Saripodhaa Sanivaaram Review: Surya की धमाकेदार एंट्री और SJ Suryah की शानदार विलेनगिरी

अग॰, 29 2024

'Saripodhaa Sanivaaram': Surya और SJ Suryah की जोरदार भिड़ंत

फिल्म ‘Saripodhaa Sanivaaram’ एक निर्देशित Vivek Athreya द्वारा बनाई गई एक्शन थ्रिलर है। फिल्म में Nani ने Surya का किरदार निभाया है, जो एक बीमा एजेंट है और उसे अपने गुस्से को संभालने में परेशानी होती है। फिल्म की शुरुआत Surya की माँ की सलाह से होती है, जिसके अनुसार वह हर शनिवार अपने गुस्से को निकालने के लिए सही कारण खोजता है।

कहानी का प्रारंभ

कहानी का प्रारंभ

Sokulapalem नामक एक काल्पनिक स्थान में स्थापित इस कहानी में Surya अपने गुस्से को उचित तरीके से निकालने की कोशिश करता है। लेकिन जब उसकी मुलाकात एक निर्दयी पुलिस इंस्पेक्टर Dayanand (SJ Suryah) से होती है, तो कहानी में नया मोड़ आता है। Dayanand एक निर्दयी पुलिसवाला है, जो बिना किसी कारण के हिंसा करता है और उसका अपने राजनीतिक भाई Kurmanand (Murali Sharma) के साथ टकराव रहता है।

मजबूत किरदार और अभिनय

फिल्म में Priyanka Mohan ने Charulatha का किरदार निभाया है जो उसी पुलिस स्टेशन में कॉन्स्टेबल है। फिल्म का प्रत्येक किरदार अपनी अलग पहचान बनाए हुए है, जिसमें Sai Kumar का विशेष उल्लेख किया जा सकता है। फिल्म में Nani ने Surya के रूप में जोरदार प्रदर्शन किया है, वहीं SJ Suryah ने एक खतरनाक विलेन के रूप में अपनी छाप छोड़ी है।

फिल्म का ढांचा और प्रस्तुति

फिल्म कई अध्यायों में विभाजित है जैसे कि Modalu, Malupu, Peetamudi, Madhyabhagam, और Daagudumoothalu। हालांकि, कहानी का मुख्य फोकस Surya और Dayanand के बीच की टकरार पर बना रहता है। फिल्म में दर्शकों को एक साथ कई फिटिंग सेगमेंट देखने को मिलते हैं, जो कभी-कभी सरप्राइजिंग होते हैं और कई बार प्रेडिक्टेबल।

अध्यायअनुभव
Modaluशानदार आरंभ
Malupuरोमांचक मोड़
Peetamudiथ्रिलर तत्व
Madhyabhagamसंघर्ष के क्षण
Daagudumoothaluक्लाइमैक्स

तकनीकी क्षेत्र और संगीत

फिल्म के तकनीकी पहलुओं ने भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। Murali G की सिनेमेटोग्राफी और Karthika Srinivas की एडिटिंग काफी सराहनीय है। Jakes Bejoy द्वारा दी गई संगीत और Ram-Laxman व Real Satish द्वारा की गई एक्शन कोरियोग्राफी भी फिल्म की प्रभावी बना देती है।

फिल्म की लंबाई

हालांकि, फिल्म की लंबाई एक बड़ा मुद्दा है, जो कुछ दर्शकों के लिए थकावट की वजह बन सकती है। इसके बावजूद, फिल्म का प्रयास पारंपरिक मास एक्शन मूवी टेम्पलेट को बदलने में काबिल-ए-तारीफ है।

निष्कर्ष

अंततः, ‘Saripodhaa Sanivaaram’ Surya का शो है, जहां SJ Suryah ने विलेन के रूप में अपनी छाप छोड़ी है। फिल्म का प्रयास नायाब है और प्रदर्शन ने फिल्म को और भी मनोरंजक बना दिया है।

15 टिप्पणि

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    RAVINDRA HARBALA

    अगस्त 29, 2024 AT 22:14

    Surya की धमाकेदार एंट्री तो सही है, लेकिन फिल्म की कहानी में गहराई नहीं दिखती। किरदारों का टकराव बहुत दिखावा जैसा लगता है, जिससे थ्रिलर का असर कम हो जाता है। अंत में क्लाइमैक्स भी थोड़ा पूर्वानुमेय रहा।

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    Vipul Kumar

    सितंबर 2, 2024 AT 10:14

    फ़िल्म ने कई पहलुओं में प्रयोग किया, जैसे कि अध्याय‑विभाजन जो दर्शकों को विविधता देता है। Nani का प्रदर्शन और SJ Suryah की विलेनगिरी दोनों ही दिलचस्प हैं, इसलिए कुल मिलाकर इसे सराहना योग्य कहा जा सकता है।

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    Priyanka Ambardar

    सितंबर 5, 2024 AT 22:14

    भाईयो और बहनों, हमारी इंडियन सिनेमा में अब ऐसी फ़िल्में बनती हैं जो असली मर्दानगी दिखाती हैं 💪😊। Surya का किरदार देशभक्ती की मिसाल है, और SJ Suriya का विला‍न बनना हमारे विरोधी को दर्शाता है। इस फ़िल्म को देखना हमारा राष्ट्रीय कर्तव्य है।

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    sujaya selalu jaya

    सितंबर 9, 2024 AT 10:14

    फिल्म में एक्शन ठीक है पर थोड़ा लंबी लगती है

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    Ranveer Tyagi

    सितंबर 12, 2024 AT 22:14

    क्या बात है! Surya की एंट्री तो लाइटनिंग की तरह थी!!! बुस्टिंग एनेर्जी, हर फ्रेम में अद्भुत कम्बैट! SJ Suryah का विलेन गामा‑रेड जैसे, गरजता हुआ! संगीत भी रॉक करो, Bejoy ने धड़कन बढ़ा दी!!

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    Tejas Srivastava

    सितंबर 16, 2024 AT 10:14

    सुर्या की गुस्से की ट्रेन जब ट्रैक से बाहर निकलती है-बूम!!!-शॉट्स की बौछार… जैसे थंडरस्टॉर्म! Dayanand का काफ़ी स्टाइलिश एंट्री, हाँ, वही पुराना डार्क एन्हांसमेंट… हर सीन में ड्रामा! वक्त के साथ लाइट्स भी डिम कर रहे थे-फिर भी इम्पैक्ट फुल!

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    JAYESH DHUMAK

    सितंबर 19, 2024 AT 22:14

    वास्तव में, 'Saripodhaa Sanिव़ार' एक प्रयोगात्मक ढांचा पेश करती है जहाँ फिल्म की संरचना पाँच अध्यायों में विभाजित है, जो न केवल कथा को व्यवस्थित करता है बल्कि दर्शक को विभिन्न भावनात्मक लहरों पर ले जाता है। पहला अध्याय, Modalu, बहुत ही आकर्षक शुरुआत देता है, जहाँ Surya की आंतरिक दुविधा स्पष्ट रूप से प्रदर्शित होती है। फिर दूसरे अध्याय Malupu में मोड़ आता है, जहाँ हम देखते हैं कि गुस्सा कैसे नायक को एक अनियंत्रित शक्ति में बदल देता है। Peetamudi में थ्रिलर तत्वों की भरमार है, जिससे हमें एक्शन की तीव्रता का वास्तविक आनंद मिलता है। Madhyabhagam में संघर्ष के क्षण अधिक सस्पेंस भरे होते हैं, जिससे कहानी का तनाव और बढ़ जाता है। अंत में Daagudumoothalu में क्लाइमैक्स की रचना इतनी कुशलता से की गई है कि दर्शक को एक सुकून भरा राहत अनुभव होती है। इस क्रम में, Nani ने Surya के भीतर के संघर्ष को इतने सूक्ष्म भावों से उजागर किया कि हर दर्शक उस दर्द को महसूस कर सकता है। SJ Suryah ने अपने वाइलन की भूमिका में न केवल क्रूरता को दिखाया, बल्कि एक अटूट आदर्शवादी दृष्टिकोण भी प्रस्तुत किया, जो अक्सर पृष्ठभूमि में छिपा रहता है। Priyanka Mohan का भी योगदान उल्लेखनीय है; वह कॉन्स्टेबल के रूप में न केवल सौंदर्य को बढ़ाती हैं बल्कि कथा में एक महत्वपूर्ण मोड़ लाती हैं। तकनीकी पहलुओं में Murali G की सिनेमेटोग्राफी ने दृश्य को विस्तृत रूप से प्रस्तुत किया, जिससे एक्शन सीन में गहराई आई। Karthika Srinivas की एडिटिंग ने कथा को सुगम बनाया, जबकि Jakes Bejoy की संगीत ने भावनात्मक स्तर को उंचा किया। विशेष रूप से, Ram‑Laxman और Real Satish की कोरियोग्राफी ने एक्शन को ऐसा रूप दिया जो यादगार बन गया। हालांकि, फिल्म की कुल लंबाई के कारण कुछ दर्शकों को थकावट महसूस हो सकती है, परंतु यह दीर्घायु संगीतात्मक अभिव्यक्ति की एक विधा समझी जा सकती है। कुल मिलाकर, यह फिल्म हमारी टॉमी‑रिकी की शैली में एक नई दिशा खोलती प्रतीत होती है, जिसमें अभिनेता‑अभिनेत्री का प्रदर्शन और तकनीकी कुशलता दोनों ही सम्मिलित हैं। अंततः, यह कहा जा सकता है कि 'Saripodhaa Sanिव़ार' भारतीय सिनेमा में एक महत्वपूर्ण कदम है, जो न केवल मनोरंजन देता है बल्कि विचारणीय भी बनाता है।

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    Santosh Sharma

    सितंबर 23, 2024 AT 10:14

    फ़िल्म ने दर्शकों को ऊर्जा की नई लहर दी है, और Nani की परफ़ॉर्मेंस इसमें मुख्य प्रेरक शक्ति के रूप में कार्य करती है। इस प्रकार, यह फिल्म प्रेरणा का स्रोत बन सकती है।

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    yatharth chandrakar

    सितंबर 26, 2024 AT 22:14

    फिल्म में कई हाई‑ऑक्टेन सीन हैं, लेकिन कुछ हिस्से थोड़ा लम्बे लगते हैं, जिससे रिदम में खलल पड़ सकता है। फिर भी, मुख्य टकराव बहुत ही रोमांचक है।

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    Vrushali Prabhu

    सितंबर 30, 2024 AT 10:14

    इह फिलोम मे धझाकाए जड़ करैऐं! सलीन अॅक्टिन्'स देख के तो मस्त झाआट रह गी, पर लम्बैइ कअ कारण थक जाऐह।

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    parlan caem

    अक्तूबर 3, 2024 AT 22:14

    इतनी लम्बी फ़िल्म शूद्रों के लिए नहीं है।

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    Mayur Karanjkar

    अक्तूबर 7, 2024 AT 10:14

    सिनेमैटिक अभिव्यक्ति में बहु-स्तरीय मोड्यूलरिटी स्पष्टतः परिलक्षित है।

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    Sara Khan M

    अक्तूबर 10, 2024 AT 22:14

    फिल्म ठीक‑ठाक है 🙄👍

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    shubham ingale

    अक्तूबर 14, 2024 AT 10:14

    चलो, इसको एक मौका दें 😊

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    Ajay Ram

    अक्तूबर 17, 2024 AT 22:14

    Jayesh जी, आपने जो अध्याय‑विभाजन और भावनात्मक लहरों की चर्चा की है, वह वास्तव में फिल्म की संरचना को समझने में मददगार है। आपका विस्तृत विश्लेषण हमें यह देखने का अवसर देता है कि कैसे नायक के अंदरूनी संघर्ष को दृश्य भाषा में परिवर्तित किया गया है। साथ ही, आपने संगीत और कोरियोग्राफी के योगदान को भी उजागर किया, जो अक्सर अनदेखा रह जाता है। आपका यह विस्तृत लेखन पाठकों के लिए एक सशक्त गाइड बनता है।

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