केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने NEET-UG पेपर लीक मामले में और गहराई तक पहुंचते हुए मास्टरमाइंड सशिकांत पासवान और दो MBBS छात्रों कुमार मंगलम बिश्नोई और दीपेंद्र शर्मा को गिरफ्तार किया है। यह गिरफ्तारी एजेंसी के उन प्रयासों का हिस्सा है जिसमें वे पेपर लीक घोटाले के जाल को सुलझाने की कोशिश कर रही है।
मास्टरमाइंड सशिकांत पासवान की पहचान एक बी.टेक स्नातक के रूप में हुई है जो नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, जमशेदपुर से पास आउट हैं। उनकी तकनीकी दक्षता और नेटवर्किंग क्षमताओं ने उन्हें इस गहरे षड्यंत्र का केंद्र बिंदु बना दिया। सशिकांत ने एक जटिल नेटवर्क विकसित किया जो NEET-UG परीक्षा के प्रश्नपत्रों को लीक करने का काम करता था।
कुमार मंगलम बिश्नोई और दीपेंद्र शर्मा, जो भरतपुर, राजस्थान के एक मेडिकल स्कूल के छात्र हैं, ने भी इस गिरोह में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। जबकि कुमार दूसरी वर्ष के छात्र हैं, दीपेंद्र पहली वर्ष के छात्र हैं। दोनों को 5 मई को हजारीबाग में देखा गया था, जिस दिन NEET-UG की परीक्षा आयोजित की गई थी।
अनुसंधानकर्ताओं का कहना है कि दोनों छात्र हजारीबाग में मौजूद प्रश्नपत्र को हल करने वाले के रूप में कार्य कर रहे थे। इनके पास यह जिम्मेदारी थी कि वे लीक हुए प्रश्नपत्रों को हल करें और उन्हें परीक्षा देने वाले उम्मीदवारों तक समय से पहुंचाएं।
इस पेपर लीक मामले में अब तक 21 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है। सीबीआई ने कुल छह मामलों में प्राथमिकी दर्ज की है और अग्रिम जांच जारी है। यह गिरफ्तारी केवल इस मामले में नहीं बल्कि पूर्व में भी विभिन्न परीक्षा घोटालों में शामिल लोगों की पकड़ को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम हैं।
CBI ने बताया कि यह एक संगठित गिरोह था जिसने परीक्षा के दौरान पेपर को लीक किया। पेपर लीक की प्रक्रिया बहुत ही सावधानीपूर्वक और योजनाबद्ध तरीके से की गई थी। इस गिरोह के सदस्यों ने प्रश्नपत्रों को स्कैन करके डिजिटल माध्यमों के जरिए दूसरों तक पहुंचाया।
इस तरह के घोटालों का प्रभाव छात्रों की शिक्षा और उनके कैरियर पर भी नकारात्मक प्रभाव डालता है। युवा और प्रतिभाशाली छात्रों की मेहनत और समर्पण को ठेस पहुंचता है। इस पेपर लीक के कारण वाजिब और मेहनती छात्रों को भी शंका और संदेह की नजर से देखा जाता है।
सीबीआई की इस जांच में अब और भी कड़ियाँ जुड़ती जा रही हैं। आने वाले दिनों में और भी गिरफ्तारियां हो सकती हैं और इसमे शामिल लोगों की सूची लंबी हो सकती है। इसके साथ ही प्रशासन और सरकार की तरफ से इस तरह के घोटालों की पुनरावृत्ति को रोकने के लिए कदम उठाए जाने की आवश्यकता है।
इस तरह के मामलों से बचने के लिए सरकारी नीतियों और कानूनों में सख्ती लाई जानी चाहिए। परीक्षा के संचालन में पारदर्शिता और सुरक्षा की प्रबलता होनी चाहिए ताकि भविष्य में इस तरह के मामले सामने न आ सकें।
इस पेपर लीक ने शिक्षा प्रणाली पर एक गंभीर प्रश्नचिन्ह लगा दिया है। हालांकि सीबीआई की त्वरित कार्रवाई से उम्मीद है कि इस मामले का संपूर्ण विवेचन होगा और दोषियों को उनके अंजाम तक पहुंचाया जाएगा।