबरी के अंक पर नेट रन रेट निर्णायक बनेगा, इसलिए हर रन और हर डॉट बॉल मायने रखेगी।

बांग्लादेश के लिए सबसे बड़ा काम पावरप्ले में इंटेंट और स्मार्टनेस का संतुलन है। शुरुआत में 40-45 बिना नुकसान के मिल जाएं, तो बीच के ओवर आसान हो जाते हैं। स्पिन के खिलाफ स्ट्राइक रोटेशन और बॉउंड्री ढूंढने के कॉम्बो पर और मेहनत करनी होगी। गेंदबाजी में डेथ ओवर्स की यॉर्कर-लेंथ कंसिस्टेंसी, और 16-20 ओवर में नो-बॉल/वाइड से बचाव जरूरी है। फील्डिंग में स्लिपेज—ड्रॉप कैच, मिसफील्ड—को जीरो पर लाना होगा। यही बारीकियां बड़े मैच जिताती हैं।

श्रीलंका का कॉन्फिडेंस इस समय हाई है। तीन जीत से मिला मोमेंटम, ऑलराउंड बैलेंस और यूएई की पिचों पर स्पिन-सीम का मिक्स—सब उनके पक्ष में है। वे बीच के ओवरों में खेल को धीरे-धीरे पकड़ते हैं और विकेट के बीच दौड़ से स्कोर आगे बढ़ाते हैं। कमज़ोरी? नई गेंद पर स्विंग मिलते ही शुरुआती झटके लग सकते हैं और एक्स्ट्रा पेस पर डॉट-बॉल का दबाव बढ़ जाता है। फिर भी, बांग्लादेश पर उनकी पिछली जीत उन्हें मानसिक बढ़त देती है।

भारत की पहचान डेप्थ और टेम्पो है। टॉप और मिडिल—दोनों में पावर है, और विकेट लेने वाले स्पिन विकल्प बीच में रफ्तार नहीं गिरने देते। हालिया फॉर्म बताता है कि वे चेज़ करते हुए खासा खतरनाक हैं। चुनौती वहीं आती है जब गेंद नई है, थोड़ी मूवमेंट है और पिच दो-गति वाली है—तब साझेदारी बनाकर झटका झेलना होगा।

पाकिस्तान की ट्रंप कार्ड तेज गेंदबाजी है। नई गेंद पर झटका और डेथ में यॉर्कर—दोनों हथियार मौजूद हैं। बल्लेबाजी अगर 20 ओवर तक फैली रहे और बीच में स्ट्राइक रेट 130-140 के आसपास रहे, तो वे 170-180 का स्कोर नियमित बना सकते हैं। स्पिन के खिलाफ मध्य ओवर्स में बाउंड्री ढूंढना उनकी ‘कुंजी’ रहेगा।

कंडीशंस की बात करें तो अबू धाबी की पिचें सुस्त हो सकती हैं और बाउंड्री बड़ी हैं। यहां 160-170 का टोटल कई बार मैच-विनिंग बन जाता है। शाम के मैचों में ओस असर डालती है, इसलिए टॉस जीतने पर टीमें अक्सर चेज़ के पक्ष में जाती हैं। बांग्लादेश जैसे यूनिट के लिए यह अच्छा है, क्योंकि उनके पास एंकर-फिनिशर का जोड़ा काम कर रहा है। दूसरी तरफ, अगर पहले बल्लेबाजी करनी पड़ी, तो 6-8 ओवर तक क्रीज़ पर टिककर बाद में गियर बदलना अहम रहेगा।

स्क्वॉड मैनेजमेंट भी कहानी को बदलेगा। नंबर-3 और नंबर-4 पर कौन बैट करेगा, फिनिशर की भूमिका किसे मिलेगी, और क्या अतिरिक्त स्पिनर के लिए किसी पेसर को बाहर बैठना होगा—ये फैसले मैच-टू-मैच बदल सकते हैं। अगर किसी खिलाड़ी की निगरानी चल रही है, तो बैकअप तैयार रखना समझदारी होगी। माइंडसेट सबसे बड़ा फैक्टर है: शुरुआती झटके लगें, फिर भी 20 ओवर तक गेम में रहने की जिद ही बड़े टूर्नामेंट में फर्क बनाती है।

ग्रुप B से कुछ साफ सबक मिलते हैं:

  • हाई-स्कोर जरूरी नहीं, पर 150 के आसपास का ‘पार स्कोर’ डिफेंड भी हो सकता है—अगर बीच के ओवर टाइट हों।
  • चेज़ में विकेट हाथ में रखना गेम प्लान की रीढ़ है।
  • माइक्रो-एरर्स—नो-बॉल, ड्रॉप कैच और मिसफ़ील्ड—सीधे पॉइंट्स टेबल पर असर डालते हैं।
  • अपराजित श्रीलंका को हराने के लिए पावरप्ले में बढ़त लेना अनिवार्य है।

अब नजरें सुपर फोर पर हैं, जहां चारों टीमें एक-दूसरे की कमियों पर सीधा निशाना साधेंगी। भारत-पाकिस्तान की राइवलरी, श्रीलंका का भरोसा और बांग्लादेश का भूख—संतुलन यही तय करेगा कि फाइनल के दो टिकट किसके नाम होंगे। बांग्लादेश के पास तालिका भले शीर्ष की न हो, पर फॉर्म और स्पष्ट रोल्स के सहारे वे दावेदारी में मजबूती से मौजूद हैं। यही एशिया कप 2025 की धड़कन है—हर शाम एक नया मोड़, हर सत्र एक नई कहानी।