प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में कन्याकुमारी के प्रसिद्ध विवेकानंद रॉक मेमोरियल में ध्यान किया। यह ध्यानसत्र 31 मई से 1 जून शाम तक चला और इसे ऐतिहासिक महत्व के तौर पर देखा जा रहा है। प्रधानमंत्री मोदी ने इस ध्यान सत्र की शुरुआत भगवती अम्मन मंदिर में पूजा-अर्चना के साथ की, जो इस क्षेत्र के प्रमुख धार्मिक स्थलों में से एक है।
प्रधानमंत्री मोदी 30 मई को कन्याकुमारी पहुंचे थे, चुनाव प्रचार के बाद। उनके इस दौरे को स्वामी विवेकानंद की यात्रा की प्रतिध्वनि के रूप में देखा जा रहा है। स्वामी विवेकानंद ने अपने जीवन में एक महत्वपूर्ण समय इसी स्थान पर ध्यान करते हुए बिताया था। नरेंद्र मोदी ने अपने इसी दौरे पर उन्हीं के आदर्शों और पदचिन्हों पर चलते हुए ध्यान साधना की।
प्रधानमंत्री का इस तरह का ध्यान सत्र करना बहुत ही महत्वपूर्ण माना जा रहा है, क्योंकि यह न केवल उनकी व्यक्तिगत योग और ध्यान की प्रथाओं को प्रदर्शित करता है, बल्कि ध्यान और आध्यात्मिकता के भारतीय सांस्कृतिक धरोहर को भी सम्मानित करता है। ध्यान के माध्यम से प्रधानमंत्री ने न केवल मानसिक शांति प्राप्त की बल्कि देशवासियों को भी एक सशक्त संदेश दिया कि जीवन में आध्यात्मिकता और मन की शांति कितनी आवश्यक है।
प्रधानमंत्री ने अपने ध्यान सत्र की शुरुआत भगवती अम्मन मंदिर में पूजा के साथ की। इस मंदिर का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व अत्यंत ज्यादा है। कन्याकुमारी में स्थित यह मंदिर मां भगवती को समर्पित है, जो शक्ति की देवी मानी जाती हैं। प्रधानमंत्री ने यहां पर विशेष आरती और पूजा अर्चना की, जिसे देखने के लिए लोगों की भीड़ उमड़ी थी।
प्रधानमंत्री ने अपनी पूजा और ध्यान के माध्यम से देश की सांस्कृतिक धरोहर को और मजबूत किया। उन्होंने मंदिर परिसर में उपस्थित भक्तों से मुलाकात की और उन्हें प्रेरित किया।
प्रधानमंत्री का ध्यान सत्र विवेकानंद रॉक मेमोरियल में हुआ, जो कि एक ऐतिहासिक और सांस्कृतिक स्थल है। यह वह स्थान है जहां स्वामी विवेकानंद ने अक्टूबर 1892 में अपने महासागर-की-दृष्टि के तहत ध्यान किया था। प्रधानमंत्री के इस ध्यान सत्र का आयोजन न केवल उनकी व्यक्तिगत आध्यात्मिकता को उभारने के लिए था, बल्कि यह एक सांकेतिक कदम भी था, जो पूरे देश के लिए प्रेरणास्त्रोत बन सके।
इस दौरान प्रधानमंत्री ने ध्यान कर अपने मन की शांति और स्थिरता को प्राप्त किया। ध्यान के माध्यम से उन्होंने लोगों को यह संदेश दिया कि मानसिक शांति और आध्यात्मिक उन्नति जीवन की बहुत ही महत्वपूर्ण भाग हैं। प्रधानमंत्री का यह कदम युवाओं और देशवासियों के लिए एक प्रेरणा स्रोत के रूप में देखा जा रहा है।
प्रधानमंत्री मोदी के ध्यान सत्र के दूसरे दिन की झलकियां 1 जून को जारी की गईं। इन झलकियों में प्रधानमंत्री ध्यान में लीन दिखाई दे रहे थे। उनकी ध्यान मुद्रा, शांति और सादगी को दर्शा रही थी, जो उनके संकल्प और साधना की गहराई को प्रतिध्वनित कर रही थी। यह झलकियां समाचार माध्यमों में तेजी से फैली और लोगों ने उन्हें बड़े चाव से देखा।
इस प्रकार, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का यह ध्यान सत्र न केवल उनके लिए मानसिक शांति का एक जरिया रहा, बल्कि यह पूरी दुनिया के लिए एक महत्वपूर्ण संदेश था कि ध्यान और सादगी से बड़ा कोई दूसरा मार्ग नहीं हो सकता।