कौन‑से राज्य में भारी बारिश?
राष्ट्रीय मौसम विभाग ने 26 सितंबर को चार राज्यों में तीव्र प्रवाह वाली बारिश की भविष्यवाणी की है। ये राज्य हैं:
- पश्चिम बंगाल
- केरल
- गुजरात
- महाराष्ट्र
इन क्षेत्रों में धीरे‑धीरे चल रहा मॉनसन अभी भी सक्रिय है, इसलिए स्थानीय प्रशासन ने आपातकालीन उपायों की चेतावनी जारी रखी है। केरल में दक्षिणी तट के आसपास वृष्टि 50 mm तक पहुँच सकती है, जबकि महाराष्ट्र में पश्चिमी घाट के हिस्से में लगातार बारिश से बाढ़ का खतरा बना रहता है। गुजरात में सूरत‑अहमदाबाद के बीच की जगहों में तेज़ शहरी बायोक्लाइमेट के कारण वर्षा अधिक तीव्र हो सकती है।
पश्चिम बंगाल में कोलकाता और आस-पास के क्षेत्रों में दोपहर के बाद झड़ने वाली बारिश से यातायात में रुकावटें देखने को मिलेंगी। इन चारों राज्यों में कृषि क्षेत्र पर भी सीधा असर पड़ेगा, विशेषकर धान की फसल के लिए यह मौसम वरदान जैसा है।
दिल्ली, उत्तर प्रदेश और उत्तराखण्ड की मौसमी स्थिति
दिल्ली के लिए मौसम पूर्वानुमान साफ रहने की पुष्टि हुई है। 26 सितंबर को कोई बूंद नहीं गिरेगी, लेकिन तापमान में बढ़ोतरी दर्ज होगी। अधिकतम तापमान 36 °C तक पहुँच सकता है, जबकि रात में न्यूनतम 26 °C रहेगा। धुंध और गर्मी के कारण कुछ क्षेत्रों में असहजता बढ़ सकती है, इसलिए स्वास्थ्य विभाग ने भारी धूप से बचने की सलाह दी है।
उत्तर प्रदेश में भी सभी जिलों को हरित क्षेत्र में वर्गीकृत किया गया है, यानी बारिश की कोई संभावना नहीं है। अगस्त में भारी बाढ़ के बाद अब सूखे की स्थिति फिर से उभर रही है। तापमान में हल्की बढ़ोतरी और ऊँची आर्द्रता नागरिकों को तनाव दे सकती है, इसलिए कई नगर पालिकाएँ जल आपूर्ति में अतिरिक्त प्रबंध कर रही हैं।
उत्तराखण्ड में भी मौसम विभाग ने कोई चेतावनी जारी नहीं की है। सभी जिलों को हरे क्षेत्र में रखा गया है, जिससे बारिश के खतरे का संकेत नहीं मिलता। हालांकि, उच्च पहाड़ी क्षेत्रों में रात के तापमान में गिरावट देखी जा सकती है, इसलिए स्थानीय लोगों को हल्की जैकेट लेकर चलने की सलाह दी गई है।
कुल मिलाकर, भारत में मॉनसन का चरण धीरे‑धीरे ख़त्म हो रहा है, परन्तु उपर्युक्त चार राज्य अभी भी भारी वर्षा के दायरे में हैं। यह असमान मौसम पैटर्न दर्शाता है कि देश के विविध भौगोलिक क्षेत्रों में बारिश की प्रगति अलग‑अलग है। नागरिकों को सलाह दी जाती है कि स्थानीय मौसम विभाग के अपडेट को लगातार देखते रहें और आवश्यकतानुसार सुरक्षा उपाय अपनाएँ।
sri surahno
सितंबर 28, 2025 AT 03:01सरकारी जल प्रबंधन निकाय की ओर से जारी चेतावनी को नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता, क्योंकि अतीत में कई बार डेटा में हेरफेर हुआ है। इस कारण से आम जनता को सतर्क रहना चाहिए। विशेष रूप से उन क्षेत्रों में जहाँ मोनसन की तीव्रता बढ़ रही है, अतिरिक्त सुरक्षा उपाय आवश्यक हैं।
Varun Kumar
सितंबर 29, 2025 AT 06:48हमारी सेना की मदद से बाढ़ नियंत्रण करेंगे, कोई बाहर का फंदा नहीं।
Madhu Murthi
सितंबर 30, 2025 AT 10:34केरल के तटीय क्षेत्रों में बारिश से समुद्री तट पर क्षति हो सकती है, इसलिए स्थानीय प्रशासन को तुरंत उपाय करने चाहिए 😊। महाराष्ट्र में भी लगातार बारिश के कारण पहाड़ी इलाके में लैंडस्लिप का जोखिम बना रहता है।
Amrinder Kahlon
अक्तूबर 1, 2025 AT 14:21ओह हाँ, फिर भी बारिश में आदमी का पैर भीगी हो जाती है।
Abhay patil
अक्तूबर 2, 2025 AT 18:08भारी बारिश वाले राज्यों में सभी को सुरक्षित रहने की सलाह देता हूँ, जल जमा होने से बचें। साथ ही, किसान भाईयों को नई जल-संचयन तकनीकों को अपनाने की प्रेरणा देनी चाहिए।
Neha xo
अक्तूबर 3, 2025 AT 21:54क्या इस बारिश से धान की फसल को कोई हानि हो सकती है? ग्रामीण क्षेत्रों में जल प्रबंधन की योजना बनाना जरूरी है।
Rahul Jha
अक्तूबर 5, 2025 AT 01:41राष्ट्रीय मौसम विभाग ने चार राज्यों में तीव्र बारिश की भविष्यवाणी की है, जो कृषि के लिए वरदान की तरह लगती है। परंतु इस वर्ष के मॉनसन में अप्रत्याशित विषमता देखी जा रही है, जिससे जलस्रोत प्रबंधन में नई चुनौतियां उत्पन्न हो रही हैं। केरल में समुद्री तट के पास 50 mm तक की वर्षा हो सकती है, जो बाढ़ जोखिम को बढ़ा देती है। महाराष्ट्र के पश्चिमी घाट के हिस्से में लगातार बारिश से पहाड़ी क्षेत्रों में लैंडस्लिप की संभावना बनती है। गुजरात के सूरत‑अहमदाबाद के बीच शहरी बायोक्लाइमेट के कारण वर्षा तीव्रता में वृद्धि देखी गई है। वहीं, दिल्ली और उत्तर प्रदेश में कोई बारिश नहीं होगी, जिससे गर्मी के साथ ही धूप की तीव्रता बढ़ेगी। उच्च तापमान और बढ़ी हुई आर्द्रता स्वास्थ्य जोखिम को भी बढ़ा सकती है, विशेषकर बुजुर्गों और बच्चों में। स्थानीय प्रशासन को समय पर जल निकासी उपायों को लागू करना चाहिए, नहीं तो जलजमाव से बचाव कठिन हो जाएगा। किसान भाईयों को सुचित किया जाता है कि जल-व्यवस्थापन के लिए नई तकनीकों को अपनाएं, जैसे कि ड्रिप इरिगेशन। ग्रहणीय तेज़ी से बढ़ता मॉनसन बदलते जलवायु पैटर्न का संकेत है, जिससे भविष्य में अनिश्चितता बढ़ेगी। इसलिए नागरिकों को स्थानीय मौसम विभाग के अलर्ट्स पर लगातार नजर रखनी चाहिए। पर्यटन उद्योग को भी इन बदलावों के अनुसार अपने प्लान को रीएडजस्ट करना चाहिए, नहीं तो आर्थिक नुकसान हो सकता है। वर्तमान में बाढ़ नियंत्रण के लिए स्वैम्पों की सफाई और स्टॉर्मवॉटर ड्रेनेज की तैयारी चल रही है। साथ ही आपातकालीन सेवाओं को अतिरिक्त संसाधन प्रदान करने की भी जरूरत है। समग्र रूप से, सतत पर्यावरण नीति और जल प्रबंधन की सुदृढ़ीकरण ही इस मौसम की चुनौतियों को कम कर सकेगा।
Gauri Sheth
अक्तूबर 6, 2025 AT 05:28ये सब देख कर मेरा दिल टूट जाता है, लोग क्या करेंगे?