AGM 2025: AI पर बड़ा दांव, नई सहायक कंपनी और जियो का अगला अध्याय
मुकेश अंबानी ने इस साल की वार्षिक आम बैठक में सीधी बात रखी—जो कुछ साल पहले 4G और फिर 5G के साथ हुआ, अब वैसा ही उछाल आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस में दिखेगा। उन्होंने AI को ‘नई उम्र की कामधेनु’ बताया और घोषणा की कि समूह AI को हर भारतीय तक पहुंचाने के लिए Reliance Intelligence नाम की नई, पूरी तरह से स्वामित्व वाली इकाई बनाएगा। मकसद साफ है: भारत के लिए अगली पीढ़ी का AI इन्फ्रास्ट्रक्चर, सेवाएं और टैलेंट।
प्लान सिर्फ कागज पर नहीं है। रिलायंस ने जामनगर में गीगावॉट-स्केल, AI-रेडी डेटा सेंटरों का निर्माण शुरू कर दिया है। ये सुविधाएं चरणबद्ध तरीके से तैयार होंगी ताकि बढ़ती कंप्यूट जरूरतें तुरंत पूरी हो सकें। कंपनी कहती है कि इन परिसरों को उसके ‘न्यू एनर्जी’ इकोसिस्टम से पावर मिलेगा, यानी लक्ष्य है कि AI की भूखी मशीनों को भरोसेमंद और हरित ऊर्जा मिले। यहां कस्टम-डिजाइन्ड सिस्टम ट्रेनिंग और इन्फरेंस—दोनों के लिए तैयार होंगे।
नई इकाई को चार ठोस मिशन दिए गए हैं:
- भारत की अगली पीढ़ी की AI होस्टिंग क्षमता तैयार करना—बड़े पैमाने के कंप्यूट, हाई-स्पीड नेटवर्किंग और स्टोरेज के साथ।
- बिग टेक और ओपन-सोर्स समुदायों के साथ साझेदारी बढ़ाना ताकि ग्लोबल टेक भारत में सुलभ हो।
- भारत-केंद्रित AI सेवाएं बनाना—खासकर शिक्षा, स्वास्थ्य और कृषि जैसे सार्वजनिक-प्रभाव वाले क्षेत्रों के लिए।
- देशभर में AI टैलेंट तैयार करना—स्किलिंग, रिस्किलिंग और इंडस्ट्री-ग्रेड प्रोजेक्ट्स के जरिए।
हाइलाइट्स यहीं नहीं रुकते। जियो 500 मिलियन ग्राहकों के पार पहुंच चुका है, जो इसे दुनिया के सबसे बड़े टेलीकॉम नेटवर्क्स में से एक बनाता है। कंपनी का दावा है कि 5G रोलआउट देश में सबसे तेज रहा, जिससे मोबाइल ब्रॉडबैंड और एंटरप्राइज कनेक्टिविटी दोनों की नींव मजबूत हुई। इसी रफ्तार के साथ अगला बड़ा कदम—जियो का IPO—2026 की पहली छमाही में आने वाला है। मार्केट इसे वैल्यू अनलॉकिंग का बड़ा ट्रिगर मान रहा है।
मंच पर एक और दिलचस्प लॉन्च हुआ—‘रिया’, जो JioHotstar के लिए वॉयस-एनेबल्ड सर्च असिस्टेंट है। यूजर सिर्फ बोलकर किसी मैच में खास ओवर, किसी खिलाड़ी का हाइलाइट या किसी सीरीज के पलों तक पहुंच सकता है। रिया मल्टीलिंगुअल अनुभव भी देती है—यानी आप अपनी पसंद की भारतीय भाषा में कंटेंट देख सकते हैं और स्क्रीन पर लिप-मूवमेंट उसके साथ सिंक रहता है। खेल देखने का अनुभव जहां है, वहीं खोज की झंझट कम।
बिजनेस मोर्चे पर समूह ने 2027 के अंत तक EBITDA को दोगुना करने का लक्ष्य रखा है। साथ ही, मौजूदा 6.8 लाख के आसपास की वर्कफोर्स को बढ़ाकर आने वाले वर्षों में 10 लाख से ऊपर ले जाने की योजना है। संदेश साफ है—AI और ग्रीन फ्यूल्स, भविष्य की कमाई के बड़े इंजन होंगे, और इन दोनों को स्केल पर भरोसेमंद और किफायती बनाना रिलायंस का एजेंडा है।
अब जरा इन डेटा सेंटरों की बारीकियों पर आते हैं। गीगावॉट-स्केल का मतलब है भारी-भरकम कंप्यूट क्लस्टर्स, जहां हजारों एक्सेलेरेटर, हाई-बैंडविड्थ मेमोरी, फास्ट इंटरकनेक्ट्स और लिक्विड कूलिंग जैसी तकनीकें एक साथ चलें। AI मॉडल ट्रेनिंग के लिए लगातार, साफ और सस्ती बिजली चाहिए—यहीं नया ऊर्जा इकोसिस्टम काम आता है। इन्फरेंस के लिए लो-लेटेंसी नेटवर्क जरूरी है—यहां जियो की फाइबर और 5G बैकबोन मदद करेगी। स्टोरेज लेयर में पेटाबाइट-स्केल डेटा लेक्स और ऑब्जेक्ट स्टोरेज, ताकि मॉडल्स को लगातार डेटा खिलता रहे।
डेटा लोकैलिटी और ट्रस्ट की बात भी अहम है। कई भारतीय कंपनियां चाहती हैं कि संवेदनशील डेटा देश के भीतर रहे और उसी पर मॉडल ट्रेन हों। घरेलू AI होस्टिंग से यह जरूरत पूरी हो सकती है। साथ ही, ओपन-सोर्स मॉडल्स और इंडस्ट्री-ग्रेड फाउंडेशन मॉडल्स—दोनों का मिश्रित इस्तेमाल लागत और प्रदर्शन का बेहतर संतुलन देता है। साझेदारियां यहीं महत्वपूर्ण हो जाती हैं—क्लाउड, चिप, और डेवलपर टूलिंग—तीनों फ्रंट पर।
एंटरप्राइज पक्ष पर तस्वीर और साफ है। बैंकिंग में फ्रॉड डिटेक्शन, टेलीको में नेटवर्क ऑप्टिमाइजेशन, रिटेल में डिमांड फोरकास्टिंग, सप्लाई चेन में रूट प्लानिंग—इन सबमें AI सीधे पैसा बचाता है। SMBs के लिए रेडी-टू-यूज टूल्स—जैसे भारतीय भाषाओं में चैट-सपोर्ट, इनवॉइस रीकंसिलेशन, कैटलॉग जेनरेशन—कम सीखने की जरूरत और फटाफट ऑनबोर्डिंग के साथ। कंज्यूमर साइड पर पर्सनलाइज्ड वीडियो, इंटरएक्टिव स्पोर्ट्स एनालिसिस, और ऑन-डिवाइस AI ट्रांसलेशन जैसे फीचर्स, जहां 5G की कम लेटेंसी का फायदा मिलता है।
शिक्षा, स्वास्थ्य और कृषि—इन तीनों में असर अलग तरह का होगा। स्कूलों में AI टीचिंग असिस्टेंट जो कक्षा के स्तर के हिसाब से कंटेंट दे; हेल्थकेयर में प्राथमिक जांच, डॉक्टर-समरी और भाषा-आधारित काउंसलिंग; खेती में मौसम, मिट्टी और मंडी-कीमत डेटा से सलाह—ये सब तब सार्थक बनते हैं जब सर्विस भरोसेमंद, सस्ती और भारतीय भाषाओं में सहज हो। रिलायंस का दावा है कि वह ‘AI फॉर एवरी इंडियन’ की इसी जरूरत पर काम कर रहा है।
रिया जैसे फीचर्स यह भी दिखाते हैं कि कंटेंट डिस्कवरी खुद कंटेंट का हिस्सा बनती जा रही है। वॉयस-टू-सर्च के पीछे ऑटोमैटिक स्पीच रिकग्निशन, सेमांटिक इंडेक्सिंग और हाई-ट्यूनड रिट्रीवल एल्गोरिद्म साथ काम करते हैं। मल्टीलिंगुअल, लिप-सिंक्ड आउटपुट के लिए टेक्स्ट-टू-स्पीच और विजुअल सिंक्रोनाइजेशन का मेल जरूरी है। बड़े इवेंट्स—जैसे क्रिकेट—में जहां लाखों लोग एक साथ जुड़ते हैं, ऐसे AI टूल्स व्यूअर-एंगेजमेंट बढ़ाते हैं और विज्ञापन के लिए नए फॉर्मेट खोलते हैं।
जियो के 500 मिलियन यूजर्स की लाइन पार करना सिर्फ एक ‘बड़ी संख्या’ नहीं है। इसका मतलब है कि AI-आधारित सेवाओं को तुरंत बड़े यूजरबेस पर टेस्ट, ट्यून और स्केल किया जा सकता है। कंपनी के लिए यह गो-टू-मार्केट एडवांटेज है—टेलीकॉम, ओटीटी, पेमेंट्स और रिटेल के बीच क्रॉस-इंटीग्रेशन से कस्टमर एक ही इकोसिस्टम में ज्यादा समय बिताता है। 5G रोलआउट ने इस पहेली का नेटवर्क वाला टुकड़ा फिट कर दिया है—कम लेटेंसी, हाई थ्रूपुट और एज कंप्यूटिंग के साथ।
IPO फ्रंट पर 2026 की पहली छमाही का टाइमलाइन—यानी अगले साल की शुरुआत से लेकर जून तक—मार्केट के लिए साफ सिग्नल है। यहां से निवेशक किन चीजों पर नजर रखेंगे? सबसे पहले, रेगुलेटरी फाइलिंग्स और कॉरपोरेट स्ट्रक्चर—कौन-सी इकाइयां सीधे जियो में आती हैं। फिर रेवेन्यू मिक्स—कंज्यूमर मोबाइल, फिक्स्ड ब्रॉडबैंड, एंटरप्राइज, क्लाउड और नए AI ऑफरिंग्स। तीसरा, ARPU ट्रेंड्स और 5G मोनेटाइजेशन—क्या प्रीमियम डेटा पैक और एंटरप्राइज सॉल्यूशंस मार्जिन बढ़ा पाते हैं। और अंत में, कैपेक्स और फ्री कैश फ्लो—AI-डेटा सेंटर खर्चों के बीच बैलेंस कैसे बनता है।
AI इन्फ्रास्ट्रक्चर की दौड़ में ग्लोबल क्लाउड प्लेयर्स पहले से मैदान में हैं। भारत में डेटा सेंटर की क्षमता तेजी से बढ़ी है, लेकिन बड़े भाषा मॉडल ट्रेनिंग के लिए हाई-एंड एक्सेलेरेटर की कमी अक्सर अड़चन बनती है। सप्लाई-चेन बाधाएं, कूलिंग, पानी और ग्रिड कनेक्टिविटी—ये सब मिलकर प्रोजेक्ट टाइमलाइन तय करते हैं। रिलायंस का फायदा यह है कि ऊर्जा और नेटवर्क—दोनों मोर्चों पर उसका कंट्रोल ज्यादा है। चुनौती यह रहेगी कि टैलेंट पाइपलाइन कैसे बने—डेटा इंजीनियरिंग से लेकर MLOps तक—और डेवलपर इकोसिस्टम को किस तरह जोड़ा जाए।
नीति-नियमों की बात जरूरी है। डेटा सुरक्षा, मॉडल ट्रांसपेरेंसी, कॉपीराइट और डीपफेक—AI के ये चार संवेदनशील मुद्दे हैं। बड़े स्तर पर AI सेवाएं चलाने वाली किसी भी कंपनी के लिए सेल्फ-रेगुलेशन और ऑडिटेबिलिटी अब ‘अच्छा-सा’ विकल्प नहीं, बल्कि ऑपरेटिंग आवश्यकता है। खासकर मीडिया और खेल कंटेंट में जहां राइट्स और ब्रांड सेफ्टी दांव पर होती है, कंटेंट-जेनरेशन टूल्स का उपयोग साफ नियमों के साथ होना चाहिए।
रिलायंस का ‘न्यू एनर्जी’ प्लान यहां रणनीतिक हथियार जैसा है। डेटा सेंटर बिजली पर चलते हैं—और बहुत बिजली पर। अगर यह ऊर्जा धीरे-धीरे हरित स्रोतों से आती है—सोलर, विंड या अन्य क्लीन फ्यूल्स—तो ऑपरेटिंग कॉस्ट और कार्बन फुटप्रिंट दोनों पर असर पड़ता है। लिक्विड कूलिंग, हीट-रीयूज और वाटर-मैनेजमेंट जैसी तकनीकों से दक्षता बढ़ती है। टेक इंडस्ट्री का दबाव साफ है—परफॉर्मेंस के साथ सस्टेनेबिलिटी दिखाओ।
रोजगार की तस्वीर भी बड़ी है। कंपनी जब 10 लाख+ कर्मचारियों का लक्ष्य रखती है, तो इसमें सिर्फ इंजीनियर ही नहीं, डेटा सेंटर ऑपरेशंस, सप्लाई-चेन, रिटेल, लॉजिस्टिक्स और सर्विस सपोर्ट तक कई भूमिकाएं जुड़ती हैं। स्किलिंग यहां कुंजी है—कोडिंग से ज्यादा, प्रोडक्शन-ग्रेड सिस्टम्स को चलाने, मॉनिटर करने और सुरक्षित रखने की क्षमता। टियर-2 और टियर-3 शहरों में ट्रेनिंग हब और रिमोट ऑपरेशंस से टैलेंट का दायरा बढ़ सकता है।
डेवलपर्स के लिए इसका मतलब है—भारत में बनी, भारत के डेटा पर प्रशिक्षित AI सेवाओं के लिए प्लेटफॉर्म। अगर प्राइसिंग पारदर्शी हो और ऑन-डिमांड कंप्यूट आसानी से मिले, तो स्टार्टअप्स प्रोटोटाइप से प्रोडक्शन तक तेजी से जा सकते हैं। सरकारी डिजिटल पब्लिक इन्फ्रास्ट्रक्चर—आधार, UPI, और ओपन नेटवर्क्स—के साथ सुरक्षित इंटीग्रेशन छोटे खिलाड़ियों को भी बड़े यूजरबेस तक पहुंच देता है। यही वह जगह है जहां ओपन-सोर्स मॉडल्स, लोकल लैंग्वेज सपोर्ट और कम-लैटेंसी एज सर्विंग गेमचेंजर बनते हैं।
जामनगर की साइट का चयन भी संदेश देती है—ऊर्जा इकोसिस्टम और सप्लाई-चेन के पास बैठकर बड़े कैंपस बनाना। चरणबद्ध डिलीवरी का मतलब है कि जैसे-जैसे कंप्यूट हार्डवेयर उपलब्ध होगा, वैसे-वैसे नए क्लस्टर ऑनलाइन आते जाएंगे। इससे कैपेक्स और ग्राहक मांग के बीच तालमेल बैठता है, और शुरुआती ग्राहकों को समय पर क्षमता मिलती है।
कुल मिलाकर AGM 2025 ने रिलायंस के लिए दिशा तय कर दी—टेलीकॉम और रिटेल की स्केल का इस्तेमाल कर, AI को हर जेब तक पहुंचाना। सामने बहुत काम है—हार्डवेयर की सप्लाई, टैलेंट की कमी, विनियमन का विकास और किफायती प्राइसिंग—लेकिन कंपनी ने जो फ्रेमवर्क रखा है, उसमें स्पीड, स्केल और पार्टनरशिप—तीनों एक साथ दिखते हैं। जियो के 500 मिलियन यूजर्स, 5G की रीढ़, कंटेंट में रिया जैसे प्रयोग, और 2026 का IPO टाइमलाइन—ये सब मिलकर अगले दो–तीन साल का रोडमैप इशारा कर रहे हैं।
अगले कदम: क्या देखना होगा और किस पर बनेगी धार
कैपेक्स प्लान: कितनी कंप्यूट क्षमता कब ऑनलाइन आती है, और पावर-यूनिट कॉस्ट कहाँ बैठती है—इसी से सर्विस प्राइसिंग तय होगी।
साझेदारियां: क्लाउड, चिप्स और डेवलपर टूलिंग—तीनों में किसके साथ कितनी गहराई से हाथ मिलते हैं। ओपन-सोर्स स्टैक का अपनाव किफायत और कंट्रोल दोनों देता है।
मॉनेटाइजेशन: एंटरप्राइज AI, SMB पैक, कंज्यूमर फीचर्स—कौन-सा सेगमेंट जल्दी रफ्तार पकड़ता है। 5G-एज और कंटेंट के साथ बंडलिंग से अपसेल के मौके बनते हैं।
रेगुलेशन और ट्रस्ट: डेटा गोपनीयता, मॉडल ऑडिट, डीपफेक सेफगार्ड—जितनी साफ नीति और उतना ही बेहतर अपनाव।
टैलेंट और इकोसिस्टम: स्किलिंग प्रोग्राम, यूनिवर्सिटी-इंडस्ट्री प्रोजेक्ट्स और स्टार्टअप पार्टनरशिप—यहीं से लंबी दौड़ की ताकत आती है।
अंबानी का संदेश था—AI हर सेक्टर को छुएगा और भारत जैसी बड़ी अर्थव्यवस्था में स्केल ही सबसे बड़ा फर्क पैदा करता है। रिलायंस अपनी पुरानी ताकत—नेटवर्क, ऊर्जा और एकीकृत प्लेटफॉर्म—को नए दांव—AI और ग्रीन फ्यूल्स—से जोड़कर खेलना चाहता है। अब नजर इस बात पर रहेगी कि जामनगर से उठता यह AI इंजन कितनी तेजी से देशभर में अपनी ‘टॉर्क’ दिखाता है।
shubham garg
अगस्त 29, 2025 AT 23:53AI इन्फ्रास्ट्रक्चर बनाने के लिए जामनगर में बड़े डेटा सेंटर स्थापित हो रहे हैं। ये सेंटर गीगावॉट‑स्केल कंप्यूट पावर देंगे, जो 5G के साथ मिलकर तेज़ सेवाएँ देंगे। रिलायंस का नया प्रोजेक्ट स्केलेबिलिटी का नया स्तर दिखा रहा है।
LEO MOTTA ESCRITOR
सितंबर 5, 2025 AT 22:33भारत में AI का विस्तार सामाजिक बदलावों की बुनियाद रखेगा। यदि बिग टेक के साथ सहयोग बढ़ेगा, तो स्थानीय स्टार्टअप्स को भी ग्लोबल मंच मिलेगा। शिक्षा और स्वास्थ्य जैसे सेक्टरों में एआई की मदद से सस्ते समाधान बनेंगे। यह पहल डिजिटल डिवाइड को कम करने में मददगार होगी। अंत में, स्किलिंग प्रोग्राम से युवा वर्ग को नई नौकरियों के लिए तैयार किया जाएगा।
Sonia Singh
सितंबर 12, 2025 AT 21:13जियो के 500 मिलियन यूज़र एक बड़े टेस्टबेड का काम करेंगे। AI सर्विसेज़ को बड़े पैमाने पर रोल‑आउट करना आसान होगा। इस नेटवर्क के साथ नए एप्लिकेशन बनाना डेवलपर्स के लिए रोमांचक रहेगा। कुल मिलाकर, यह इकोसिस्टम सभी को लाभ पहुंचाएगा।
Ashutosh Bilange
सितंबर 19, 2025 AT 19:53यार ये रिलायंस का AI प्लान देख के मज़ा आ गया!! डेटा सेंटर में लिक्विड कूलिंग वाली चीज़ें तो बहुत ही फैन्टैस्टिक लगती हैं। 5G बैकबोन के साथ मिलाकर कम लेटेंसी वाला सर्विस देना, वैसा ही जादू है। इन्फ्रास्ट्रक्चर इतना बड़ा है कि हर छोटे बिज़नेस को भी फायदा होगा। सच्ची बात तो ये है कि अब ये सब कुछ हमारे देश के लिये असली ‘कामधेनु’ बन सकता है।
Kaushal Skngh
सितंबर 26, 2025 AT 18:33जाइयो का IPO 2026 में देखना बाकी है।
Harshit Gupta
अक्तूबर 3, 2025 AT 17:13हमारी स्वदेशी ऊर्जा के साथ AI को चलाना राष्ट्रीय स्वाभिमान की बात है। विदेशी तकनीक पर निर्भरता कम होनी चाहिए, यही समय है खुद का इंफ्रास्ट्रक्चर बनाने का। रिलायंस की इस पहल से भारत को तकनीकी महाशक्ति बनना संभव है। हमें इस दिशा में सभी को एकजुट होना चाहिए।
HarDeep Randhawa
अक्तूबर 10, 2025 AT 15:53जामनगर का साइट चुनना... वाकई में जीनियस!; ऊर्जा इकोसिस्टम और सप्लाई‑चेन के पास होने से लागत कम होगी!!! डेटा सेंटर की स्केलेबिलिटी... बहुत ही शानदार योजना!!! अब देखना है, कैसे भारत इस AI लहर को पकड़ता है!!!
Nivedita Shukla
अक्तूबर 17, 2025 AT 14:33अरे! इस AI योजना को देखते ही दिल धड़कने लगा। वो भी सोचो, हर किसान को क्लाउड‑बेस्ड मौसम सलाह मिल रही है, तो फसल की पैदावार बढ़ेगी। शिक्षा में भी वर्चुअल ट्यूटर के ज़रिये विद्यार्थियों को व्यक्तिगत मार्गदर्शन मिलेगा। स्वास्थ्य सेक्टर में AI‑ड्रिवन प्री‑डायग्नॉसिस से रोगों की रोकथाम सहज होगी। रिलायंस की इस महाकाव्य पहल में हर भारतीय का भविष्य उज्जवल दिखाई देता है।
Rahul Chavhan
अक्तूबर 24, 2025 AT 13:13डेटा सेंटर की बड़े पैमाने की कंप्यूट पावर हमारे स्टार्टअप्स को नई सम्भावनाएँ देगी। इससे एआई मॉडल्स को जल्दी ट्रेन किया जा सकेगा। जियो की 5G नेटवर्क के साथ मिलकर कम लेटेंसी वाले एप्लिकेशन बनेंगे। यह सब देख कर भविष्य में और भी बड़ी प्रॉजेक्ट्स की उम्मीद बढ़ती है।
Joseph Prakash
अक्तूबर 31, 2025 AT 11:53रिलायंस का AI प्लान बड़ा धमाकेदार 🚀 500 मिलियन जियो यूज़र के साथ स्केलिंग आसान 👏 नए डेटा सेंटर से इको फ्रेंडली पावर भी मिलेगा 🌿
Arun 3D Creators
नवंबर 7, 2025 AT 10:33रिलायंस ने AI के लिए नया ईकोसिस्टम तैयार किया है। जामनगर में डेटा सेंटर का निर्माण एक महत्त्वपूर्ण कदम है। इस सेंटर में गीगावॉट स्केल की कंप्यूट शक्ति होगी। ये शक्ति बड़े मॉडल को जल्दी ट्रेन करेगी। तेज 5G नेटवर्क इस कंप्यूट को सपोर्ट करेगा। भारत में डेटा लोकैलिटी की समस्या को यह समाधान दे सकता है। कई स्टार्टअप को अब क्लाउड लागत में कमी मिलेगी। ग्रामीण क्षेत्रों में भी AI समाधान पहुंचेंगे। शिक्षा में एआई ट्यूटर व्यक्तिगत सीखने में मदद करेगा। स्वास्थ्य में प्री‑डायग्नोस्टिक टूल्स रोग की शुरुआती पहचान करेंगे। कृषि में मौसम और मिट्टी डेटा के आधार पर सलाह मिलेगी। इस पूरे इकोसिस्टम में हरित ऊर्जा का उपयोग होगा। सोलर और विंड पावर से संचालन की लागत घटेगी। रीयल‑टाइम डेटा प्रोसेसिंग से कस्टमर एक्सपीरियंस बेहतर होगा। अंत में यह पहल भारत को तकनीकी महाशक्ति बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है।
RAVINDRA HARBALA
नवंबर 14, 2025 AT 09:13डेटा सेंटर की कैपेक्स योजना को देख कर लगता है कि प्रोजेक्ट टाइमलाइन में जोखिम मौजूद है। हार्डवेयर सप्लाई चेन की बाधाएँ और कूलिंग इन्फ्रास्ट्रक्चर अक्सर देर से पूरी होती हैं। यदि मॉडल ट्रेनिंग के लिए एक्सेलेरेटर की उपलब्धता नहीं रहती, तो लागत में अनपेक्षित वृद्धि होगी। इसलिए निवेशकों को फाइनेंसिंग स्ट्रक्चर में मार्जिन बफ़र रखना चाहिए।
Vipul Kumar
नवंबर 21, 2025 AT 07:53रिलायंस का AI इकोसिस्टम भारत के युवा को नई स्किल्स सीखने का मंच देगा। टेक्निकल ट्रेनिंग और रीयल‑वर्ल्ड प्रोजेक्ट्स के साथ अनुभव हासिल होगा। इससे पूरे देश में इन्फ्रास्ट्रक्चर और टैलेंट दोनों में संतुलन बनेगा।