रिशभ शेट्टी ने 'कांतारा' के लिए जीता सर्वश्रेष्ठ अभिनेता पुरस्कार, 'आट्टम' बनी सर्वश्रेष्ठ फीचर फिल्म

अग॰, 17 2024

70वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार: ऋषभ शेट्टी और 'आट्टम' के नाम रहा महफ़िल

16 अगस्त 2024 को नई दिल्ली में सूचना और प्रसारण मंत्रालय द्वारा आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में 70वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कारों की घोषणा की गई। इन पुरस्कारों का उद्देश्य भारतीय सिनेमा में सालभर की उत्कृष्टता का सम्मान करना है। इस बार कन्नड़ फिल्म 'कांतारा' में अपने उत्कृष्ट अभिनय के लिए रिशभ शेट्टी को सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का पुरस्कार मिला है। साथ ही, मलयालम फिल्म 'आट्टम' ने सर्वश्रेष्ठ फीचर फिल्म का प्रतिष्ठित खिताब हासिल किया है।

सर्वश्रेष्ठ अभिनेता: रिशभ शेट्टी का अदाकारी के प्रति समर्पण

कन्नड़ फिल्म 'कांतारा' में रिशभ शेट्टी का अभिनय सराहनीय था और उनकी इस मेहनत को राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार द्वारा मान्यता दी गई है। शेट्टी ने इस मौके पर अपने अनुभव साझा करते हुए बताया कि यह उनके करियर का अब तक का सबसे गौरवपूर्ण क्षण है। उनके अनुसार, 'कांतारा' के किरदार ने उन्हें अभिनय के नए आयामों से परिचित कराया और इसने उनके अभिनय को नई ऊँचाइयों तक पहुँचाया। शेट्टी ने अपने प्रशंसकों और फिल्म की पूरी टीम का धन्यवाद किया, जिनकी मेहनत के बिना यह संभव नहीं हो सकता था।

सर्वश्रेष्ठ फीचर फिल्म: 'आट्टम' की सफलता की कहानी

मलयालम फिल्म 'आट्टम' को इस साल की सर्वश्रेष्ठ फीचर फिल्म का पुरस्कार मिला है। इस फिल्म की विशेषता उसकी कहानी और निर्देशन में है, जिसने इसे दर्शकों एवं समीक्षकों दोनों से काफी सराहना दिलाई है। फिल्म के निर्देशक और पूरी टीम ने इस मौके पर बताया कि उनके लिए यह पुरस्कार एक बड़ा सम्मान है, जो उनके कड़ी मेहनत का प्रतिफल है। 'आट्टम' की कहानी ने समाज के महत्वपूर्ण मुद्दों को उठाया है, जो दर्शकों के दिलों को छू गई। फिल्म को यह पुरस्कार सबसे अधिक प्रासंगिक और सार्थक फिल्म के रूप में दिया गया है।

महिलाओं की असाधारण भूमिकाएं

इस वर्ष की राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कारों में महिलाओं की भूमिकाओं को भी महत्वपूर्ण स्थान मिला है। 'थिरुचित्रंबलम' फिल्म में अपने शानदार अभिनय के लिए निथ्या मेनन को सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का पुरस्कार मिला है। वे अपने किरदार के प्रति समर्पण और मेहनत के लिए जानी जाती हैं, और उनका यह पुरस्कार उस प्रतिभा का प्रमाण है। इसके साथ ही, गुजराती फिल्म 'कच्छ एक्सप्रेस' में अपने उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए मानसी पारेख को भी सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का पुरस्कार मिला है।

प्रतिष्ठित दादा साहेब फाल्के पुरस्कार: जल्द होगी घोषणा

इस बार के समारोह में दादा साहेब फाल्के पुरस्कार की घोषणा अभी तक नहीं हुई है। जूरी के अनुसार, इस प्रतिष्ठित पुरस्कार के लिए नामांकित व्यक्ति का नाम जल्द ही घोषित किया जाएगा। यह पुरस्कार भारतीय सिनेमा के क्षेत्र में अभूतपूर्व योगदान देने वाली शख्सियत को दिया जाता है और इसकी प्रतीक्षा सभी को बेसब्री से है।

विविध भाषाओं एवं विधाओं में भी सम्‍मान

मौजूदा राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार विभिन्न भाषाओं में बनी उत्कृष्ट फिल्मों को भी सम्मानित करते हैं। जिनमें असमिया, बंगाली, हिंदी, कन्नड़, कोंकणी, मलयालम, मणिपुरी, मराठी, ओड़िया, पंजाबी, तमिल, तेलुगु और अंग्रेजी शामिल हैं। इसके साथ ही, गैर-फीचर फिल्म श्रेणियों में भी महत्वपूर्ण पुरस्कार दिए गए हैं। 'अयाना' को सर्वश्रेष्ठ गैर-फीचर फिल्म नामित किया गया जबकि 'मर्मर्स ऑफ द जंगल' को सर्वश्रेष्ठ डॉक्यूमेंट्री फिल्म का खिताब मिला है।

सर्वश्रेष्ठ एनिमेटेड फिल्म और गैर-फीचर फिल्म निर्देशन पुरस्कार

सर्वश्रेष्ठ एनिमेटेड फिल्म का पुरस्कार ‘ए कोकोनट ट्री’ को और सर्वश्रेष्ठ गैर-फीचर फिल्म निर्देशन का पुरस्कार 'फ्रॉम द शैडो' को मिला है। ये पुरस्कार भारतीय सिनेमाई प्रतिभा के व्यापक और विविध स्वरूप को दर्शाते हैं। पुरस्कार पाने वालों की इस सूची में किताबों के क्षेत्र में भी विशिष्ट नाम शामिल हैं। ‘किशोर कुमार: द अल्टिमेट बायोग्राफी’ किताब को सर्वश्रेष्ठ किताब का पुरस्कार मिला है, जिसे अनिरुद्ध भट्टाचार्य और पार्थिव धर ने लिखा है। साथ ही, दीपक दूआ को सर्वश्रेष्ठ फिल्म समीक्षक के रूप में सम्मानित किया गया है।

पुरस्कार समिति और उनकी निष्पक्षता

ये पुरस्कार समिति की निष्पक्षता और मेहनत का प्रमाण हैं, जो वर्ष 2022 के दौरान सेंसर बोर्ड द्वारा प्रमाणित फिल्मों का मूल्यांकन करती है। 70वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कारों में जिन फिल्मों और कलाकारों को सम्मानित किया गया है, उन्होंने न केवल मनोरंजन जगत में अपनी भूमिका निभाई है, बल्कि समाज को भी एक संदेश देने का प्रयास किया है। ये पुरस्कार भारतीय सिनेमा की उस विशिष्टता और विविधता को भी दर्शाते हैं, जो इसे वैश्विक स्तर पर अलग खड़ा करती है।

अक्टूबर 2024 में होने वाले पुरस्कार समारोह में यह सम्मान राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू द्वारा प्रदान किया जाएगा। यह समारोह भारतीय सिनेमा के लिए अत्यंत महत्वूपूर्ण है और इस बार इसके आयोजन की भव्यता और उत्साह कुछ और ही कहानियां बयां करेंगी।

20 टिप्पणि

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    Ranveer Tyagi

    अगस्त 17, 2024 AT 01:51

    भैय्या, राष्ट्रीय फिल्म अवार्ड्स का मतलब सिर्फ ट्रॉफी नहीं होता!!! ये सिनेमा के सच्चे कलाकारों के लिए एक बड़का मानदेय है,, और इस बार कन्नड़ और मलयालम को मिलाकर दिखाया गया है कि भारत में भाषा के फासले नहीं होते!!! रिशभ शेट्टी का ‘कांतारा’ में किया गया जीवंत प्रदर्शन, पूरी इंडस्ट्री के लिए प्रेरणा बन गया है,, और ‘आट्टम’ की कहानी सामाजिक मुद्दों को छूती है, जिससे यह फिल्म सिर्फ एंटरटेनमेंट नहीं बल्कि एक सामाजिक संदेश देती है!!

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    Tejas Srivastava

    अगस्त 24, 2024 AT 08:10

    ओह माय गॉड!! इस साल के नेशनल फ़िल्म अवार्ड्स देख कर दिल धड़के बिना नहीं रह पा रहा!! प्रेमी और आलोचक दोनों को ये फ़िल्में एक नई दिशा दे रही हैं,, और हम सब को गर्व है कि हमारी भाषा की फिल्में भी अंतरराष्ट्रीय मान्यता पा रही हैं!!

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    JAYESH DHUMAK

    अगस्त 31, 2024 AT 14:29

    राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कारों का इतिहास भारतीय सिनेमा के विकास के साथ गहराई से जुड़ा हुआ है। 1954 में इस पुरस्कार की स्थापना के बाद से, यह मंच हर साल विभिन्न भाषाओं के कलाकारों को सम्मानित करता रहा है। इस बार कन्नड़ और मलयालम फिल्मों को मिले सम्मान यह दर्शाते हैं कि बहुभाषी निर्माण अब सशक्त हो रहा है। ‘कांतारा’ में रिशभ शेट्टी का उत्कृष्ट अभिनय, उनके कोरियोग्राफ़ी, संवाद और भावनात्मक गहराई का प्रमाण है। वहीं ‘आट्टम’ ने सामाजिक मुद्दों को सटीकता से प्रस्तुत किया, जिससे दर्शकों में जागरूकता बढ़ी। राष्ट्रीय फ़िल्म पुरस्कार विभिन्न वर्गों की फ़िल्मों को भी मान्यता देते हैं, जैसे गैर-फ़ीचर, डॉक्यूमेंट्री और एनिमेटेड फ़िल्में। इस वर्ष ‘ए कोकोनट ट्री’ को सर्वश्रेष्ठ एनिमेटेड फ़िल्म का ख़िताब मिला, जो भारतीय एनीमेशन को नई ऊँचाइयों पर ले गया। ‘अयाना’ को सर्वश्रेष्ठ गैर‑फ़ीचर फ़िल्म के रूप में सम्मानित किया गया, जो छोटे प्रारूप में बड़ा प्रभाव डालती हैं। इस पुरस्कार समारोह में बहुभाषी फ़िल्मों की उपस्थिति यह भी दर्शाती है कि भारतीय सिनेमा का दायरा अब सीमाओं से परे है। विभिन्न क्षेत्रों के कलाकारों की मेहनत और समर्पण इस मंच पर झलकता है। इस वर्ष की सूची में असमिया, बंगाली, हिंदी, कोंकणी, मराठी और कई अन्य भाषाओं की फ़िल्में भी सम्मानित हुईं। यह विविधता भारतीय समाज के सांस्कृतिक धारा को प्रतिबिंबित करती है। दादा साहेब फाल्के पुरस्कार की घोषणा अभी बाकी है, लेकिन यह हमेशा से ही सबसे प्रतिष्ठित विशिष्ट योगदान को मान्यता देता आया है। इस पुरस्कार को प्राप्त करने वाले कलाकारों के लिए यह एक जीवन भर का मानद पहचान है। अंत में, यह स्पष्ट है कि राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार केवल मान्यता नहीं, बल्कि भारतीय सिनेमा की निरंतर उन्नति का प्रेरक शक्ति है।

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    Santosh Sharma

    सितंबर 7, 2024 AT 20:48

    यहाँ तक कि ऐसी मान्यता फ़िल्म निर्माताओं को अधिक प्रयोगात्मक और सामाजिक रूप से जिम्मेदार फ़िल्में बनाने के लिए प्रेरित करती है। कन्नड़ और मलयालम दोनों क्षेत्रों में इस तरह के सम्मान से नई टैलेंट को मंच मिलता है।

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    yatharth chandrakar

    सितंबर 15, 2024 AT 03:07

    रिशभ भाई की जीत, निरंतर मेहनत और सच्ची फीलिंग का नतीजा है; हमें ऐसे कलाकारों पर गर्व है।

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    Vrushali Prabhu

    सितंबर 22, 2024 AT 09:26

    वाह! किस्से को देख कर मन दा लूट गा... रिव्यूज़ तो देखे नहिं, पर थमाक लायक लगते हैं, बिन बम्स के!

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    parlan caem

    सितंबर 29, 2024 AT 15:45

    बिलकुल बेकार फिल्में भी अब ट्रॉफी जीत रही हैं।

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    Mayur Karanjkar

    अक्तूबर 6, 2024 AT 22:04

    फ़ीचर फ़िल्म को डोक्युमेंट्री से अलग किया जाता है क्योंकि इसका मुख्य उद्देश्य कहानी कहना और दर्शकों को मनोरंजन देना है।

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    Sara Khan M

    अक्तूबर 14, 2024 AT 04:23

    शाब्दिक रूप से, बहुत बढ़िया! 👍

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    shubham ingale

    अक्तूबर 21, 2024 AT 10:42

    इनकी जीत से सबको मोटिवेशन मिलेगा! 😊

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    Ajay Ram

    अक्तूबर 28, 2024 AT 17:01

    क्लासिक सिनेमा की तरह, यह भी साक्ष्य है कि विविधता में ही शक्ति निहित है। राष्ट्रीय स्तर पर विभिन्न भाषा‑भाषी फ़िल्मों को समान मंच मिले, तो यह सांस्कृतिक समरसता को बढ़ावा देगा। इस सम्मान के पीछे के जर्सी इंस्ट्रक्शन, निर्माण टीम, संगीतकार और लाइटिंग टीम की मेहनत को भी सराहना चाहिए। प्रत्येक फ़िल्म में इस्तेमाल हुई तकनीकी नवाचार, जैसे डिजिटल रेंडरिंग और लो‑कैम एंगल शॉट्स, इस दौर के इवॉल्यूशन को दर्शाते हैं। परिणामस्वरूप, दर्शकों का अनुभव अधिक इमर्सिव हो गया है। इस तरह के सम्मान से नई पीढ़ी के फ़िल्ममेकरों को भी अपनी प्रतिभा को प्रदर्शित करने का प्लेटफ़ॉर्म मिलेगा।

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    Dr Nimit Shah

    नवंबर 4, 2024 AT 23:20

    बिलकुल सही बात कही, इस सम्मान से नई टैलेंट को प्रॉम्प्ट मिलता है, धन्यवाद!

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    Ketan Shah

    नवंबर 12, 2024 AT 05:38

    क्या कभी सोचा है कि इस तरह के पुरस्कारों का चयन प्रक्रिया कितनी पारदर्शी होती है? इस बारे में अधिक जानकारी चाहिए।

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    Aryan Pawar

    नवंबर 19, 2024 AT 11:57

    काफ़ी अच्छा

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    Shritam Mohanty

    नवंबर 26, 2024 AT 18:16

    कहते हैं कि पर्दे के पीछे छुपी राजनैतिक ताकतें इस फॉर्मूले को बदल देती हैं, शायद यही वजह है कि कभी‑कभी कमतर फ़िल्में भी सामने आती हैं।

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    Anuj Panchal

    दिसंबर 4, 2024 AT 00:35

    आटे के दाने की तरह, इन पुरस्कारों में भी जटिल बायो‑केमिकल प्रोसेसिंग शामिल है; जो चयन समिति द्वारा लागू मानदंडों के आधार पर फ़िल्मों को वर्गीकृत करता है।

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    Prakashchander Bhatt

    दिसंबर 11, 2024 AT 06:54

    उत्सव का माहौल शानदार है, लेकिन सच्ची सराहना तभी होती है जब हम फ़िल्मों के पीछे की मेहनत को देख पाते हैं।

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    Mala Strahle

    दिसंबर 18, 2024 AT 13:13

    ये राष्ट्रीय पुरस्कार सिर्फ ट्रॉफी नहीं, बल्कि एक सामाजिक दायित्व भी है। भारतीय सिनेमा विभिन्न भाषाओं में समृद्ध है और इस विविधता को सम्मान देना आवश्यक है। कन्नड़ और मलयालम फ़िल्मों का इस मंच पर आएँ होना इस बात का प्रमाण है कि देश की सांस्कृतिक धरोहर एक साथ खड़े हो रही है। हर साल नई टैलेंट का उभरना यह दिखाता है कि उद्योग में नवाचार और रचनात्मकता की कोई सीमा नहीं है। मनोरंजन के साथ-साथ सामाजिक संदेश देने वाली फ़िल्में दर्शकों को जागरूक करती हैं। इस प्रकार के पुरस्कार कलाकारों को और भी अधिक कड़ी मेहनत करने के लिए प्रेरित करते हैं। मैं आशा करता हूँ कि भविष्य में भी ऐसी ही विविधता बनी रहेगी, ताकि हर कोन से आवाज़ें सुनी जा सकें।

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    shubham garg

    दिसंबर 25, 2024 AT 19:32

    बहुत बढ़िया, आगे भी ऐसे काम होते रहें।

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    LEO MOTTA ESCRITOR

    जनवरी 2, 2025 AT 01:51

    चलो, इस जीत के साथ हम सब मिलके नई फ़िल्मों का इंतजार करें! 🎉

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