बुधवार की सुबह 2 बजे एक दुखद घटना के तहत मलयालम फिल्म उद्योग के प्रमुख संपादक निशाद यूसुफ के मृत पाए जाने की खबर ने फिल्म जगत को हिलाकर रख दिया। कोच्चि के पनम्पिली नगर स्थित उनके अपार्टमेंट में उनका शरीर मिला। 43 वर्षीय निशाद ने अत्याधुनिक तकनीकों और नवाचारों से सुसज्जित फिल्मों की संपादन कला में अपना एक अलग मुकाम बनाया था। उनकी प्रतिभा 'उंडा', जिसमें प्रमुख अभिनेता ममूट्टी ने काम किया है, 'थल्लूमाला' जिसमें टोविनो मुख्य भूमिका में हैं, 'वन', और थारुन मूर्थि द्वारा निर्देशित 'सऊदी वेलक्का' जैसी फिल्में उनकी उत्कृष्टता की गवाही देती हैं।
विशेष रूप से उनके योगदान के लिए उन्हें केरल स्टेट अवार्ड से सम्मानित किया गया, जो किसी भी कलाकार या तकनीकी विशेषज्ञ के लिए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि होती है। निशाद यूसुफ के कार्य उनके कौशल और उनकी फिल्मों के द्वारा दर्शकों में सकारात्मक प्रभाव डालते रहे हैं। 'थल्लूमाला' के लिए उनकी सम्पादकीय कला ने उन्हें केरल स्टेट अवार्ड दिलाया, जिसने उन्हें फिल्म संपादन के क्षेत्र में एक नई ऊंचाई प्रदान की।
उनकी मृत्यु को आत्महत्या के रूप में देखा जा रहा है, हालांकि इसकी पुष्टि के लिए अभी और जाँच की आवश्यकता है। उनका शव जनरल अस्पताल में भेज दिया गया है, जहाँ आगामी पोस्टमोर्टम के लिए उसे संरक्षित किया जाएगा। उनकी मृत्यु के इस अप्रत्याशित समाचार ने पूरे फिल्म उद्योग में एक झटका दिया है, विशेषकर उस समय जब वे आगामी तमिल पीरियड ऐक्शन फिल्म 'कंगुवा' के संपादन में व्यस्त थे। इस फिल्म में सुरिया और बॉबी देओल जैसे बड़े सितारे शामिल हैं और यह 14 नवंबर को रिलीज़ होने वाली है।
इसके अतिरिक्त, वे ममूट्टी के साथ 'बाज़ूका' नामक फिल्म के संपादन पर भी काम कर रहे थे, जिसे नवोदित निर्देशक डीनो डेनिस द्वारा निर्देशित किया जा रहा है। उनकी अचानक हुई मृत्यु ने इन परियोजनाओं से जुड़ी उनकी कई योजनाओं पर विराम लगा दिया है। अब ये सवाल उठा कि इन फिल्मों के भविष्य की दिशा क्या होगी और उनके संपादन का कार्य कौन संभालेगा। हालांकि, यह तय है कि उनके योगदान और कार्यों को हमेशा याद किया जाएगा।
फिल्म उद्योग में निशाद की लोकप्रियता उनके व्यवहार और उनके अनोखे संपादन कौशल के लिए भी थी। वे एक सहयोगी और क्रियात्मक वातावरण को प्रोत्साहित करते थे, जो नये विचारों और तकनीकी पहलुओं के लिए बेहद महत्वपूर्ण होता है। उनके सहयोगियों और सहकर्मियों के लिए वे केवल एक संपादक नहीं थे, बल्कि एक प्रेरणा थे जो अपने कार्य से दूसरों को भी प्रेरित करते थे।
निशाद यूसुफ का यूँ चले जाना मलयालम फिल्म उद्योग के लिए एक बड़ी क्षति है। उनका जाना उन कलाकारों के लिए भी एक बड़ी क्षति बनी जो दोनों व्यक्तिगत और व्यवसायिक रूप से उनसे जुड़े हुए थे। फिल्म जगत अब उनकी कमी को महसूस करेगा और उनकी विरासत हमेशा जीवित रहेगी, जो फिल्म संपादन में उनकी प्रतिभा की महानता को दर्शाएगी। इस कठिन समय में उनके परिवार और मित्रों के प्रति हमारी गहरी संवेदनाएं हैं।
कुछ समुदायों और फैंस ने निशाद की याद में विशेष सर्विसेज आयोजित करने का निर्णय लिया है, जिसमें उनके योगदानों की चर्चा होगी और उनके परिवार को सम्मानित किया जाएगा। निशाद ने अपने जीवनकाल में जो योगदान दिया, उनका महत्व हमेशा फिल्म इतिहास में अमिट रहेगा। उनका चले जाना उन फिल्मों की अगली पीढ़ी के लिए एक महत्वपूर्ण अनुस्मारक है कि कैसे फिल्म संपादन में कलात्मक दृष्टिकोण और नयापन लाया जा सकता है। यह समय है जब हम उनकी विरासत को संजोएं और उनके योगदानों को सराहें।