कान्स फिल्म फेस्टिवल 2024 में जॉर्ज मिलर की फिल्म 'फ्यूरियोसा: ए मैड मैक्स सागा' का प्रीमियर हुआ। यह फिल्म 2015 में आई मैड मैक्स सीरीज की हिट फिल्म 'मैड मैक्स: फ्यूरी रोड' की प्रीक्वल है। 'फ्यूरियोसा' उस फिल्म की प्रमुख किरदार फ्यूरियोसा की ओरिजिन स्टोरी पर आधारित है।
फिल्म का कथानक फ्यूरियोसा के जीवन के अलग-अलग समय में आगे-पीछे जाता है। इसमें उसके बचपन से लेकर उसकी मां के साथ बिताए समय, क्रिस हेम्सवर्थ द्वारा निभाए गए क्रूर तानाशाह डीमेंटस से उसकी मुठभेड़, और अंततः युद्ध-वाहन चालक प्रीटोरियन जैक के साथ उसकी सवारी तक की यात्रा दिखाई गई है।
फिल्म में एन्या टेलर-जॉय ने बड़ी फ्यूरियोसा और अलायला ब्राउन ने युवा फ्यूरियोसा की भूमिका में शानदार अभिनय किया है। फिल्म के विजुअल्स और एक्शन सीक्वेंस भी प्रभावशाली हैं। हालांकि, 'मैड मैक्स: फ्यूरी रोड' की तुलना में यह फिल्म उतनी ऊर्जावान और रोमांचक नहीं है।
फिल्म में फ्यूरियोसा की पृष्ठभूमि और शुरुआती जीवन पर ध्यान केंद्रित करने की कोशिश की गई है, लेकिन ऐसा लगता है कि यह अनावश्यक था। फ्यूरियोसा के चरित्र की खासियत इसमें है कि उसके बारे में बहुत कुछ अनकहा और अदेखा है। उसके बचपन और पृष्ठभूमि पर ध्यान देने से उसका आकर्षण कम हो गया है।
कुल मिलाकर, 'फ्यूरियोसा: ए मैड मैक्स सागा' मैड मैक्स सीरीज के समर्पित प्रशंसकों के लिए देखने लायक फिल्म है। लेकिन यह 'मैड मैक्स: फ्यूरी रोड' द्वारा सेट की गई उम्मीदों पर खरी नहीं उतरती। फिल्म में शानदार विजुअल्स और एक्शन सीक्वेंस हैं, लेकिन फ्यूरियोसा की ओरिजिन स्टोरी को बताने का प्रयास फिल्म को भारी बना देता है। फिल्म में उस किनेटिक ऊर्जा का अभाव है जो 'मैड मैक्स: फ्यूरी रोड' को इतना खास बनाती है।
फिल्म की कहानी की बात करें तो वह टूटे-फूटे ढंग से आगे बढ़ती है। फिल्म का एक हिस्सा फ्यूरियोसा के बचपन पर केंद्रित है जहां वह अपनी मां के साथ समय बिताती है। दूसरा हिस्सा उसके युवा होने पर है जब वह डीमेंटस के खिलाफ लड़ती है। और तीसरा हिस्सा उस समय का है जब वह प्रीटोरियन जैक के साथ युद्ध-वाहन में सवार होती है। ये सभी घटनाएं अलग-अलग समय पर होती हैं और कहानी इन सबके बीच आगे-पीछे जाती रहती है।
फिल्म की खासियतें
फिल्म की सबसे बड़ी खासियत इसके विजुअल इफेक्ट्स हैं। जॉर्ज मिलर ने एक बार फिर रेगिस्तान की पृष्ठभूमि में एक खूबसूरत दुनिया का निर्माण किया है। फिल्म की सिनेमैटोग्राफी काफी प्रभावशाली है और एक्शन सीक्वेंस को बड़े पैमाने पर फिल्माया गया है।
फिल्म में एन्या टेलर-जॉय और अलायला ब्राउन के अभिनय की भी तारीफ करनी होगी। दोनों ने फ्यूरियोसा के किरदार को बखूबी निभाया है। एन्या ने फ्यूरियोसा के दृढ़ और साहसी व्यक्तित्व को बेहतरीन तरीके से पर्दे पर उतारा है। वहीं अलायला ने युवा फ्यूरियोसा की मासूमियत और हिम्मत को बड़ी खूबसूरती से दर्शाया है।
फिल्म की कमियां
फिल्म की सबसे बड़ी कमी यह है कि यह अनावश्यक लगती है। 'मैड मैक्स: फ्यूरी रोड' ने फ्यूरियोसा के किरदार को बिना किसी बैकस्टोरी के ही इतना प्रभावशाली बना दिया था कि उसकी ओरिजिन स्टोरी की कोई जरूरत महसूस नहीं होती।
फिल्म का एक और मुद्दा यह है कि इसमें 'मैड मैक्स: फ्यूरी रोड' जैसी ऊर्जा का अभाव है। 2015 की फिल्म पूरे समय तेज रफ्तार से चलती रही और दर्शकों को अपनी पकड़ में बांधे रखा। लेकिन 'फ्यूरियोसा' इस मामले में थोड़ी पीछे रह जाती है।
निष्कर्ष
'फ्यूरियोसा: ए मैड मैक्स सागा' एक ठीक-ठाक फिल्म है जो मैड मैक्स सीरीज के फैंस को पसंद आ सकती है। लेकिन 'मैड मैक्स: फ्यूरी रोड' की तुलना में यह उतनी प्रभावशाली नहीं है। फिल्म के विजुअल्स और एक्शन सीक्वेंस देखने लायक हैं, लेकिन फ्यूरियोसा की पृष्ठभूमि पर ज्यादा ध्यान देने से फिल्म का प्रभाव कम हो गया है। फिर भी, जॉर्ज मिलर के निर्देशन और एन्या टेलर-जॉय व अलायला ब्राउन के शानदार अभिनय के लिए फिल्म को एक मौका जरूर दिया जा सकता है।
Sonia Singh
मई 16, 2024 AT 19:30फ्यूरियोसा की बैकस्टोरी देख के थोड़ा सरप्राइज हुआ, पर असली मज़ा तो मैक्स की हाई‑ऑक्टेन राइड्स में है। गैजेट्स और रेगिस्तान का माहौल वाकई दमदार लगता है। अगर आप सिर्फ एक्शन चाहते थे तो ये थोड़ा धीमा लग सकता है। फिर भी एन्या की एक्टिंग बढ़िया है, इसलिए एक बार देखिए।
Ashutosh Bilange
मई 16, 2024 AT 19:46यो फिल्म देखके लगा कि जॉर्ज ने फिर से सैंडस्टॉर्म में धूम मचा दी। फ्यूरिओसा की किड़की कहानी तो काफ़ी एंटर्टेनिंग थी, पर मैड मैकक्स की एर्जी नहीं आई। मैं तो कहूँगा कि बाकी सब फुर्सत की बातें हैं, असली टेंशन तो केवल टायर के पिच्चर में है। एनीमैशन और साउंडट्रैक तो बहुत टॉप‑लेवल थे, बस कथा में फ्लेवर कम था। पर्सनल फेवरेट तो कोई भी नहीं, लेकिन फिर भी देखना वर्थ था।
Kaushal Skngh
मई 16, 2024 AT 19:55बिना पृष्ठभूमि के फ्यूरियोसा की मस्त स्टाइल ही काफी थी।
Harshit Gupta
मई 16, 2024 AT 20:03सोनिया का नज़रिया ठीक है, पर इस कहानी को बनाना बाज़ार में फालतू पगड़ी लगा रहा है। फ्यूरियोसा का किरदार इतना आइकोनिक था कि उसके पीछे की कहानी का खुलासा करना अनावश्यक बन गया। हमें वही तेज़‑रफ़्तार एक्शन चाहिए जो मैक्स की फिल्म में था, न कि बच्चपन की झलक। इस प्रीक्वल ने सिर्फ समय बर्बाद किया, और फैंस को थोड़ा निराश किया।
HarDeep Randhawa
मई 16, 2024 AT 20:20जैसे‑जैसे हम देखते हैं, फ्यूरियोसा की प्रीक्वल हमें बताती है कि इंस्पिरेशन कहीं भी मिल सकता है, पर क्या ज़रूरत थी इस स्पिन‑ऑफ की??! अगर आप फैंटेसी में गहराई चाहते हैं, तो यह थोड़ा हल्का है, लेकिन अगर आप एड्रेनालिन की ख़ुराक चाहते हैं, तो शायद यह कैंटीन में परोसने वाला स्नैक है, मेन कोर्स नहीं।
Nivedita Shukla
मई 16, 2024 AT 21:43फ्यूरियोसा की ओरिजिन कहानी को समझना इसका सबसे बड़ा उद्देश्य माना गया, पर वास्तव में यह हमें क्या सिखाती है? वह बचपन में जिसकी माँ के साथ बिताए पल, गहराई में जाकर एक सच्ची मानवता की झलक दिखाते हैं। फिर भी, इस गहराई को देखते हुए हम सोचते हैं कि क्या यह दिशा फिल्म की मूल ऊर्जा से समझौता तो नहीं कर रही? कई दर्शकों ने कहा कि मैक्स की तेज़ गति, खुरदुरे रफ़्तार वाले सीन, यही वह असली मसाला है।
फ्यूरियोसा की कहानी को दिमाग में रखकर, जॉर्ज ने संभवतः एक नया रूप देने की कोशिश की, पर परिणाम में वह नज़र नहीं आई।
एक ओर, विजुअल इफ़ेक्ट्स और रेगिस्तानी पृष्ठभूमि का प्रयोग असाधारण है, जो दर्शकों को दृश्यात्मक रूप से मंत्रमुग्ध करता है।
दूसरी ओर, कहानी के टुकड़ों‑टुकड़ों में फँसने की वजह से संपूर्ण प्रवाह ठंडा पड़ गया।
यहाँ तक कि एन्या टेलर‑जॉय की मजबूत परफ़ॉर्मेंस भी कभी‑कभी गड़बड़ लय के साथ मिलकर झिलमिलाने लगती है।
यदि हम इस फिल्म को पूरी तरह से देखे तो समझ आ जाता है कि उसका लक्ष्य सिर्फ फेडरल बैकस्टोरी नहीं, बल्कि एक भावनात्मक बिंदु पकड़ना था।
परंतु इस बिंदु की पहुंच कई बार धुंधली लगती है, क्योंकि दर्शक को मूल मैड मैक्स की जंगली भावना की याद दिलाना कठिन हो जाता है।
अंत में, यह कहा जा सकता है कि यह फिल्म एक प्रयोग है, एक विचारात्मक प्रयोग, जिसे शायद बच्चा‑बच्चा देखेगा, पर जो बड़े दर्शक रुचि खो देंगे।
फिर भी, अगर आप फिल्म की हर छोटि‑छोटी बारीकी को सरहाते हैं, तो यह आपको एक नई दृष्टी दे सकती है।
सच कहूँ तो, इस प्रीक्वल को देखना एक दो‑तीन बार की इच्छा बन सकता है, लेकिन लगातार देखने की गरज नहीं।
इसलिए, फिल्म का अस्तित्व जीवन के छोटे‑छोटे टुकड़ों से बना है, जो सिर्फ कुछ लोगों के लिए ही मायने रखता है।
समग्र रूप में, इसे एक ‘अच्छी‑से‑मध्यम’ अनुभव माना जा सकता है, न कि एक ‘एपिक’ यात्रा।