2024 में दुनिया के सबसे खतरनाक देश: ग्लोबल पीस इंडेक्स की रिपोर्ट
2024 के ग्लोबल पीस इंडेक्स (GPI) द्वारा इंस्टीट्यूट फॉर इकोनॉमिक्स एंड पीस द्वारा जारी की गई रिपोर्ट ने दुनिया के सबसे खतरनाक देशों की सूची को उजागर किया है। इस रिपोर्ट में 163 देशों का आकलन 23 संकेतकों के माध्यम से किया गया है, जिसमें आंतरिक संघर्ष, सामाजिक सुरक्षा और सैन्यकरण के स्तर शामिल हैं। इन कारकों के आधार पर, GPI ने वैश्विक शांति और सुरक्षा के व्यापक मूल्यांकन को प्रस्तुत किया है।
इस वर्ष की रिपोर्ट के अनुसार, सबसे खतरनाक देशों की सूची में यमन, सूडान और दक्षिण सूडान शामिल हैं। यमन का GPI स्कोर 3.397 है, और यह देश 2015 से चल रहे सिविल संघर्ष के कारण एक खतरनाक स्थिति में है। इस संघर्ष ने यहाँ पर व्यापक अकाल, बीमारियों और अधोसंरचना के पतन को जन्म दिया है। यमन का संघर्ष पड़ोसी देशों द्वारा समर्थित विभिन्न गुटों की वजह से और भी गंभीर हो गया है, जिससे यहाँ के लोगों की स्थिति और भी बिगड़ गई है।
सूडान और दक्षिण सूडान की स्थिति
सूडान का GPI स्कोर 3.327 है, और इस देश में दारफुर, साउथ-कॉर्डोफान और ब्लू नाइल क्षेत्रों में चल रहे संघर्षों के कारण यहाँ की स्थिति बहुत गंभीर है। 2024 में इन संघर्षों के कारण 3,000 से अधिक मौतें हुई हैं और लगभग 2 मिलियन लोगों को विस्थापित होना पड़ा है।
संघर्षों के अलावा, सूडान में मानवीय संकट भी गंभीर है, जहाँ सरकार के बलों, विपक्षी समूहों और मिलिशिया द्वारा नागरिकों पर हमले होते रहते हैं। संयुक्त राष्ट्र के मानवीय मामलों के समन्वय कार्यालय (OCHA) के अनुसार, सूडान में लगभग 14 मिलियन लोग मानवीय सहायता की सख्त आवश्यकता में हैं।
दक्षिण सूडान का GPI स्कोर 3.324 है, और यहाँ की स्थिति भी खतरनाक है। 2011 में स्वतंत्रता के बाद से यहाँ सिविल संघर्ष, जातीय हिंसा और राजनीतिक अस्थिरता बनी हुई है।
अन्य खतरनाक देश
अन्य खतरनाक देशों की सूची में अफगानिस्तान, यूक्रेन और कांगो गणराज्य (डीआरसी) शामिल हैं। अफगानिस्तान में तालिबान के सत्ता में आने के बाद यहाँ आतंकवाद, अपहरण और व्यापक हिंसा का खतरा बना हुआ है।
यूक्रेन में फरवरी 2022 में रूस के आक्रमण के बाद से सुरक्षा और स्थिरता में निरंतर गिरावट आई है। इस संघर्ष में 150,000 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है और लाखों लोग विस्थापित हो गए हैं, जिससे एक विशाल मानवीय संकट पैदा हो गया है।
डीआरसी में चल रहा संघर्ष भी चिंता का विषय है, जिसने द्वितीय विश्व युद्ध के बाद सबसे अधिक जीवन लीया है, इंटरनेशनल रेस्क्यू कमेटी के अनुसार।
रूस और सीरिया की स्थिति
रूस का GPI स्कोर 3.249 है, और यहाँ की स्थिति यूक्रेन में चल रहे संकट और आंतरिक चुनौतियों जैसे संगठित अपराध और भ्रष्टाचार के कारण और भी खराब हो गई है।
सीरिया में 2011 में शुरू हुए सिविल युद्ध के बाद से यहाँ की स्थिति खतरनाक रही है। इस युद्ध ने अधोसंरचना और जनसंख्या पर बड़े पैमाने पर विनाशकारी प्रभाव डाला है।
इस रिपोर्ट के आधार पर यह स्पष्ट है कि GPI का अध्ययन यात्रा और रहने के लिए इन देशों में आने वाले संभावित खतरों और जोखिमों को समझना महत्वपूर्ण है। यह जानकारी न केवल बुद्धिमानीपूर्वक निर्णय लेने में मददगार हो सकती है, बल्कि मानवीय प्रयासों और नीतियों के निर्माण के लिए भी आवश्यक है, जो इन संकटग्रस्त क्षेत्रों में स्थिरता और शांति लाने में मदद कर सकें।
संपूर्ण विवरण के साथ यह रिपोर्ट वैश्विक शांति और सुरक्षा को समझने में एक महत्वपूर्ण उपकरण साबित होती है। GPI के माध्यम से मिली जानकारी से न केवल व्यक्ति, बल्कि सरकारें और अंतर्राष्ट्रीय संगठन भी प्रभावी रणनीतियाँ बना सकते हैं और इन संकटग्रस्त क्षेत्रों में शांति और स्थिरता लाने के लिए कार्य कर सकते हैं।
Vipul Kumar
अगस्त 23, 2024 AT 03:46ग्लोबल पीस इंडेक्स की रिपोर्ट बहुत ही जानकारीपूर्ण है। यह हमें दिखाता है कि किस प्रकार सशस्त्र संघर्ष और सामाजिक असुरक्षा एक दूसरे को प्रभावित करती हैं। यदि आप किसी जोखिम वाले क्षेत्र में यात्रा की योजना बना रहे हैं, तो यह डेटा एक अहम गाइडलाइनों जैसा काम करता है। साथ ही, अंतरराष्ट्रीय सहयोग की महत्ता को समझने में यह रिपोर्ट मददगार साबित होती है। आशा है कि भविष्य में शांति निर्माण के प्रयास इस दिशा में और तेज़ी से आगे बढ़ेंगे।
Priyanka Ambardar
अगस्त 23, 2024 AT 04:03देखो, हमारे देश की तुलना में ये देश पूरी तरह से अस्थिर हैं! हमें अपनी सुरक्षा को प्राथमिकता देनी चाहिए और विदेश में यात्रा के बारे में सतर्क रहना चाहिए 😡💥। भारत हमेशा शांति और स्थिरता का समर्थन करता है, जबकि ये जगहें केवल खतरों से भरपूर हैं।
sujaya selalu jaya
अगस्त 23, 2024 AT 04:20रिपोर्ट विस्तृत है, आँकड़े स्पष्ट हैं, स्थिति गंभीर है
Ranveer Tyagi
अगस्त 23, 2024 AT 04:36वाह! क्या डाटा है!! यमन, सूडान, दक्षिण‑सूडान-सब खतरों से घिरे हैं!!! लोगों को तुरंत मदद की जरूरत है!!! सरकारों को चाहिए कि वे अंतरराष्ट्रीय सहयोग को तेज़ करें!!!
Tejas Srivastava
अगस्त 23, 2024 AT 04:53यह देखना दिल दहला देता है... हर साल बढ़ती हिंसा, बढ़ते विस्थापन, और बिखरते जीवन... क्या हम इस अंधेरे को आगे बढ़ने देंगे???
JAYESH DHUMAK
अगस्त 23, 2024 AT 05:26ग्लोबल पीस इंडेक्स (GPI) के नवीनतम संस्करण ने विश्व स्तर पर सुरक्षा की स्थितियों का विस्तृत विश्लेषण प्रस्तुत किया है। इस विश्लेषण में 163 देशों को 23 व्यापक संकेतकों के आधार पर मूल्यांकित किया गया है, जिससे जोखिम का बहु‑आयामी परिप्रेक्ष्य उपलब्ध हुआ है। यमन का स्कोर 3.397 है, जो निरंतर सिविल संघर्ष, व्यापक मानवीय संकट और बुनियादी सुविधाओं के विनाश को प्रतिबिंबित करता है। सूडान का स्कोर 3.327 है, जहाँ दारफुर, साउथ‑कोर्डोफैन और ब्लू नाइल क्षेत्रों में चल रहे संघर्षों ने सामाजिक अराजकता को जन्म दिया है। दक्षिण सूडान का स्कोर 3.324 है, और 2011‑के बाद से इस देश में जातीय हिंसा तथा राजनीतिक अस्थिरता ने विकास को बाधित किया है। अफगानिस्तान, यूक्रेन और डीआरसी को भी उच्च जोखिम वाले देशों में वर्गीकृत किया गया है, जहाँ आतंकवाद, सैन्य आक्रमण और अंतर्स्थानीय संघर्ष प्रमुख कारक के रूप में उभरे हैं। रिपोर्ट में उल्लेख किया गया है कि रूसी संघ का स्कोर 3.249 है, जो आंतरिक संगठित अपराध, भ्रष्टाचार और यूक्रेन में चल रहे युद्ध के सम्मिलित प्रभाव को दर्शाता है। इसी प्रकार सीरिया का स्थिति भी अत्यंत अस्थिर है, जहाँ 2011‑के बाद से लगातार सिविल युद्ध ने जनसंख्या के बड़े हिस्से को विस्थापित कर दिया है। इन आँकड़ों को देखते हुए, अंतरराष्ट्रीय नीतिनिर्माताओं को बहुआयामी रणनीतियों का निर्माण करना आवश्यक प्रतीत होता है, जिससे स्थायी शांति का मार्ग संगीतमय हो सके। विशेष रूप से मानवीय सहायता में प्रावधान, सतत विकास लक्ष्यों के साथ एकीकरण और शान्ति निर्माण के लिए स्थानीय निकायों की भागीदारी को सुदृढ़ किया जाना चाहिए। आर्थिक विश्लेषण यह भी संकेत करता है कि निरन्तर संघर्ष वाले क्षेत्रों में निवेश का माहौल नकारात्मक रूप से प्रभावित होता है, जिससे विकास में बाधा उत्पन्न होती है। इसलिए, बहु‑स्रोत वित्त पोषण, शर्तीय सहायता और क्षमता निर्माण कार्यक्रमों को प्राथमिकता देना आवश्यक है। राष्ट्रीय सरकारों को भी अपने भीतर सुरक्षा संरचनाओं को पुनर्गठित करना चाहिए, ताकि नागरिकों के मूलभूत अधिकारों की रक्षा की जा सके। संयुक्त राष्ट्र और अन्य बहुपक्षीय संस्थाएँ इन देशों में शांति दलों एवं निगरानी मिशनों को विस्तारित करने पर विचार कर रही हैं। अंततः, गहन डेटा‑आधारित विश्लेषण इस बात को उभारता है कि सशक्त शांति निर्माण के लिये बहु‑स्तरीय सहयोग अपरिहार्य है। इस संदर्भ में, नीति निर्माताओं, अकादमिक समुदाय और नागरिक समाज के बीच संवाद को प्रोत्साहन देना आवश्यक है, जिससे शांति व स्थिरता की दिशा में ठोस कदम उठाए जा सकें।
Santosh Sharma
अगस्त 23, 2024 AT 06:00इन आँकड़ों को भली-भांति समझकर हम नीतिगत बदलावों की दिशा में सकारात्मक कदम उठा सकते हैं। अंतरराष्ट्रीय सहयोग और मानवीय प्रयासों को तेज़ करने से शांति की दिशा में बड़ी प्रगति संभव है। आइए, मिलजुल कर इन क्षेत्रों में स्थिरता लाने के प्रयासों को समर्थन दें।
yatharth chandrakar
अगस्त 23, 2024 AT 06:16आपकी ऊर्जा सराहनीय है, परंतु यह भी महत्वपूर्ण है कि हम तथ्यों को संतुलित दृष्टिकोण से देखें। जीवन में जोखिम का विश्लेषण करते समय केवल राष्ट्रीय भावना नहीं, बल्कि वैचारिक समझ भी आवश्यक है।
Vrushali Prabhu
अगस्त 23, 2024 AT 06:33वाकई, इह रिपोर्ट तो एकदम दिमाग हिला देती है!! एबं हम सबको इसको फ़ॉलो करणा चाहिए... एकदम जिग्री भरी पारी है!!
parlan caem
अगस्त 23, 2024 AT 06:50ये बकवास टिप्पणी बिल्कुल अस्वीकार्य है। तथ्यात्मक डेटा को इस तरह की बेतुकी भाषा में प्रस्तुत करना शर्मनाक है। सभी को गंभीरता से पढ़ना चाहिए, ना कि ऐसे बेतरतीब शब्दों से।
Mayur Karanjkar
अगस्त 23, 2024 AT 07:06डेटा‑ड्रिवन विश्लेषण से जोखिम‑आकलन का फ्रेमवर्क स्पष्ट होता है।
Sara Khan M
अगस्त 23, 2024 AT 07:23सच्ची बात, इस डेटा से आंखें खुल गईं 😊