बहराइच में हाल ही में हुई हिंसा के मामले ने उत्तर प्रदेश में बहुत चर्चा बटोरी है। यह घटना तब उभर कर आई जब दो मुख्य आरोपी, मोहम्मद सरफराज और मोहम्मद तालिब, पुलिस के शिकंजे से नेपाल भागने का प्रयास कर रहे थे। यह तत्कालीन समय की घटना है जब 17 अक्टूबर 2024 को नानपारा क्षेत्र में इस मुठभेड़ का आयोजन हुआ। पुलिस को इन दोनों आरोपियों के भागने की जानकारी मिली थी और उन्होंने उन्हें पकड़ने के लिए भ्रमण किया। इसी दौरान पुलिस को हत्या के हथियार की भी बरामदगी करनी थी, जिसे उन दोनों ने संहिता में दबा रखा था।
बहराइच हिंसा की जड़ें 13 अक्टूबर को शुरू हुई थी जब दुर्गा पूजा के दौरान महाराजगंज क्षेत्र में झगड़ा भड़क उठा। कारण कहा जा रहा है कि पूजा विसर्जन के समय मंदिर के पास तेज ध्वनि में संगीत बजाया जा रहा था, जिससे मुस्लिम समुदाय के लोग नाराज हो गए। इस संघर्ष में 22 वर्षीय राम गोपाल मिश्रा की मृत्यु हो गई थी और क्षेत्र में आगजनी की घटनाएं भी देखी गई थी।
हिंसात्मक घटनाओं के बाद पुलिस की सीधी और त्वरित कार्रवाई ने मामले को काफी हद तक नियंत्रण में लिया। Superintendent of Police बहराइच, वृंदा शुक्ला के अनुसार, दोनों आरोपी भारी हथियारों से लैस थे और पुलिस पर फायरिंग कर बैठे। पुलिस ने अपने बचाव में मिलती-जुलती प्रतिक्रिया दी, जिससे उन्हें काबू में किया जा सका।
इस घटना के बाद पुलिस ने कड़े सुरक्षा उपाय किए और 55 संदिग्धों को हिरासत में लिया। यह सभी उन लोगों में से हैं जिनका हिंसा में हाथ हो सकता है। इसके अतिरिक्त, पुलिस ने आठ आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है, जिनमें से पांच को सीधे इस मुठभेड़ के बाद पकड़ा गया। Additional Director General of Police (Law and Order) अमिताभ यश ने इस बात की पुष्टि की कि पाकिस्तान में एक आरोपी से संबंध का प्रमाण मिला है, जो कि मामले की तहकीकात में एक अहम मोड़ साबित हो सकता है।
इस हादसे पर अपने राजनीतिक विरोधों की भी बौछार देखने को मिल रही है। यूपी कांग्रेस अध्यक्ष अजय राय ने इस मामले के संबंध में राज्य सरकार पर 'फेक एनकाउंटर' का आरोप लगाया है। उनके अनुसार, सरकार ने यह मुठभेड़ एक रणनीति के तहत आयोजित की। इस पर कांग्रेस सांसद इमरान मसूद का यह कहना था कि आरोपी पक्षों के बीच न्याय सुनिश्चित किया जाए।
संपूर्ण घटना ने राज्य में कानून व्यवस्था को लेकर नई बहस छेड़ दी है। जहां प्रशासन इस मामले को सुलझाने में जुटी है, वहीं विपक्ष ने भी इसे लेकर हल्ला बोल रखा है।
यह सब दिखाता है कि वर्तमान परिप्रेक्ष्य में ऐसी घटनाएं गंभीर सामाजिक चुनौती बन गई हैं, जिन्हें शांतिपूर्ण उपायों से ही निपटा जाना चाहिए। बहराइच हिंसा मामले पर आगे की कार्रवाई और न्यायिक उपक्रमों का निष्पादन यह स्पष्ट करेगा कि व्यवस्था को कितनी कुशलता से लागू किया जा सकता है।