ऑनलाइन लेन-देन पर GST लगाने का मामला फिटमेंट कमेटी को सौंपा
54वीं GST काउंसिल मीटिंग, जो कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में आयोजित हुई, में 2,000 रुपये से कम के ऑनलाइन लेन-देन पर 18% GST लगाने पर कोई अंतिम निर्णय नहीं हो पाया। उत्तराखंड के वित्त मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल ने स्पष्ट किया कि इस मुद्दे को आगे की चर्चा के लिए फिटमेंट कमेटी को भेजा गया है। यह समिति केंद्रीय और राज्य राजस्व अधिकारियों से मिलकर बनी है, जो इस प्रस्ताव की विस्तृत जांच करेगी।
फिलहाल 2,000 रुपये तक के लेन-देन पर GST छूट
वर्तमान में, 2,000 रुपये तक के डिजिटल भुगतान जैसे कि QR कोड, पॉइंट-ऑफ-सेल (POS) मशीनें और नेट बैंकिंग पर GST छूट है। यह छूट 2016 में नोटबंदी के बाद 500 और 1,000 रुपये के नोटों के विमुद्रीकरण के उपरांत प्रस्तुत की गई थी। इस छूट का मुख्य उद्देश्य डिजिटल भुगतान को बढ़ावा देना था।
पेमेंट एग्रिगेटर्स पर GST लगाने का प्रस्ताव
पेमेंट एग्रिगेटर्स, जो कार्ड ट्रांजेक्शन में मध्यस्थ की भूमिका निभाते हैं, उन पर GST लगाने का प्रस्ताव विचाराधीन है। यदि यह प्रस्ताव मंजूर होता है, तो पेमेंट एग्रिगेटर्स GST के दायरे में आ सकते हैं, जिससे उन्हें अतिरिक्त वित्तीय बोझ उठाना पड़ सकता है। इससे व्यापारियों और छोटे उद्यमियों में चिंताएं उत्पन्न हो गई हैं, क्योंकि ऐसा माना जा रहा है कि यह अतिरिक्त लागत वे आगे उपभोक्ताओं पर डाल सकते हैं।
दिल्ली के वित्त मंत्री की प्रतिक्रिया
दिल्ली की वित्त मंत्री आतिशी ने केंद्र के इस प्रस्ताव का विरोध जताया है। उनका कहना है कि इससे स्टार्टअप्स पर अतिरिक्त बोझ पड़ेगा, जो कि पहले से ही विभिन्न प्रकार की वित्तीय चुनौतियों का सामना कर रहे हैं। सरकार की यह कोशिश होनी चाहिए कि वह स्टार्टअप्स को फैलने में सहायता करे, न कि उन्हें बंधनों में जकड़े।
धार्मिक यात्राओं पर GST में कटौती
GST काउंसिल ने धार्मिक यात्राओं पर GST दर को 18% से घटाकर 5% कर दिया है। ये कटौती हेलीकाॅप्टर से यात्रा करने वाले तीर्थयात्रियों के लिए है। इस कदम का उद्देश्य धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देना और इसे सस्ती बनाना है। इसके साथ ही, खोज और विकास क्षेत्र (Research and Development Sector) पर GST के मुद्दे को भी फिटमेंट कमेटी को भेज दिया गया है।
बीमा प्रीमियम पर तत्काल निर्णय नहीं
बीमा प्रीमियम पर GST लागू करने के संबंध में काउंसिल ने फिलहाल कोई निर्णय नहीं लिया है। इसे आगामी बैठकों में पुनः समीक्षा की जाएगी। इसके अलावा, ऑनलाइन गेमिंग क्षेत्र, जो कि 1 अक्टूबर, 2023 से 28% GST के अधीन है, पर भी तत्काल कोई बदलाव नहीं किए गए हैं।
फिटमेंट कमेटी की भूमिका
फिटमेंट कमेटी GST काउंसिल की एक महत्वपूर्ण इकाई है, जिसका काम विभिन्न प्रस्तावों की समीक्षा करके अपनी सिफारिशें काउंसिल को देना होता है। इस कमेटी में केंद्र और राज्य दोनों के राजस्व अधिकारी शामिल होते हैं, जो प्रस्तावित बदलावों का गहन विश्लेषण करते हैं। उम्मीद है कि कमेटी जल्द ही अपने निष्कर्षों पर पहुंच जाएगी और काउंसिल को इस मामले में उचित मार्गदर्शन देगी।
व्यापारियों और उद्यमियों की चिंताएं
पेमेंट एग्रिगेटर्स पर GST लागू करने के प्रस्ताव ने व्यापारियों और छोटे उद्यमियों के बीच खलबली मचा दी है। यदि यह प्रस्ताव पारित होता है, तो हो सकता है कि पेमेंट एग्रिगेटर्स यह अतिरिक्त लागत व्यापारियों पर डाल दें, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है। छोटे व्यापारियों और स्टार्टअप्स का मानना है कि ऐसे कदमों से उनके संचालन में बाधाएं आ सकती हैं और उनकी विकास दर पर नकारात्मक असर पड़ सकता है।

नोटबंदी के बाद डिजिटल लेन-देन में बढ़ोतरी
नोटबंदी के दौरान 500 और 1,000 रुपये के नोटों के विमुद्रीकरण के बाद डिजिटल लेन-देन को बढ़ावा देने के लिए सरकार द्वारा विभिन्न छूटें और प्रमोशन दी गई थीं। इस दौरान डिजिटल भुगतान को प्रोत्साहित करने के लिए अनेक कदम उठाए गए थे, जिनमें छोटे लेन-देन पर GST छूट शामिल थी।
उम्मीद की जा रही है कि फिटमेंट कमेटी जल्द से जल्द इस प्रस्ताव पर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करेगी और काउंसिल को उचित सलाह देगी। इस बीच, व्यापारियों और छोटे उद्यमियों की चिंताओं को भी ध्यान में रखकर इस मामले का निपटारा करने की आवश्यकता होगी।
Arun 3D Creators
सितंबर 9, 2024 AT 18:13भारी टैक्स का बोझ, छोटे खर्चों को दबा देगा।
RAVINDRA HARBALA
सितंबर 14, 2024 AT 20:26ऑनलाइन लेन‑देनों पर 2,000 रुपये तक GST लागू करने का प्रस्ताव आर्थिक दृष्टिकोण से तुच्छ नहीं है। इससे भुगतान एजेंटों की मार्जिन घटेगी और उपभोक्ता कीमतों में वृद्धि देखेगा। केंद्र और राज्य दोनों को इस नीति के दीर्घकालिक प्रभाव का आंकलन करना चाहिए। वर्तमान में छूट का उद्देश्य डिजिटल साझेदारी को बढ़ावा देना था, अब यह धारा उलट दिशा में जा सकती है।
Vipul Kumar
सितंबर 19, 2024 AT 22:40फिटमेंट कमेटी को केस सौंपना एक समझदारी भरा कदम है। यह समिति विभिन्न स्तरों के राजस्व अधिकारियों को जोड़ती है, जिससे व्यापक विश्लेषण संभव हो सकेगा। छोटे व्यापारियों की चिंता को देखते हुए, ये समिति लागत‑प्रभावशीलता का मूल्यांकन करेगी। यदि पेमेंट एग्रीगेटर्स पर GST लागू किया गया तो वह छूट के उद्देश्य को धूमिल कर देगा। इसलिए यह जरूरी है कि प्रस्ताव को लागू करने से पहले आर्थिक मॉडल का परीक्षण किया जाए। अंत में, निर्णय की पारदर्शिता ही जनता का भरोसा बनाए रखेगी।
Priyanka Ambardar
सितंबर 25, 2024 AT 00:53देश के डिजिटल विकास को रोकना अस्वीकार्य है 💥 GST का बोझ छोटे व्यवसायों को दबा देगा और स्टार्ट‑अप की पनपने की क्षमता को घटा देगा 🚫 सरकार को इस दिशा में सावधान रहना चाहिए!
sujaya selalu jaya
सितंबर 30, 2024 AT 03:06आपकी बात में सच है सरकार को सोच‑समझ कर कदम उठाना चाहिए।
Ranveer Tyagi
अक्तूबर 5, 2024 AT 05:20देखिए! यदि हम 2,000 रुपये तक के लेन‑देनों पर 18% GST लागू कर देंगे, तो… पहले तो छोटे व्यापारी तुरंत ही नुकसान में पड़ जाएंगे; दूसरा, भुगतान एग्रीगेटर्स को अतिरिक्त शुल्क उठाना पड़ेगा, जिससे उनका संचालन महँगा हो जायेगा। यह न केवल डिजिटल लेन‑देनों की प्रगति को रोकता है-बल्कि अर्थव्यवस्था के डिजिटल ट्रांसफ़ॉर्मेशन को भी पीछे धकेलता है! इसलिए, फिटमेंट कमेटी को इस प्रस्ताव पर गहन विश्लेषण करना आवश्यक है; अन्यथा, हम अनजाने में आर्थिक बोझ को आम लोगों की जेब में डाल देंगे।
Tejas Srivastava
अक्तूबर 10, 2024 AT 07:33ऑनलाइन लेन‑देनों पर GST का सवाल नहीं, यह एक बड़ा ज्वालामुखी है!!! अगर सही से संभाल नहीं गया तो छोटे‑छोटे व्यवसायों की धड़कन थम जाएगी; यही नहीं, हमारे डिजिटल इको‑सिस्टम को भी चोट पहुँचेगी!!!
JAYESH DHUMAK
अक्तूबर 15, 2024 AT 09:46फिटमेंट कमेटी को इस मुद्दे की जटिलताओं को समझने का अवसर मिल रहा है। 2,000 रुपये तक के डिजिटल पेमेंट पर वर्तमान में 18% GST नहीं लगता, बल्कि छूट दी गई है। यह छूट 2016 में नोटबंदी के बाद आर्थिक स्थिरता के लिए लागू की गयी थी। अब जब इस छूट को हटाने की बात उभरी है, तो उसके आर्थिक प्रभावों की गंभीर समीक्षा आवश्यक है। छोटे उद्यमियों के लिए 18% टैक्स का बोझ उनके मार्जिन को काफी घटा देगा। इसके साथ ही, उपभोक्ताओं को भी अतिरिक्त खर्च उठाना पड़ेगा, जिससे डिजिटल भुगतान की अपनाने की गति धीमी हो सकती है। भुगतान एग्रीगेटर्स पर GST लागू करने से उनके संचालन लागत में बढ़ोतरी होगी, और वे यह बढ़ोतरी अपनी फीस में शामिल कर सकते हैं। यह स्थिति अंततः छोटे व्यापारी और अंतिम उपभोक्ता दोनों के लिए हानिकारक सिद्ध होगी। दूसरी ओर, यदि सरकार इस GST को सामूहिक रूप से लागू करे, तो राजस्व में वृद्धि हो सकती है, परन्तु सामाजिक लागत को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। फिटमेंट कमेटी को राज्य‑स्तर के राजस्व आंकड़ों के साथ-साथ डिजिटल लेन‑देनों का वार्षिक वृद्धि दर भी देखनी चाहिए। इस प्रक्रिया में विभिन्न हितधारकों-बैंक, फिनटेक कंपनियां, व्यापारी गठबंधन-की राय को शामिल करना अनिवार्य है। केवल आंकड़ों के आधार पर निर्णय लेना पर्याप्त नहीं होगा; नीति निर्माताओं को सामाजिक प्रभाव का भी मूल्यांकन करना चाहिए। यदि उचित वैकल्पिक उपाय, जैसे टैक्स क्रेडिट या रिवर्स चार्ज मैकेनिज़्म, उपलब्ध कराया जाये तो अनावश्यक बोझ कम हो सकता है। अंत में, यह ध्यान रखना आवश्यक है कि डिजिटल अर्थव्यवस्था के विकास में टैक्स नीति का सावधानीपूर्वक संतुलन चाहिए। फिटमेंट कमेटी को समय सीमा के भीतर विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत करनी चाहिए, ताकि काउंसिल को उचित मार्गदर्शन दिया जा सके। तभी हम एक ऐसा समाधान पा सकेंगे जो राजस्व, डिजिटल अपनाने और छोटे व्यवसायों की हितों को संतुलित रखेगा।
Santosh Sharma
अक्तूबर 20, 2024 AT 12:00आशा है कि समिति शीघ्र ही संतुलित समाधान निकलेगी।
yatharth chandrakar
अक्तूबर 25, 2024 AT 14:13समिति को आर्थिक मॉडल के साथ सामाजिक प्रभाव का तुलनात्मक विश्लेषण भी प्रस्तुत करना चाहिए।
Vrushali Prabhu
अक्तूबर 30, 2024 AT 16:26यार ऐसाआ पहल तो ब़हुत अची है पर बेचैन हो जा रहै इज़ी मोड़ की! 😂
parlan caem
नवंबर 4, 2024 AT 18:40सरकार की अंधी नीति से छोटे व्यापारी हर बार मारख़ाए जाएंगे, असह्य बकवास।
Mayur Karanjkar
नवंबर 9, 2024 AT 20:53GST की नीति, संरचनात्मक वित्तीय फ्रेमवर्क के अंतर्गत पुन: मूल्यांकन आवश्यक है।
Sara Khan M
नवंबर 14, 2024 AT 23:06हर बार नई टैक्स, थक गया हूँ 🥱
shubham ingale
नवंबर 20, 2024 AT 01:20चलो, मिलके समाधान ढूँढेंगे 😊
Ajay Ram
नवंबर 25, 2024 AT 03:33फिटमेंट कमेटी के पास इस प्रस्ताव का गहरा विश्लेषण करने का अवसर है। पहले बात यह है कि छोटे व्यवसायों की नकदी प्रवाह पर अतिरिक्त टैक्स का क्या असर पड़ेगा। दूसरा, डिजिटल लेन‑देनों को प्रोत्साहित करने वाली मौजूदा छूट को हटाने से उपयोगकर्ता व्यवहार में परिवर्तन आ सकता है। तृतीय, भुगतान एग्रीगेटर्स की लागत वृद्धि को कैसे संतुलित किया जायेगा, इसका स्पष्ट मापदंड तय करना आवश्यक है। चतुर्थ, राज्य‑स्तर के राजस्व में संभावित वृद्धि को सामाजिक खर्च के साथ तुलना करनी होगी। पंचम, यह भी देखना होगा कि क्या वैकल्पिक उपाय, जैसेकर रिवर्स चार्ज या टियरड टैक्स, अधिक न्यायसंगत हो सकते हैं। अंत में, नीति निर्माताओं को सभी हितधारकों से फीडबैक लेकर संतुलित निर्णय लेना चाहिए।
Dr Nimit Shah
नवंबर 30, 2024 AT 05:46देश की आर्थिक आत्मनिर्भरता के लिए टैक्स संरचना को सुदृढ़ बनाना आवश्यक है, लेकिन साथ ही नवाचार को भी समर्थन देना चाहिए।
Ketan Shah
दिसंबर 5, 2024 AT 08:00आपकी बात में सही है, परन्तु नीतियों को लागू करने से पहले व्यापक परामर्श आवश्यक है; तभी वास्तविक लाभ सभी के साथ साझा हो पाएगा।