क्या नागपुर ने छुआ 56 डिग्री सेल्सियस? मौसम विभाग ने दी सफाई

मई, 31 2024

क्या नागपुर ने वाकई 56 डिग्री सेल्सियस का तापमान छुआ?

गुरुवार को नागपुर के एक मौसम स्टेशन ने जब 56 डिग्री सेल्सियस तापमान रिकॉर्ड किया तो हर कोई हैरान रह गया। इस असामान्य तापमान ने लोगों को घरों में दुबकने पर मजबूर कर दिया। लेकिन जल्द ही भारतीय मौसम विभाग (IMD) ने इस रिकॉर्डिंग को लेकर सफाई दी कि यह तापमान सेंसर की खराबी के कारण रिकॉर्ड हुआ था। यह खबर तब आई जब उत्तर भारत भीषण हीटवेव की चपेट में था।

सेंसर खराबी का मामला

IMD के अनुसार, नागपुर के इस मौसम स्टेशन का सेंसर ठीक से काम नहीं कर रहा था, जिस कारण 56 डिग्री सेल्सियस तापमान रिकॉर्ड हुआ। वास्तविक तापमान 44 डिग्री सेल्सियस था, जो कि CICR नागपुर के एक नजदीकी स्वचालित मौसम स्टेशन (AWS) ने रिकॉर्ड किया। यह घटना एक बार फिर से सेंसर की गुणवत्ता और उनकी देखरेख पर सवाल उठाती है।

नागपुर में भीषण गर्मी

नागपुर इन दिनों भीषण गर्मी की चपेट में है। तापमान 45 डिग्री सेल्सियस के पार चला गया है, जिससे जनजीवन पर असर पड़ा है। यहां तक कि यह घटना दिल्ली की एक घटना की याद दिलाती है जहां एक मौसम स्टेशन ने 52.9 डिग्री सेल्सियस तापमान रिकॉर्ड किया था, जिसे बाद में सेंसर की खराबी या स्थानीय कारकों के चलते गलत साबित किया गया।

उत्तर भारत में हीटवेव की स्थिति

उत्तर भारत में हीटवेव की स्थिति

उत्तर भारत में इन दिनों भीषण हीटवेव चल रही है। तापमान लगातार बढ़ता जा रहा है और सामान्य जनजीवन ठप होता जा रहा है। लोगों को पानी की कमी का भी सामना करना पड़ रहा है। देश के 150 मुख्य जलाशयों में पानी का स्तर 23 प्रतिशत तक गिर गया है, जो कि चिंता का विषय है। केंद्रीय जल आयोग (CWC) के अनुसार, महाराष्ट्र और गुजरात में वर्तमान भंडारण क्षमता 8.833 अरब घन मीटर (BCM) है, जो कि कुल क्षमता का 24 प्रतिशत है। पिछले साल यह आंकड़ा 28 प्रतिशत था, लेकिन सामान्य 23 प्रतिशत से यह बेहतर है।

जल संकट की स्थिति

जल संकट की स्थिति

जल संकट की स्थिति गंभीर होती जा रही है। पानी के अभाव में किसान परेशान हैं और फसलों को भी नुकसान पहुंच रहा है। स्थिति को सुधारने के लिए सरकार द्वारा कई कदम उठाए जा रहे हैं, लेकिन ये पर्याप्त साबित नहीं हो रहे हैं। नागपुर और उत्तर भारत की यह भीषण गर्मी लोगों के लिए किसी चुनौती से कम नहीं है।

क्या हैं सरकार के प्रयास?

सरकार द्वारा पानी की किल्लत से निपटने के लिए कई योजनाएं चलाई जा रही हैं। कुएं खोदे जा रहे हैं, जलाशयों को भरने के प्रयास हो रहे हैं, लेकिन भीषण गर्मी में ये प्रयास नाकाफी लगते हैं। नागपुर जैसे शहरों में लोग टैंकरों से पानी मंगाने पर मजबूर हो रहे हैं।

अंततः क्या है हमारा योगदान?

अंततः क्या है हमारा योगदान?

इस भीषण गर्मी और जल संकट में हमारा भी एक महत्वपूर्ण योगदान हो सकता है। हमें पानी की बचत करनी चाहिए। छोटे-छोटे कदम उठाकर हम अपने भविष्य को सुरक्षित रख सकते हैं। जैसे कि पानी की बर्बादी को रोकना, हर घर में रेनवाटर हार्वेस्टिंग प्रणाली लागू करना, और जलस्रोतों की स्वच्छता का ध्यान रखना शामिल है।