धनुष की 50वीं फ़िल्म 'रायण' : रोमांचक यात्रा, लेकिन अधूरी

जुल॰, 26 2024

धनुष की 50वीं फिल्म 'रायण' का समीक्षा

धनुष ने अपनी 50वीं फिल्म 'रायण' के माध्यम से एक बार फिर दर्शकों को प्रभावित करने का प्रयास किया है। उनकी यह दूसरी निर्देशित फिल्म है और उन्होंने इसे एक रिवेंज थ्रिलर के रूप में प्रस्तुत किया है। 'रायण' एक ऐसी कहानी है जो परिवार, बदला और अस्तित्व की जद्दोजहद को बखूबी दिखाने की कोशिश करती है।

कहानी का सार

फिल्म की कहानी काथविरायन उर्फ रायण के इर्द-गिर्द घूमती है, जो अपने दो छोटे भाइयों और एक बच्ची बहन की देखभाल करता है। उनके माता-पिता के गायब होने के बाद, रायण का जीवन संघर्षों और चुनौतियों से घिर जाता है। कहानी में दिखाया गया है कि किस प्रकार रायण एक निर्दयी दुनिया में अपने परिवार को जीवित रखने के लिए संघर्ष करता है।

मुख्य पात्र और उनका प्रदर्शन

फिल्म में धनुष का प्रदर्शन दमदार है, विशेषकर उनके अभिनय का प्रसंशा योग्य हिस्सा इंटरवल के ठीक पहले का है। प्रकाश राज, सुन्दीप किशन, कालिदास जयराम और दुशारा विजय जैसे कलाकारों ने भी अपनी भूमिकाओं में जान डाली है। सभी के अभिनय की तारीफ करना जायज है, क्योंकि उन्होंने अपने किरदारों को पूरी तरह से जिया है।

दृश्य और संगीत

फिल्म विजुअली शानदार है। दृश्य प्रभाव, कैमरा वर्क और लोकेशन का उपयोग कहानी के महत्व को बढ़ाता है। संगीत फिल्म की आत्मा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है और कुछ दृश्यों में इमोशनल तीव्रता को बढ़ाता है। हालांकि, कई स्थानों पर बैकग्राउंड म्यूजिक इतना ऊँचा हो जाता है कि संवाद पीछे छूट जाते हैं।

कहानी और निर्देशन

धनुष के निर्देशन की तारीफ करना बनता है क्योंकि उन्होंने इंटेन्सिटी और इमोशनल क्लैश को दर्शाने में सफलता पाई है, खासकर इंटरवल के नजदीक के दृश्य में। हालांकि, जैसे-जैसे फिल्म आगे बढ़ती है, कहानी अपनी गति खो देती है। पात्रों की बैकस्टोरी और इमोशनल गहराई कम होना फिल्म को कमजोर बनाता है। दुर्भाग्य से, अंत तक आते-आते फिल्म की मुख्य थीम भी व्यावसायिकता की बलि चढ़ जाती है।

कमज़ोर पहलू

फिल्म का दूसरा भाग कहीं-कहीं निर्देशक की पकड़ से छूट जाता है। कई ट्विस्ट और टर्न्स के बावजूद, फिल्म का कलेवर और क्लाइमेक्स दर्शकों की अपेक्षाओं पर खरा नहीं उतर पाता। बदला कथा में इमोशनल कनेक्ट की कमी फिल्म का सबसे बड़ा नुकसान है।

अंतिम विचार

कुल मिलाकर, 'रायण' एक दिलचस्प प्रयास है जो अपने विजुअल और परफॉर्मैंस से प्रभावित करता है लेकिन कहानी की गहराई और इमोशनल कनेक्ट में मात खा जाता है। यह फिल्म धनुष के फैंस के लिए खास हो सकती है, लेकिन एक साधारण दर्शक के लिए यह एक अधूरा अनुभव साबित हो सकता है।

19 टिप्पणि

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    Nivedita Shukla

    जुलाई 26, 2024 AT 18:43

    धनुष की 'रायण' ने दिल की गहराइयों को झकझोर दिया, जैसे कोई भी सवाल असमान्य हो जाए।
    परिवार के लिए किए गए बलिदान का भाव गहराई में उतरता है, पर कहानी की बेतहाशा दिशाओं ने उसे धुंधला कर दिया।
    कैसे अक्सर हमारे अंदर की आंधी परिधि को तोड़ देती है, यह फिल्म हमें दर्शाती है।
    यहाँ तक कि अंत की मद्धिम चमक भी हमें यह याद दिलाती है कि साहस का अर्थ क्या होता है।
    फिर भी, कुछ महत्वपूर्ण मोड़ गायब रह गए हैं, जिससे दर्शकों की उम्मीदें अधूरी रह गईं।

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    Rahul Chavhan

    अगस्त 5, 2024 AT 06:30

    फ़िल्म में एक्शन तो ज़बरदस्त है, पर कहानी में थोड़ा गड़बड़ लग रहा था।
    भाई-बहनों के रिश्ते को दर्शाया ढंग से अच्छा लगा।
    आगे बढ़ते हुए pacing थोड़ा धीमा हो गया, यही मुख्य कमी है।

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    Joseph Prakash

    अगस्त 14, 2024 AT 18:17

    साउंड का लेवल बहुत हाई है 🎧 कभी‑कभी डायलॉग सुनाई नहीं देता। कहानी में थोड़ा और गहराई नहीं है।

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    Arun 3D Creators

    अगस्त 24, 2024 AT 06:03

    इंसान की आत्मा का संघर्ष दिखाने की कोशिश में, फिल्म ने कभी‑कभी रास्ता खो दिया।
    जैसे कोई दार्शनिक विचार बोर्ड पर लिखी हो, पर पढ़ा न जा सके।
    इंटरवल के बाद की दांव बहुत तेज़ थे, लेकिन बताने में जगह बाकी रह गई।
    इसी कारण से दर्शक थोड़े खो गये, लेकिन माहौल भरपूर था।

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    RAVINDRA HARBALA

    सितंबर 2, 2024 AT 17:50

    देखिए, फ़िल्म में बहुत सारे क्लिशे हैं, जैसे हर एक थ्रिलर में होता है।
    अंत में दिखाया गया प्लॉट ट्विस्ट काफी ख़राब था, और यह दर्शकों को निराश करता है।
    बजट की भरपाई के लिए ज्यादा पॉपुलर एलिमेंट्स डाले गए लगते हैं, जो कहानी को कमजोर बनाते हैं।

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    Vipul Kumar

    सितंबर 12, 2024 AT 05:37

    धनुष की फिल्म में दृश्यों की खूबसूरती को सलाम।
    साथ ही, अगर हम कहानी की गहराई को थोड़ा और बेहतर बनाते, तो यह एक क्लासिक बन सकता था।
    समग्र रूप से, यह एक अच्छा प्रयास है और फैंस के लिए मज़ेदार रहेगा।

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    Priyanka Ambardar

    सितंबर 21, 2024 AT 17:23

    इंडियन सिनेमा को ऐसे फ़िल्मों की ज़रूरत है जो राष्ट्रीय भावना को जोड़ें! 💪
    ‘रायण’ ने तो इस दिशा में कदम रखा है, लेकिन अभी भी बहुत काम बाकी है।
    फ़िल्म को एग्ज़ीक्यूटिव प्रोडक्शन में थोड़ा और मेहनत की जरूरत है।

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    sujaya selalu jaya

    अक्तूबर 1, 2024 AT 05:10

    फिल्म की विज़ुअल्स बहुत अच्छे हैं, लेकिन कहानी में कुछ फंक्शनल गड़बड़ है।

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    Ranveer Tyagi

    अक्तूबर 10, 2024 AT 16:57

    वाह! क्या दृश्य थे! 🎬
    धनुष की एक्शन तो लाजवाब है!!!
    साउंड भी बहुत ज़ोरदार, लेकिन डायलॉग्स कुछ क्षणों में बिखर जाते हैं!!!
    कुल मिलाकर, यह फ़िल्म गरजों की तरह ज़ोरदार है, पर कुछ जगहों पर फील नहीं आता!!!

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    Tejas Srivastava

    अक्तूबर 20, 2024 AT 04:43

    कहानी में भावनाओं की लहरें छलक रही थीं!
    पर जैसे ही इंटेंसिटी बढ़ी, कुछ मोमेंट्स में धुंधली पड़ गई!
    सरलीकृत संवाद कभी‑कभी दिल को छूते नहीं!
    विज़ुअल इफ़ेक्ट्स की सराहना करनी चाहिए!
    फिर भी, संगीत बहुत हार्मोनियस था!
    अगर बैकग्राउंड म्यूजिक को थोड़ा कम किया जाता तो डायलॉग्स स्पष्ट होते!
    डायरेक्शन की ताकत बाद के हिस्से में थोड़ी गिर गई!
    पात्रों की बैकस्टोरी को और गहरा किया जा सकता था!
    थ्रिलर के तौर पर यह काफी आकर्षक था!
    दर्शक की उम्मीदों को पूरा करने में कुछ कमियां रह गईं!
    फ़िल्म में परफ़ॉर्मेंस तो टॉप पर था!
    इंटरवल के बाद की दृश्यों में हलचल बहुत बड़ी थी!
    बजट के हिसाब से बहुत कुछ किया गया, पर कहानी का संतुलन बिगड़ गया!
    कुल मिलाकर, यह एक निष्पक्ष कोशिश थी!
    बाद में सुधार की जरूरत है!

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    JAYESH DHUMAK

    अक्तूबर 29, 2024 AT 16:30

    ‘रायण’ का विश्लेषण करने पर कई पहलुओं को समझा जा सकता है। प्रथम, फिल्म की कथा संरचना में एक मूलभूत त्रुटि नज़र आती है; प्रारंभिक परिदृश्य में दर्शक को भावनात्मक रूप से जोड़ना अपेक्षित है, परन्तु आगे की घटनाओं में यह बंधन ढीला पड़ता है। द्वितीय, मुख्य पात्र की प्रेरणा को स्पष्ट रूप से स्थापित किया गया है, फिर भी कुछ मोड़ वह स्पष्टता खो देते हैं, जिससे दर्शक को कथानक के क्रम में भ्रमित किया जाता है। तृतीय, तकनीकी रूप से दृश्यों का निर्माण उत्कृष्ट है; कैमरा एंगल, लाइटिंग, तथा पोस्ट‑प्रोडक्शन में प्रयुक्त VFX कई स्थानों पर प्रभावशाली हैं। चौथी बात, संगीत की चयन में गहरा विचार किया गया है, परन्तु कभी‑कभी बैकग्राउंड लेवल अधिक होने से संवाद अस्पष्ट हो जाता है। पाँचवीं, अभिनय का स्तर शानदार है; विशेषकर धनुष का प्रस्तुतिकरण में तीव्रता और संवेदनशीलता दोनों ही नज़र आती हैं। छठी, द्वितीय अंशन में कथानक का गति धीरे‑धीरे घटती है, जिससे दर्शक की उत्सुकता घटने लगती है। सातवां, पात्रों की बैकस्टोरी को और विस्तारित किया जा सकता था, जिससे दर्शक उन्हें अधिक समझ पाते। आठवां, फिल्म की अवधि को थोड़ा संक्षिप्त करने से निरंतरता बनी रहती और पिचास को हटाया जा सकता था। नवां, अंत में व्यावसायिक दबाव ने मूल थीम को कमजोर कर दिया, जो कि एक उपभोक्ता के रूप में निराशाजनक है। दशवां, फिल्म को एक सांस्कृतिक दृष्टिकोण से देखें तो यह पारम्परिक भारतीय मूल्यों को महत्वपूर्ण रूप में प्रसारित करती है, परन्तु आधुनिक दृष्टिकोण में यह कुछ हद तक पुरानी लगती है। इलेवन, समग्र रूप से, यह फिल्म कई पहलुओं में सफल है, परन्तु कुछ प्रमुख मुद्दों में सुधार आवश्यक है। बारहवां, यदि निर्देशक आगे भी इस शैली में प्रयोग जारी रखेंगे, तो आशा है कि वे इन त्रुटियों को ध्यान में रखकर अधिक समृद्ध कृतियों का सृजन करेंगे।

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    Santosh Sharma

    नवंबर 8, 2024 AT 04:17

    फ़िल्म की ऊर्जा बहुत अच्छी थी, परन्तु कहानी में कुछ छेद सहज महसूस हुए।

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    yatharth chandrakar

    नवंबर 17, 2024 AT 16:03

    धनुष की एक्टिंग तो काबिले तारीफ़ है, लेकिन कुछ दृश्य इतने तेज़ थे कि समझ नहीं आया।

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    Vrushali Prabhu

    नवंबर 27, 2024 AT 03:50

    फ़िल्म में विजुअलस बहुत बिंदस है, पर कहानी वाला भाग डस्ड है। डिस्क्रिप्शन सरळ लिखा गया।

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    parlan caem

    दिसंबर 6, 2024 AT 15:37

    बेकार की फ़िल्म, पैसा वाया गया। मोड़ भी किचेन के जैसे बेसिक थे।

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    Mayur Karanjkar

    दिसंबर 16, 2024 AT 03:23

    फ़िल्म में प्रयुक्त ध्वनि-संस्करण तंत्र जटिल है, परन्तु संवाद स्पष्टता अनिवार्य है।

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    Sara Khan M

    दिसंबर 25, 2024 AT 15:10

    फ़िल्म ठीक-ठाक है।

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    shubham ingale

    जनवरी 4, 2025 AT 02:57

    साउंड लेवल की समस्या आप सही कह रहे थे, लेकिन संगीत की रचना बहुत दिल को छू गई।

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    Ajay Ram

    जनवरी 13, 2025 AT 14:43

    विज़ुअल्स की प्रशंसा करनी चाहिए, परन्तु कथा को अधिक सुसंगत बनाना चाहिए। यह विचारधारा का संतुलन बना रहे, तभी फिल्म यादगार बनती।

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