जीवन की व्यस्तता के बीच, जब हम शेयर बाजार की गतिविधियों पर ध्यान देते हैं, तो यह जानना अत्यंत आवश्यक हो जाता है कि किन दिनों पर बाजार बंद रहेगा। आगामी महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों के कारण, 20 नवंबर 2024 को राष्ट्रीय स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) और बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) को बंद रखने का फैसला लिया गया है। यह अवकाश विशेष रूप से इक्विटी, डेरिवेटिव्स और सिक्योरिटीज लेंडिंग और बॉरोइंग श्रेणियों पर लागू होता है। यह कदम मतदाताओं और कर्मचारियों को चुनाव में भाग लेने की सुविधा देने के लिए उठाया गया है।
बीएसई और एनएसई द्वारा प्रत्येक वर्ष एक विस्तृत अवकाश कैलेंडर जारी किया जाता है, जो उस वर्ष की छुट्टियों की पूरी सूची प्रदान करता है जब बाजार बंद रहेगा। 2024 के कैलेंडर के अनुसार, पूरे वर्ष के लिए 16 अवकाशों की घोषणा की गई थी, जिनमें से 14 तो पहले ही आ चुके हैं। हाल ही में 15 नवंबर को गुरु नानक जयंती के अवसर पर भी बाजार बंद रहा था। अगला अवकाश क्रिसमस के लिए 25 दिसंबर को निर्धारित है।
कभी-कभी, छुट्टियों के दौरान व्यापार करने की योजना बनाने वाले निवेशकों को इसके लिए विशेष रूप से तैयारी करनी पड़ती है। आधिकारिक वेबसाइट्स, जैसे एनएसई और बीएसई, पर जाकर आप अवकाश की पूरी जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। इन वेबसाइट्स पर आप 'Resources' टैब पर जाकर 'Exchange communication' अनुभाग के तहत 'Holidays' का विकल्प चुन सकते हैं जहाँ आपको सभी संबंधित जानकारी मिल जाएगी।
बुधवार को अवकाश से पहले, मंगलवार, 19 नवंबर को बाजार का सत्र अत्यधिक अस्थिर रहा। शुरुआत में, बाजार ने भारी मुनाफा दर्शाया, और बीएसई सेंसेक्स ने इंट्राडे ट्रेडिंग के दौरान 1,000 से अधिक अंक का लाभ दर्ज किया। हालांकि, ये लाभ सत्र के अंत तक गायब हो गए, जो निवेशकों के बीच जारी सतर्कता के मूड को दर्शाता है। 30 शेयरों वाला बीएसई सेंसेक्स मामूली बढ़त के साथ बंद हुआ, जिसमें 239 अंकों यानी 0.31% की वृद्धि हुई और यह 77,578.38 पर समाप्त हुआ। इसी प्रकार एनएसई निफ्टी50 ने 64.7 अंक या 0.28% की वृद्धि दिखाई और यह 23,518.50 पर बंद हुआ।
निफ्टी50 में पिछले कुछ महीनों में तेज गिरावट देखी गई है। यह 26,277 के अपने रिकॉर्ड उच्च स्तर से लगभग 10% गिर चुका है। अगर यह गिरावट अपने उच्च स्तर से 20% तक पहुँचती है, तो यह मंदी का संकेत होगा। हालिया बाज़ार गिरावट के दौरान निफ्टी50 ने अपने 200-दिवसीय घातीय मूविंग औसत को भी पार कर लिया। जबकि उसने मंगलवार को इस स्तर को फिर से हासिल करने का प्रयास किया, लेकिन वह इसे बरकरार नहीं रख सका, जो निवेशकों के मनोबल को दर्शाता है।
एक अन्य अहम कारण है विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) की निरंतर बिकवाली। नवंबर में अब तक एफपीआई ने 22,420 करोड़ रुपये निकाल लिए हैं, जबकि अक्टूबर में 1.14 लाख करोड़ रुपये की भारी निकासी दर्ज की गई थी। यह भारतीय बाजार पर विदेशी निवेशकों के संशयपूर्ण रुख को दर्शाता है जो आगामी आर्थिक परिस्थितियों और राजनीतिक स्थिति से प्रभावित हो सकता है।
इन निष्कर्षों के साथ, निर्मित परिस्थितियों में अगर आप बाजार में निवेश कर रहे हैं या निवेश की योजना बना रहे हैं, तो इन घटनाओं को ध्यान में रखते हुए फैसले करने का समय है। जहां तक चुनावों की बात है, यह लोकतंत्र का उत्सव है और इसका महत्व सर्वत्र स्वीकार्यता के साथ है।