जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव में 90 सीटों के लिए वर्तमान में मतगणना की जा रही है, और इसमें जनता की निगाहें सिंधु घाटी के भविष्य पर टिकी हुई हैं। नेशनल कॉन्फ्रेंस के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला ने यह विश्वास जताया है कि उनकी पार्टी कांग्रेस के साथ मिलकर जीत का परचम लहराएगी। यह चुनाव न केवल राजनीतिक दलों के भाग्य को निर्धारित करेगा, बल्कि राज्य की आगामी राजनीतिक दिशा को भी आकार देगा। जबकि भाजपा और कांग्रेस-एनसी गठबंधन के बीच कड़ी टक्कर देखी जा रही है, मतदान के प्रारंभिक रुझानों में एक करीबी मुकाबला नजर आ रहा है।
उमर अब्दुल्ला, जो गांदरबल और बडगाम क्षेत्रों से चुनावी मैदान में उतरे हैं, ने खुद को और अपनी पार्टी को एक अच्छा संघर्ष कर्ता बताते हुए कहा, "हमने अच्छा संघर्ष किया है और हमें सफलता मिलेगी।" उन्होंने अपने सहयोगियों को शुभकामनाएँ देते हुए कहा, "हमें जनता का पूरा समर्थन हासिल हुआ है।" साथ ही, उन्होंने मतगणना प्रक्रिया में पारदर्शिता की आवश्यकता पर जोर दिया है, जिससे लोगों की असल भावना का सम्मान किया जाए।
उमर ने भाजपा को सावधान करते हुए कहा कि यदि जनमत भाजपा के खिलाफ होता है, तो उन्हें अपने हथकंडों से बाज आना चाहिए। यह बयान उन संभावित राजनीतिक चालों की ओर इशारा करता है जिनका उपयोग चुनाव परिणामों को प्रभावित करने के लिए किया जा सकता है। उमर अब्दुल्ला ने जनता से भी आग्रह किया कि वे रिस्पांस पर किसी भी प्रकार का मत बनाने से पहले नतीजे का इंतजार करें।
यह चुनाव भाजपा, कांग्रेस, नेशनल कॉन्फ्रेंस और पीडीपी जैसी क्षेत्रीय पार्टियों के लिए एक बड़ी परीक्षा है। इन परिणामों का प्रभाव न केवल राजनीतिक नेतृत्व में परिवर्तन ला सकता है बल्कि यह जनता की प्राथमिकताओं और उनके सोच में बदलाव का संकेत भी दे सकता है। इस चुनाव ने राजनीतिक दलों के लिए नई रणनीतियों और गठबंधनों की संभावनाओं को भी उत्पन्न किया है।
जम्मू-कश्मीर की सत्ता के लिए यह संघर्ष ऐतिहासिक है, और इसका प्रभाव न केवल राज्य बल्कि पूरे देश पर पड़ने वाला है। इस क्षेत्र के आगामी राजनीतिक धाराओं, सुरक्षा स्थिति और आर्थिक प्रगति पर यह चुनाव दीर्घकालिक प्रभाव डाल सकता है।
उमर अब्दुल्ला ने यह स्पष्ट किया है कि पीडीपी ने नेशनल कॉन्फ्रेंस को किसी भी प्रकार का समर्थन नहीं दिया। उन्होंने इस स्थिति को समझने की कोशिश करते हुए जनता को सलाह दी कि नतीजे आने तक कोई भी अटकलें न लगाएं।
यह साफ हो चुका है कि इस चुनाव में विभिन्न दलों के बीच संघर्ष काफी तीव्र है, और परिणाम न केवल राजनैतिक निर्णयों को प्रभावित कर सकते हैं बल्कि इसे क्षेत्रीय स्थायित्व और विकास के दृष्टिकोण से भी देखा जा रहा है। अंततः, यह देखना खास होगा कि आने वाले दिनों में कौन पार्टी सरकार गठन करेगी और किन मुद्दों को प्राथमिकता देगी।