भारतीय विमानन क्षेत्र में एक नया युग शुरू हो चुका है। वडोदरा में टाटा एयरक्राफ्ट कॉम्प्लेक्स के उद्घाटन के साथ ही इस क्षेत्र ने आत्मनिर्भरता की ओर एक बड़ा कदम बढ़ाया है। यह भारत का पहला निजी सुविधाजनक केंद्र होगा, जहां सैन्य विमानों का निर्माण किया जाएगा। भारतीय वायुसेना के पूर्व प्रमुख राकेश कुमार सिंह भदौरिया ने इस परियोजना को वायु सेना और भारतीय रक्षा उत्पादन के लिए एक अनूठी पहल के रूप में सराहा है।
इस अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनके स्पेनी समकक्ष पेड्रो सांचेज की उपस्थिति में इस कॉम्प्लेक्स का उद्घाटन किया गया। यह केन्द्र भारतीय विमानन क्षेत्र को एक नए दिशा में ले जाने के लिए प्रेरित करेगा। यहां C295 विमान का उत्पादन किया जाएगा, जो पुराने अवरो विमानों को बदलने के उद्देश्य से शुरू किया गया एक महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट है। अवरो विमान भारतीय वायुसेना में 1960 के दशक से संचालित हो रहे हैं और उनकी सेवा समय सीमा समाप्त हो चुकी है।
C295 विमान अपनी आधुनिक तकनीक और क्षमता की वजह से वायु सेना के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह विमान सैनिकों की आवाजाही, कार्गो परिवहन, अग्रिम क्षेत्रों में आपूर्ति, पैराड्रॉप, चिकित्सा निकासी और संचार सेवाओं के लिए विशिष्ट है। पूर्व वायुसेना प्रमुख भदौरिया ने इसकी प्रशंसा करते हुए कहा कि यह विमान सभी प्रकार के अभियानों का समर्थन करने में सक्षम है जो पहले अवरो द्वारा किए जाते थे।
C295 के निर्माण के लिए जो प्रौद्योगिकी भारत में लाई जा रही है, वह भी महत्वपूर्ण है। टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स लिमिटेड द्वारा 40 विमान भारत में बनाए जाएंगे जबकि 16 विमान स्पेन से एयरबस द्वारा सीधे निर्मित और आपूर्ति किए जाएंगे। इस तरह की पहल से न केवल तकनीकी निर्भरता घटेगी बल्कि तकनीकी ज्ञान का भी भारत में विस्तार होगा।
वडोदरा में स्थित यह कॉम्प्लेक्स 18,000 से अधिक विमान पुर्जों के देशी निर्माण का समर्थन करेगा। इससे देश के सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (MSMEs) के लिए नए अवसर पैदा होंगे। इन छोटे और मध्यम आकार के उद्योगों को इस परियोजना के साथ सहयोग करने का प्रमुख अवसर मिलेगा, जो उन्हें विमानन क्षेत्र की आपूर्ति श्रृंखला में प्रमोट करेगा।
पूर्व वायुसेना प्रमुख भदौरिया ने इस परियोजना को देश के विमानन विकास में 'गेम चेंजर' के रूप में वर्णित किया है। उनकी राय में, भारतीय मिट्टी पर निर्मित विमानों का संचालन बनाए रखने की संपूर्ण श्रृंखला को आसान बनाता है, जैसा कि स्पेयर आपूर्ति, नियमित सेवा और प्रमुख ओवरहॉल्स के मामले में देखा जा सकता है। मॉडर्नाइजेशन और प्रमुख उन्नयन को स्थानीय स्तर पर अधिक सुगम बनाया जा सकता है, जिसमें एवियोनिक्स अपग्रेड्स या लोड संवर्द्धन शामिल हैं।
वडोदरा का यह नया परियोजना केंद्र भारतीय विमानन के विकास के लिए एक मील का पत्थर है। इसके साथ ही, यह स्थानीय रूप से निर्मित तकनीकी उत्पादों का उपयोग करने वाले व्यवसायों के लिए प्रेरित करने वाला है।
भारतीय रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने के लिए यह एक बड़ा कदम है। यह परियोजना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 'मेक इन इंडिया' और 'आत्मनिर्भर भारत' दृष्टिकोण का एक जीवंत उदाहरण है। इन परियोजनाओं का उद्देश्य न केवल देश की सुरक्षा क्षमताओं को बढ़ाना है बल्कि वैश्विक स्तर पर भारत को एक महत्वपूर्ण खिलाड़ी के रूप में स्थापित करना भी है।
भारतीय विमानन क्षेत्र में यह विकास देश के लिए गर्व की बात है और इसे एक लंबी प्रक्रिया का हिस्सा माना जा सकता है जो न केवल सेना को मजबूत बनाने का कार्य करेगा बल्कि स्थानीय उद्योगों को भी उभरने का अवसर देगा।