IndusInd Bank में विदेशी मुद्रा डेरिवेटिव घोटाले पर ICAI ने शुरू की वित्तीय लेखा समीक्षा

मई, 30 2025

IndusInd Bank पर ICAI का शिंकजा: विदेशी मुद्रा डेरिवेटिव घोटाले की पड़ताल

IndusInd Bank के लिए वक्त मुश्किलों भरा हो गया है। देश की बड़ी ऑडिट संस्था ICAI ने बैंक के वित्त वर्ष 2023-24 और 2024-25 के खातों की सू-मोटो (स्वप्रेरित) जांच शुरू कर दी है। वजह है – बैंक की विदेशी मुद्रा डेरिवेटिव डीलिंग में सामने आए करीब ₹2,600 करोड़ के हेर-फेर का मामला। यह गड़बड़ी सात-आठ साल में हुई, जिसकी रिपोर्ट सामने आने के बाद बैंकिंग और कारोबारी हलकों में हलचल मच गई है।

ICAI के Financial Reporting Review Board (FRRB) ने बैंक के वित्तीय खातों और ऑडिटर्स की रिपोर्ट का गहराई से परीक्षण शुरू किया है। FRRB का यह कदम इसलिए अहम माना जा रहा है क्योंकि इससे बड़े स्तर पर बहीखाते, ऑडिटिंग मानकों और रेगुलेटरी गाइडलाइन्स - जैसे कि रिजर्व बैंक (RBI) और सेबी (SEBI) के नियम - का मिलान किया जाएगा। ICAI के वरिष्ठ अधिकारियों के मुताबिक, यह पूरे सिस्टम में पारदर्शिता लाने और बैंकिंग सेक्टर में बहीखाता अनुशासन सुनिश्चित करने की दिशा में उठाया गया एक्टिव कदम है।

तीन-दर-तीन जांच प्रक्रिया और भारी सजा की आशंका

ICAI की FRRB जांच सिर्फ सतही रूप से नहीं होती। इसके तीन स्तर हैं। सबसे पहले टेक्निकल रिव्युअर डॉक्युमेंट्स को परखते हैं। इसके बाद संबंधित रिपोर्टिंग रिव्यू ग्रुप दस्तावेजों की बारीकी से छानबीन करता है। अंत में FRRB बोर्ड खुद जांच रिपोर्ट की समीक्षा करता है। यदि ऑडिटरों की ओर से लापरवाही या किसी नियम-कायदे की अवहेलना मिलती है तो उनके खिलाफ कड़ी अनुशासनात्मक कार्रवाई भी तय मानी जाती है।

IndusInd Bank में सामने आई यह गड़बड़ी अचानक नहीं मिली, बल्कि बैंक के इंटरनल फ्रॉड डिटेक्शन की वजह से मामला खुला। इसके बाद RBI और SEBI ने भी अपनी-अपनी पड़ताल शुरू कर दी है। साथ ही सेबी ने बैंक के पूर्व सीईओ सुमंत कथपालिया और चार अन्य अधिकारियों को इनसाइडर ट्रेडिंग के आरोप में ट्रेडिंग बैन भी थमा दिया है। यह आरोप सीधा-सीधा उसी गड़बड़ी से रिलेटेड है, जो डेरिवेटिव डीलिंग में खामी के चलते पकड़ में आई।

ICAI के अध्यक्ष चरणजोत सिंह नंदा साफ कह चुके हैं कि इस तरह की स्वप्रेरित (suo moto) समीक्षा भविष्य में बैंकों व उनके खातों पर भरोसा बनाए रखेगी। गौरतलब है कि FRRB इसी दौरान Gensol Engineering और BluSmart Mobility के खातों की भी कैफियत जांच कर रहा है। IndusInd Bank की रिपोर्ट अगले छह महीने में सामने आ सकती है। इस केस ने बैंकिंग सेक्टर में एक बार फिर से कड़ी निगरानी और पारदर्शिता की जरूरत पर जोर दिया है।