बेंगलुरु में ऋषि सुनक और अक्षता मूर्ति की विशेष यात्रा: राघवेंद्र स्वामी मठ और कॉफी शॉप में समय बिताया

नव॰, 7 2024

ऋषि सुनक और अक्षता मूर्ति की विशेष यात्रा

पूर्व ब्रिटिश प्रधानमंत्री ऋषि सुनक और उनकी पत्नी अक्षता मूर्ति की हालिया बेंगलुरु यात्रा ने मीडिया और इंटरनेट पर धूम मचा दी है। इसे एक विशेष अवसर माना जा रहा है क्योंकि वे स्थानीय संस्कृति और परंपराओं से जुड़ने के लिए यहां पहुंचे थे। इस यात्रा के दौरान वे अपने ससुराल पक्ष के साथ, जिसमें प्रमुख भारतीय व्यवसायी एनआर नारायण मूर्ति और नामचीन लेखिका सुधा मूर्ति शामिल थीं, बेंगलुरु के प्रसिद्ध राघवेंद्र स्वामी मठ में पहुंचे। यह अवसर कार्तिक माह की शुभ अवधि में हुआ, जिसे विशेष रूप से धार्मिक पूजा-पाठ और त्योहारों के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है।

राघवेंद्र स्वामी मठ में पूजा अर्चना

ऋषि सुनक और अक्षता मूर्ति ने राघवेंद्र स्वामी मठ में विशेष पूजा में भाग लिया, जहां उन्होंने गुरु राघवेंद्र स्वामी की पूजा करके आशीर्वाद लिया। माह कार्तिक के इस पावन महीने में, पूजा करना अत्यधिक शुभ माना जाता है और यह श्री मठ की विशेषता है। सुनक ने अपनी धार्मिक श्रद्धा का प्रमाण देते हुए एक दीप जलाया और पूजा में भाग लिया। मठ प्रबंधक आर. के. वदिंद्राचार्य ने विशेष वस्त्रों को आशीर्वाद दिया, जो बाद में श्रद्धालुओं के बीच वितरित किये गये। यह सुनक और उनके परिवार के भक्ति के गहरे संबंध का उदाहरण है, जहां विशेष रूप से सुधा मूर्ति की अध्यात्मिक श्रद्धा का उल्लेख किया जा सकता है।

बेंगलुरु कॉफी शॉप: एक साधारण लेकिन यादगार पल

पूजा अर्चन के पश्चात, सुनक और उनकी पत्नी ने बेंगलुरु के स्थानीय Third Wave Coffee शॉप में अपने परिवार के साथ समय बिताया। यहां पर सामान्य साधारण वातावरण में, सुनक ने सफेद शर्ट और काले पैंट पहन रखे थे, जबकि अक्षता ने एक हल्के रंग की कुर्ती धारण की हुई थी। उन दोनों की तस्वीरें सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हुईं, जिन्हें पसंद और शेयर किया जा रहा है। सुनक और अक्षता की यह जुड़ी हुई छवि ने उन्हें स्थानीय जनता के और भी करीब ला दिया है।

सुधा मूर्ति और परिवार की धार्मिक भक्ति

इस यात्रा का एक महत्वपूर्ण पहलू एनआर नारायण मूर्ति और सुधा मूर्ति की गहरी धार्मिक प्रवृत्ति है। परंपरागत रूप से मठ की संकेन्द्रित गतिविधियों में सम्मिलित होना और हर गुरुवार को उपवास रखने की परंपरा में हिस्सा लेना उनकी भक्ति की गहराई को दर्शाता है। सुनक भी अपनी पत्नी अक्षता से प्रभावित होकर इस धार्मिक परंपरा में सहभागी बने हैं और यहां तक कि वह हर गुरुवार को उपवास रखते हैं, जिसमें वह केवल रात को भोजन करते हैं।

संपूर्ण यात्रा का सामाजिक प्रभाव

संपूर्ण यात्रा का सामाजिक प्रभाव

यह यात्रा न सिर्फ एक धार्मिक आयाम को दर्शाती है, बल्कि एक साधारण सामाजिक और सांस्कृतिक जुड़ाव को भी स्पष्ट करती है। यह ऋषि सुनक और अक्षता मूर्ति की उनके भारतीय मूल से पहचान और उनके परिवार की जड़ों के प्रति श्रद्धा का प्रमाण है। समाज और संस्कृति के प्रति उनका यह प्रदर्शित समर्पण लोगों के हृदय में गहरी छाप छोड़ता है। यह यात्रा सोशल मीडिया पर तेजी से फैल गई है, जहां लोग इनकी तस्वीरें देख रहे हैं और सराहना कर रहे हैं। इस प्रकार की यात्राएं अक्सर बहु-सांस्कृतिक समाज में समन्वय और एकता का संदेश प्रसारित करती हैं।