आरबीआई ने रेपो रेट 6.5% पर रखा स्थिर: जून एमपीसी बैठक के बाद घोषणा

जून, 7 2024

आरबीआई की रेपो रेट स्थिरता की घोषणा के मुख्य बिंदु

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की बैठक के बाद रेपो रेट को 6.5% पर स्थिर रखने का निर्णय लिया है। आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने यह घोषणा करते हुए बताया कि एमपीसी ने 4:2 बहुमत से इस निर्णय का समर्थन किया है। यह लगातार आठवीं बार है जब रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया गया है।

मौद्रिक नीति समिति की बैठक और लोक सभा चुनाव परिणाम

यह निर्णय लोक सभा चुनाव परिणामों के बाद लिया गया है जो 4 जून को घोषित हुए थे। एमपीसी की यह बैठक चुनाव परिणामों के बाद पहली बैठक थी और यह दूसरी द्विमासिक मौद्रिक नीति थी जो वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए आयोजित की गई थी। 5 जून से 7 जून तक चली इस बैठक में समिति ने देश की आर्थिक स्थिति पर विचार करने के बाद यह निर्णय लिया।

रेपो रेट का महत्व और मौजूदा वित्तीय वातावरण

रेपो रेट का महत्व और मौजूदा वित्तीय वातावरण

रेपो रेट वह दर होती है जिस पर आरबीआई व्यापारिक बैंकों को ऋण प्रदान करता है। रेपो रेट में स्थिरता का मतलब है कि ऋण की लागत में कोई वृद्धि नहीं हुई है, जिससे व्यापार और व्यक्तिगत उधारकर्ताओं को राहत मिलेगी। इस निर्णय का बाजार पर सकारात्मक प्रभाव पड़ा है, बीएसई सेंसेक्स 254.53 अंक बढ़कर 75,329.04 पर और एनएसई निफ्टी 99.4 अंक बढ़कर 22,920.80 पर बंद हुआ।

शेयर बाजार की प्रवृत्तियाँ

सूचियों के अनुसार, विप्रो, टेक महिंद्रा, इंफोसिस, टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज, बजाज फाइनेंस, और टाटा स्टील जैसी कंपनियों के शेयर शीर्ष गेनर्स में शामिल रहे। बेंचमार्क इक्विटी इंडेक्स में भी एक उछाल देखा गया, जिसमें आईटी सेक्टर विशेष रूप से महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

एशियाई और अमेरिकी बाजारों की मिलीजुली प्रतिक्रिया

इस निर्णय के बाद एशियाई बाजारों में मिलीजुली प्रतिक्रिया देखी गई, जहां सियोल में लाभ देखा गया, जबकि टोक्यो, शंघाई और हांगकांग में गिरावट आई। अमेरिकी बाजारों ने गुरुवार को मिश्रित प्रतिक्रिया दी थी।

मौद्रिक नीति समिति का निर्णय: विस्तृत विश्लेषण

मौद्रिक नीति समिति का निर्णय: विस्तृत विश्लेषण

एमपीसी का निर्णय करीब-करीब सर्वसम्मति से लिया गया जिसमें 4:2 का वोट परिणाम रहा। इस निर्णय का उद्देश्य मौद्रिक स्थिरता सुनिश्चित करना और विकास दर को बनाए रखना है। समिति ने यह भी ध्यान रखा है कि वर्तमान आर्थिक परिस्थितियों में किसी भी प्रकार की उथल-पुथल से बचा जा सके।

भविष्य के आर्थिक संकेतक

विशेषज्ञों का मानना है कि रेपो रेट स्थिरता से आने वाले महीनों में बाजार में स्थिरता बनी रहेगी। वित्तीय प्रबंधन को अधिक स्थिर बनाने और महंगाई पर नियंत्रण रखने में यह निर्णय महत्वपूर्ण साबित हो सकता है। यह जनता के लिए एक राहत की बात है क्योंकि इससे उधार की लागत में बढ़ोतरी नहीं होगी।

भविष्य के लिए संभावनाएँ

आने वाले दिनों में आरबीआई का यह निर्णय किस हद तक प्रभावशाली होगा, यह देखने वाली बात होगी। बाजार विशेषज्ञों का मानना है कि यह निर्णय वित्तीय साल 2024-25 के पहले छः महीनों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। धीरे-धीरे आर्थिक सुधार के संकेत भी दिख रहे हैं, जो आने वाले समय में बाजार और वित्तीय क्षेत्रों के लिए शुभ संकेत दे सकता है।

कुल मिलाकर, रेपो रेट को 6.5% पर बनाए रखने का आरबीआई का निर्णय न केवल बाजार को स्थिरता प्रदान करता है, बल्कि आम आदमी की उधार लागत को भी स्थिर रखने में सहायक सिद्ध होगा।