गैरेथ साउथगेट: यूरो 2024 में हैरी केन को शीर्ष स्तर पर नहीं ला सके, समस्याओं को छुपाने का प्रयास नहीं

जुल॰, 15 2024

गैरेथ साउथगेट: इंग्लैंड को यूरो 2024 में फिटनेस समस्याओं का सामना

ज्यादातर उम्मीदों के बावजूद, इंग्लैंड की टीम यूरो 2024 में अपने पुराने प्रतिष्ठा के अनुरूप प्रदर्शन नहीं कर सकी। कोच गैरेथ साउथगेट ने स्वीकार किया कि उनकी टीम फिटनेस के मामले में पिछड़ रही थी। कप्तान हैरी केन, जो कि अपनी प्रतिभा और गोल करने की क्षमता के लिए जाने जाते हैं, अपनी शीर्ष फॉर्म में नहीं थे। परिणामस्वरूप, स्पेन के खिलाफ अहम मुकाबले में इंग्लैंड को 2-1 से हार का सामना करना पड़ा।

साउथगेट ने मैच के बाद कहा, 'फिटनेस की कमी के कारण हम अपनी क्षमता को पूरी तरह से नहीं दिखा पाए। हमारे लिए चुनौती यह थी कि हम गेंद पर कब्जा बनाए रखें, लेकिन हमने इसमें सफलता नहीं पाई।' यह एक महत्वपूर्ण टिप्पणी थी, क्योंकि इस समस्या ने इंग्लैंड के खेल में कमजोरी को उजागर किया।

टूर्नामेंट के दौरान हैरी केन की फिटनेस

टूर्नामेंट के दौरान हैरी केन की फिटनेस

टूर्नामेंट में प्रवेश करते समय हैरी केन पूरी तरह से फिट नहीं थे। कम मैच खेलने के बाद, उन्हें अपनी सर्वश्रेष्ठ फॉर्म में लाना साउथगेट के लिए एक बड़ी चुनौती थी। खेल के दौरान, केन को एक घंटे के बाद ओली वॉटकिंस द्वारा प्रतिस्थापित किया गया, ताकि टीम में ऊर्जा का एक नया संचार हो सके। लेकिन फिर भी, टीम गेंद पर कब्जा बनाए रखने में विफल रही।

इंग्लैंड की हार के बाद की प्रतिक्रिया

इंग्लैंड की हार के बाद की प्रतिक्रिया

हालांकि मैच के बाद, गैरेथ साउथगेट ने अपनी टीम की मेहनत और प्रयास की सराहना की, लेकिन उन्होंने यह भी कहा कि 'हमारा खेल गेंद पर कब्जा बनाए रखने के मामले में कमजोर रहा। हमें इसमें सुधार की जरूरत है।' उन्होंने अपना भविष्य क्या होगा, इस पर कोई टिप्पणी नहीं की और इसे 'पीछे के महत्वपूर्ण लोगों' के साथ चर्चा का विषय बताया।

हैरी केन ने मैच के बाद कहा, 'यह बहुत कठिन टूर्नामेंट था और हम सभी निराश हैं। हमें इस प्रदर्शन से सीख लेनी होगी और आगे बढ़ना होगा।' दूसरी ओर, गैरी नेविल ने सुझाव दिया कि ओली वॉटकिंस को पहले ही हाफ टाइम में आना चाहिए था, ताकि टीम को सही समय पर ऊर्जा मिल सके।

साउथगेट का निर्णय और टीम का प्रदर्शन

गैरेथ साउथगेट का केन को प्रतिस्थापित करने का निर्णय, और सामान्यतः इंग्लैंड का प्रदर्शन स्पेन के खिलाफ बहस का मुख्य मुद्दा बने रहे। कई जानकार इसे एक जुआ मानते हैं, जो सफल नहीं रहा। साउथगेट का निर्णय, हालांकि विवादास्पद था, लेकिन यह इंग्लैंड की स्थिति और उनकी सुधारात्मक रणनीतियों को दर्शाता है।

अंततः, इंग्लैंड की इस हार ने टीम की आलोचना को आमंत्रित किया, लेकिन यह भी सिखाया कि सफलता का कोई शॉर्टकट नहीं होता। साउथगेट को अपनी रणनीतियों पर विचार करना होगा और अगली बार बेहतर प्रदर्शन के लिए टीम को तैयार करना होगा।

6 टिप्पणि

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    Shritam Mohanty

    जुलाई 15, 2024 AT 20:53

    साउथगेट की बातों में फिटनेस बहाने की परतें छिपी हैं, जैसे कि मेडिकल टीम के लिए अलग एजेण्डा बना रखा हो। इस तरह की आवाज़ अक्सर पीछे से कुछ शोर ढालती है, जो असली कारणों को धुंधला करती है। उनकी टैक्टिकल गड़बड़ी शायद बड़े दायरे के खेल का हिस्सा हो सकती है, जहाँ प्रदर्शन को बचाने के लिए बेतुके बहाने बनते हैं।

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    Anuj Panchal

    जुलाई 15, 2024 AT 22:00

    इंग्लैंड की फिटनेस कमी को मानकीकृत कंडीशनिंग प्रोटोकॉल की अनुपस्थिति से समझा जा सकता है। टीम ने पोजीशनिंग मैट्रिक्स में आवश्यक ट्रांज़िशन फेज़ को अनुकूलित नहीं किया, जिससे डिफेंसिव ब्लॉक्स में निकटता घट गई। हेनरी केन की इंटेंसिव स्प्रिंट रेज़ कम ढाल से चलाने के कारण फॉर्म वैरिएबिलिटी बढ़ी। इसके अलावा, मीटाबॉलिक रिपेयर साइकिल में निष्क्रियता ने खेल के हाई-इंटेंसिटी सेक्शन में ऊर्जा घाटा पैदा किया। कुल मिलाकर, वैज्ञानिक बायोमैकेनिकल एनालिसिस की कमी ने टीम को बड़े पैमाने पर प्रभावित किया।

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    Prakashchander Bhatt

    जुलाई 15, 2024 AT 23:23

    आगे की टूरनामेंट में साउथगेट को अपनी कंडीशनिंग सपोर्ट को बूस्ट करना चाहिए, ताकि खिलाड़ी अपनी पीक फॉर्म पर पहुंच सकें। टीम के पास अभी भी सुधार की गुंजाइश है, बस सही दिशा में कदम रखना होगा।

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    Mala Strahle

    जुलाई 16, 2024 AT 00:46

    खेल में हार हमेशा एक दार्शनिक प्रश्न उठाती है-क्या जीत हमारी नियति में लिखी है, या हम अपने फैसलों से अपनी कहानी लिखते हैं? जब टीम के भीतर फिटनेस जैसी बुनियादी चीज़ें क्षीण होती हैं, तो यह केवल शारीरिक कमजोरी नहीं, बल्कि मानसिक लचीलापन की परीक्षा भी बन जाती है। रहस्य यह नहीं कि हम खिलाड़ी हैं, बल्कि यह कि हम उन चुनौतियों को किस तरह स्वीकार करते हैं। साउथगेट के निर्णयों को देख कर लगता है कि उन्होंने डिफेंस को एक एक्सपेरिमेंट के रूप में लीं, जबकि बेसिक स्टैमिना को नज़रअंदाज़ किया। इस स्थिति में, खिलाड़ी का मनोबल धीरे-धीरे क्षीण हो जाता है, जिससे टीम के समग्र प्रदर्शन पर असर पड़ता है। लेकिन हर गिरावट के साथ उठने का अवसर भी मिलता है-अगर वे इस सबक को समझकर अपने फिटनेस प्रोटोकॉल को रीफ़ॉर्म करें, तो भविष्य में एक मजबूत टीम की नींव रख सकते हैं।

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    shubham garg

    जुलाई 16, 2024 AT 02:10

    सही कहा, मेहनत ही असली चाबी है।

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    LEO MOTTA ESCRITOR

    जुलाई 16, 2024 AT 03:33

    टूर्नामेंट की हार को व्यक्तिगत असफलता के रूप में नहीं, बल्कि एक लर्निंग प्लेटफ़ॉर्म के रूप में देखना चाहिए। सबसे पहले, फिटनेस की कमी को केवल शारीरिक पहलू से नहीं, बल्कि क्लब की सांस्कृतिक प्राथमिकता से जोड़ना आवश्यक है। अगर टीम के भीतर नियमित रिकवरी सत्र और पोषण पर ध्यान नहीं दिया जाता, तो खिलाड़ी अपनी अचीवमेंट टॉप पर नहीं पहुंच पाते। दूसरा, युवा प्रतिभाओं को अनुभवी खिलाड़ियों के साथ मिश्रित करना चाहिए, ताकि लीडरशिप का बटरफ़्लाय इफ़ेक्ट काम कर सके। तीसरा, कोचिंग स्टाफ को डेटा‑ड्रिवन एनालिटिक्स के साथ वैलिडेटेड ट्रेनिंग मॉड्यूल लागू करने चाहिए, जिससे मैच‑टू‑मैच प्रोग्रेस ट्रैक हो सके। चौथा, माइंडफ़ुलनेस और माइंडसेट कोर्सेज़ को रूटीन में शामिल किया जाए, जिससे प्लेयर की रेजिलिएंस बढ़े। पाँचवाँ, मेडिकल टीम को रेगुलर बायोमार्कर टेस्टिंग करवाने चाहिए, ताकि संभावित इन्फ्लेमेशन या ओवरट्रेनिंग का जल्दी पता चल सके। छठा, टीम के भीतर खुले संवाद की संस्कृति बनानी होगी, जहाँ खिलाड़ी अपनी फीडबैक बिना डर के दे सकें। सातवां, एन्हांस्ड बॉल रिटेन्शन एक्सरसाइज़ को प्रैक्टिस सत्र में इंटेग्रेट किया जाए, जिससे फिजिकल कंट्रोल में सुधार हो। आठवां, फिजियोथेरेपी को मैच‑पूर्व और मैच‑बाद दोनों में उपयोग करना चाहिए, ताकि इन्ज्री से बचे रह सके। नौवां, एथलेटिक रोडमैप को व्यक्तिगत स्तर पर डिज़ाइन किया जाए, ताकि हर प्लेयर अपनी पेस पर प्रोग्रेस कर सके। दसवां, लगातार वीकली रिव्यू मीटिंग्स रखनी चाहिए, जहाँ परफॉर्मेंस मीट्रिक्स और स्ट्रेटेजिक एडजस्टमेंट्स पर चर्चा हो। ग्यारहवां, फैन एंगेजमेंट को भी मोरलेबल बनाने के लिए टीम को सोशल प्लेटफ़ॉर्म पर ट्रांसपेरेंट अपडेट देना चाहिए, जिससे प्लेयर को मानसिक सपोर्ट मिले। बारहवां, अंत में, सबको याद रखना चाहिए कि फुटबॉल एक टीम स्पोर्ट है, और व्यक्तिगत लाइट्स नहीं, बल्कि ग्रुप इफ़ेक्टिंग पर फोकस होना चाहिए। इन सभी बिंदुओं को मिलाकर अगर साउथगेट और इंग्लैंड की फुटबॉल असोसिएशन काम करेंगे, तो अगली बार यूरो के आयोजन में हम एक सशक्त, फिट और इंटेन्स टीम देखेंगे।

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