पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत-पाकिस्तान क्रिकेट पर बैन की मांग तेज, सितारे भी बोले सख्त

अप्रैल, 25 2025

भारत पाकिस्तान क्रिकेट की राजनीति: पहलगाम हमले के बाद माहौल ताजा

कश्मीर के पहलगाम आतंकी हमले ने देश को झकझोर दिया है। जख्म इतने गहरे हैं कि अब अपराध और खेल की बहस फिर से शुरू हो गई है। हमले के बाद कई बड़ी आवाजें सामने आ चुकी हैं, जिनका कहना है—बस, अब कोई क्रिकेट कूटनीति नहीं। देश के अंदर गुस्सा साफ झलक रहा है और यही गुस्सा क्रिकेट पिच तक पहुंच गया है।

सबसे मुखर रहे शृवत्स गोस्वामी, जिन्होंने 2008 में अंडर-19 वर्ल्ड कप विराट कोहली की कप्तानी में जीता था। उन्होंने सोशल मीडिया पर तीखा विरोध जताया—'अब दोस्ताना मैच या टूर्नामेंट की बातें बंद करें। जब तक पाकिस्तान अपनी हरकतें बंद नहीं करता, तब तक क्रिकेट completely बंद हो। क्रिकेट की आड़ में कोई कूटनीति नहीं चलेगी।'

कोहली ने भी हमले पर गहरा शोक जताया। उन्होंने घटना को 'क्रूर' और 'सभ्यता के खिलाफ' बताया। उन्होंने सार्वजनिक तौर पर पाकिस्तान के खिलाफ बोलने से बचते हुए भी साफ किया कि जो हुआ, वह बर्दाश्त के काबिल नहीं। उनकी भावना लोगों की झुंझलाहट को ही आवाज दे रही थी।

क्रिकेट मैच या देश की अस्मिता—अब रोडमैप क्या?

क्रिकेट मैच या देश की अस्मिता—अब रोडमैप क्या?

भारत और पाकिस्तान के बीच क्रिकेट मैच अब वर्षों से सिर्फ एशिया कप या वर्ल्ड कप जैसे बड़े आयोजनों तक सीमित रह गए हैं। आखिरी द्विपक्षीय सीरीज 2012-13 में खेली गई थी। उस के बाद, तनाव के बादल कभी छंटे ही नहीं। मगर अब, जब नए हमले हुए हैं, सोशल मीडिया पर #BanPakCricket और #NoCricketWithPakistan जैसे ट्रेंड हर जगह छाए हैं। कोई कह रहा है, 'अब लगता है क्रिकेट जोड़ने का जरिया नहीं, नफरत का बहाना बनता जा रहा है।'

बीसीसीआई भी अपना रुख साफ कर चुका है। उन्होंने पाकिस्तान सुपर लीग (PSL) के इंडिया में प्रसारण पर सीधे रोक लगा दी है। ऐसी कभी-कभार ही नीतिगत सख्ती दिखाई देती थी। यही नहीं, बीसीसीआई अधिकारियों ने यह भी कहा है कि अगर हालात सुधरते नहीं हैं तो एशिया कप और आने वाले वर्ल्ड कप में भारत-पाक मैच रद्द या शिफ्ट हो सकते हैं। यह आम दर्शक के लिए बहुत बड़ा फैसला होगा, क्योंकि भारत-पाक मुकाबले सिर्फ खेल नहीं, बल्कि करोड़ों की नजरों का खेल भी हैं।

क्रिकेटरों से लेकर आम लोगों तक, गुस्सा फूट रहा है। सुनील गावस्कर ने सीधा पाकिस्तान पर आतंकवाद को बढ़ावा देने का आरोप लगा दिया। उन्होंने सामने आकर दो टूक कहा—'खेल संजोता है, लेकिन जब विरोधी का इरादा शांति नहीं, तब कैसे खेला जाए?' हर कोई इस सवाल पर उलझा है कि सुरक्षा और देश के सम्मान के बीच क्रिकेट खेलने का क्या औचित्य है?

सोशल मीडिया पर आम लोग भी एक्टिव हो गए हैं। शैलेश_घांची जैसे यूजर्स ने अलग-अलग प्लेटफॉर्म्स पर বাইकॉट के लिए कैंपेन चालू कर दिए हैं—'अब क्रिकेट की लॉलीपॉप मत दो, कड़े फैसले चाहिए!'

पहाड़ी इलाकों में हुए इस ताजा हमले ने आज देश को यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि क्रिकेट बैन ही शायद ऐक्टिव मेसेज होगा। यह सिलसिला केवल इमोशनल रिएक्शन नहीं, बल्कि मजबूत नीति की डिमांड बनता जा रहा है। यदि हालिया घटनाएं इसी तरह चलती रहीं, तो भविष्य में भारत और पाकिस्तान के बीच क्रिकेट ग्राउंड पर फिर कब भिड़ंत होगी, ये कहना बहुत मुश्किल है।