भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) ने 30 सितंबर 2024 को एक महत्वपूर्ण बैठक का आयोजन किया। यह बैठक काफी विवाद और आरोपों के बीच आई, जिसमें SEBI की अध्यक्ष माधबी पुरी बुच और उनके पति धवल बुच के विदेशी फंड्स में निवेश को लेकर विवाद खड़ा हुआ। यह बैठक खासतौर पर इसलिए महत्वपूर्ण थी क्योंकि पहली बार हिन्डनबर्ग रिसर्च द्वारा बुच और उनके पति पर आरोप लगाए गए थे कि उन्होंने विंड अडानी के नियंत्रण वाले विदेशी फंड्स में निवेश किया था। विंड अडानी, गौतम अडानी के भाई हैं, जो अडानी समूह के प्रमुख हैं।
इस बैठक का आधिकारिक रूप से आरोपों से कोई लेनादेना नहीं था, फिर भी यह संभावना थी कि अनौपचारिक रूप से इन मुद्दों पर चर्चा की जाएगी। SEBI बोर्ड में अध्यक्ष सहित कुल आठ सदस्य होते हैं, जिनमें चार पूर्णकालिक सदस्य और वित्त मंत्रालय, कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालय, और भारतीय रिजर्व बैंक के तीन अंशकालिक सदस्य शामिल होते हैं।
बुच और उनके पति पर मुख्य आरोप यह थे कि उन्होंने अदानी समूह की सूचीबद्ध संस्थाओं के शेयरों के मूल्य को संजोने और निधियों में हेरफेर के लिए विदेशी फंड्स में निवेश किया था। इसके अलावा, कांग्रेस पार्टी ने बुच पर आरोप लगाया कि उन्होंने अपने कार्यकाल के दौरान लिस्टेड सिक्योरिटीज में व्यापार किया था और SEBI के नीतियों का उल्लंघन किया था।
माधबी पुरी बुच और धवल बुच ने इन सभी आरोपों का खंडन किया है। उन्होंने कहा कि उन्होंने SEBI के सभी खुलासा संबंधी नियमों का पालन किया है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि उनके द्वारा किए गए निवेश 2015 में किए गए थे जब वे सिंगापुर में निजी नागरिक थे। उन्होंने SEBI के लिए अपनी जिम्मेदारियों के दौरान सभी नियमों का पालन किया और सभी आवश्यक खुलासे किए।
अधिक विवादों के बीच बैठक में लगभग 500 SEBI कर्मचारियों की शिकायतों को भी सुना गया। इनमें कर्मचारियों ने वित्त मंत्रालय को एक 'तनावपूर्ण और विषाक्त कार्य वातावरण' के बारे में लिखा था। SEBI ने शुरू में इन शिकायतों के लिए बाहरी तत्वों को दोषी ठहराया था, लेकिन बाद में कर्मचारियों के विरोध के बाद इस बयान को वापस ले लिया और आंतरिक रूप से मुद्दों को हल करने का वादा किया।
इन विवादों के अलावा, SEBI बोर्ड ने कुछ महत्वपूर्ण प्रस्तावों और नियमों पर चर्चा की और उन्हें मंजूरी दी। इनमें फ्यूचर्स और ऑप्शंस (F&O) ट्रेडिंग के लिए कड़े नियम, 'न्यू एसेट क्लास' और म्यूचुअल फंड लाइट रेगुलेशंस शामिल थे। नया एसेट क्लास म्यूचुअल फंड्स और पोर्टफोलियो मैनेजमेंट सर्विसेज (PMS) के बीच एक निवेश उत्पाद प्रदान करने का प्रस्ताव रखता है, जो कम से कम 10 लाख रुपये की मिनिमम इन्वेस्टमेंट सीमा के साथ आता है।
वहीं, F&O सेगमेंट में सट्टेबाजी करने पर रोक लगाने के उपायों पर भी चर्चा की गई। इनमें मल्टीपल ऑप्शन कॉन्ट्रैक्ट एक्सपायरीज को प्रतिबंधित करना, ऑप्शन कॉन्ट्रैक्ट्स का आकार बढ़ाना और पोजिशन लिमिट्स की अंतरदिनी निगरानी शामिल हैं।
इस बैठक में, नये कॉर्पोरेट अफेयर्स सचिव दीप्ति गौर मुखर्जी का यह पहला SEBI बोर्ड मीटिंग था, जबकि अगले महीने रिटायर होने वाले उप RBI गवर्नर एम राजेश्वर राव के लिए यह आखिरी बैठक थी।
SEBI बोर्ड की इस बैठक के परिणाम पर बाजार की कड़ी निगाहें थीं। बैठक के बाद, सेंसेक्स और निफ्टी में 1% से अधिक की गिरावट देखी गई, जो कि इन प्रस्तावित उपायों के प्रभाव की आशंका के कारण थी।
इस प्रकार, SEBI बोर्ड की यह बैठक कई मायनों में महत्वपूर्ण साबित हुई, जहां एक ओर उसने अपने नियमों को कड़ा करने पर ध्यान केंद्रित किया, वहीं दूसरी ओर उसने अपने कर्मचारियों की शिकायतों को भी सुना।