जब सिद्दरमैया, मुख्य मंत्री कर्नाटक सरकार ने 8 अक्टूबर से 18 अक्टूबर तक सभी सरकारी और सहयोगी स्कूलों को बंद करने की घोषणा की, तो पूरे राज्य में एक बड़ी चर्चा छा गई। यह कदम राज्यव्यापी जाति सर्वेक्षणकर्नाटक की समय सीमा को 12 दिन बढ़ाने के लिए लिया गया था। मुख्य उद्देश्य शिक्षक बल को सर्वेक्षण के अंतिम चरण में मुक्त करना, ताकि जाति सर्वेक्षण को ठीक‑ठाक पूरा किया जा सके।
पृष्ठभूमि और सर्वेक्षण का उद्देश्य
सितंबर 22, 2025 को शुरू हुए इस सर्वेक्षण का संचालन कर्नाटक स्टेट कमीशन फ़ॉर बैकवर्ड क्लासेज़ द्वारा किया जा रहा है। उनकी योजना 1.43 करोड़ (14.3 मिलियन) घरों में रहने वाले 4.32 करोड़ (43.2 मिलियन) लोगों की सामाजिक‑आर्थिक और शैक्षिक स्थिति एकत्रित करने की थी। सरकार का मानना है कि इन आंकड़ों के आधार पर पिछड़ी वर्गों के लिए नई नीतियाँ बनायीँ जा सकती हैं।
विस्तारित स्कूल अवकाश का कारण
सर्वेक्षण को मूल रूप से 7 अक्टूबर, 2025 तक पूरा करने का लक्ष्य था, परन्तु कई जिलों में काम अधूरा रह गया। कर्नाटक में 2025‑10‑06 को लगभग 80.39% घरों से डेटा संग्रहित हो चुका था, जिसका अर्थ है 1.10 करोड़ घर। जबकि कन्नड़ जिला (डाक्खिन कन्नड़) में सिर्फ 63% और उडुपी में 60‑63% काम पूरा हुआ, वहीं कोप्पल में 97% प्रगति दर्ज की गई। इस असमानता को देखते हुए मुख्यमंत्री ने स्कूलों को 10 दिन का अतिरिक्त अवकाश दिया, जिससे शिक्षक सर्वेक्षण में पूरी तरह से भाग ले सकें।
सर्वेक्षण की प्रगति और चुनौतियां
कुल 1.2 लाख (120,000) शिक्षक और 60,000 अन्य अधिकारियों को टीमों में बाँटा गया था। बेंगलुरु में विशेष रूप से धीमी गति देखी गई; 4 अक्टूबर, 2025 को शहर में केवल 2.6 लाख घरों (लगभग 6.5%) का डेटा एकत्र हो पाया, जबकि लक्ष्य 39.82 लाख घर था। तकनीकी गड़बड़ी, इंटरनेट कनेक्शन की कमी और डेटा एंट्री के प्रारम्भिक मुद्दों ने शुरुआती दिन में गति को बाधित किया। मुख्यमंत्री ने बताया कि अब सभी तकनीकी समस्याएँ हल हो गई हैं और सर्वेक्षण पूरी तंदुरुस्ती से चल रहा है।

राजनीतिक और सामाजिक प्रतिक्रियाएँ
इस कदम को लेकर विभिन्न वर्गों की आवाज़ें सुनाई गईं। कर्नाटक स्टेट प्राइमरी स्कूल्स टीचर्स' एसोसिएशन ने पहले ही एक ज्ञापन में अतिरिक्त दिनों की मांग की थी, जिससे सरकार को इस विस्तार का समर्थन मिला। दूसरी ओर, दो वर्षीया प्री‑यूनिवर्सिटी (II PUC) की परीक्षा का कार्यभार संभाल रहे शिक्षक इस अवधि में सर्वेक्षण से मुक्त रहे, जिससे छात्रों के परीक्षा‑संबंधी पढ़ाई पर कोई असर नहीं पड़ा। उप उपमुख्य मंत्री डी.के. शिवाकुमार ने कहा कि डेटा की शुद्धता ही प्राथमिकता है और दीवाली से पहले सर्वेक्षण को पूरा करने का निर्देश बेंगलुरु अधिकारियों को दिया गया है।
आगे का रास्ता और संभावित प्रभाव
सर्वेक्षण के अंत में एक व्यापक रिपोर्ट तैयार की जाएगी, जिसमें प्रत्येक वर्ग, जाति और क्षेत्र के आर्थिक‑सामाजिक संकेतकों का विश्लेषण होगा। विशेषज्ञों का मानना है कि ये आंकड़े जलवायु‑सहायता, शिक्षा‑सुविधा और बीजी बिंदु‑सुधार कार्यक्रमों के लिये रणनीतिक दिशा‑निर्देश बनेंगे। यदि डेटा सटीक और समयपर प्राप्त हो जाता है, तो आगामी बजट में पिछड़े वर्गों के लिए विशेष आरक्षण और ओजोन‑सामाजिक योजनाएँ जोड़ने की संभावना बढ़ेगी।
- सर्वेक्षण की प्रारम्भिक तिथि: 2025‑09‑22
- विस्तारित स्कूल अवकाश: 2025‑10‑08 से 2025‑10‑18
- लक्षित घरों की संख्या: 1.43 करोड़
- अब तक एकत्रित डेटा: 1.10 करोड़ घर (80.39%)
- मुख्य जिम्मेदार विभाग: कर्नाटक स्टेट कमीशन फ़ॉर बैकवर्ड क्लासेज़
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
स्कूल बंद होने से छात्रों की पढ़ाई पर क्या असर पड़ेगा?
सिर्फ सरकारी और सहयोगी स्कूलों में छुट्टी है; निजी स्कूलों पर कोई असर नहीं पड़ेगा। II PUC परीक्षा वाले छात्रों के लिये शिक्षकों को सर्वेक्षण से मुक्त किया गया है, इसलिए परीक्षा‑प्रक्रिया सामान्य बनी रहेगी।
क्लासरूम बंद होने के दौरान शिक्षक क्या करेंगे?
शिक्षक अब पूर्णकालिक सर्वेक्षण टीम में शामिल होंगे और गुरतुर गाँव‑घर जाकर डेटा एकत्र करेंगे। इस अवधि में वे तकनीकी उपकरणों का उपयोग करके डिजिटल फॉर्म भरेंगे, जिससे भविष्य में नीति‑निर्धारण में मदद मिलेगी।
सर्वेक्षण में क्यों देर हो रही है?
मुख्य कारण तकनीकी गड़बड़ी और ग्रामीण क्षेत्रों में इंटरनेट कनेक्शन की कमी थी। बेंगलुरु जैसे शहरी क्षेत्रों में भी प्रारम्भिक डेटा एंट्री में बाधाएँ आईं, इसलिए मार्च के अंत तक लक्ष्य को पूरा करने के लिये अतिरिक्त समय आवश्यक हो गया।
डेटा का उपयोग किस लिए किया जाएगा?
एकत्रित आँकड़े सामाजिक‑आर्थिक एवं शैक्षिक नीतियों को सुदृढ़ करने, पिछड़े वर्गों के लिये अधिक आरक्षण प्रदान करने और ग्रामीण विकास योजनाओं को त्वरित करने में उपयोग होंगे। अंततः यह राज्य के बजट और विकास कार्यक्रमों में बदलाव लाने की नींव रखेगा।
आगामी सर्वेक्षण की अंतिम तिथि कब है?
सरकारी सूत्रों के अनुसार सर्वेक्षण की अंतिम तारीख 18 या 19 अक्टूबर, 2025 तय की गई है। इस समयसीमा को पूरा करने के लिये सभी जिलों को तीव्र गति से काम जारी रखने का निर्देश दिया गया है।
Gursharn Bhatti
अक्तूबर 14, 2025 AT 00:06जाति सर्वेक्षण को देर तक खींचना एक राजनीतिक खेल जैसा लगता है।
सरकार ने विद्यालयों को बंद कर शिक्षकों को सर्वेक्षण में टांग दिया, जैसा कि हमने इतिहास में देखी गयी कई रणनीतियों में देखा है।
क्या वास्तव में डेटा की शुद्धता ही प्राथमिकता है, या यह एक धुंधला बहाना है ताकि वोटर बेस को नियंत्रण में रखा जा सके?
यदि सर्वेक्षण के आंकड़े सही मायनों में सामाजिक-आर्थिक असमानताओं को उजागर करेंगे, तो यह संभवतः भविष्य की नीतियों में बड़ा बदलाव लाएगा।
लेकिन इस बीच, छात्रों की पढ़ाई में रुकावट नहीं होनी चाहिए, क्योंकि शिक्षा का मौन भ्रष्टाचार को बढ़ावा देता है।
शिक्षक वर्ग को टीम में बदलना एक नई प्रयोगधारा है, पर क्या उनके पास आवश्यक प्रशिक्षण और उपकरण मौजूद हैं?
बेंगलूरु में तकनीकी गड़बड़ी की बात अक्सर सुनी जाती है, जिससे डेटा एंट्री में देरी होती है।
ग्रामीण क्षेत्रों में इंटरनेट की कमी की वजह से यह समस्या और भी बढ़ जाती है, और वह भी वही जगह जहाँ डेटा सबसे ज़रूरी है।
सरकार का कहना है कि अब सब ठीक हो गया है, पर वास्तविक स्थिति अक्सर सरकारी बयानों से अलग रहती है।
अगर सर्वेक्षण का लक्ष्य वास्तव में सामाजिक न्याय को बढ़ाना है, तो इसे पारदर्शी और सार्वजनिक रूप से देखा जाना चाहिए।
यह कदम कहीं न कहीं एक बड़े राजनीतिक समीकरण का हिस्सा हो सकता है, जहाँ मतदान पैटर्न को समझने की कोशिश की जा रही है।
ऐसे समय में नागरिकों को अपने अधिकारों के प्रति सजग रहना चाहिए और पूछताछ करनी चाहिए।
जिन स्कूलों को बंद किया गया है, उनके छात्रों को वैकल्पिक शैक्षणिक संसाधन मिलना चाहिए, जैसे ऑनलाइन क्लासेज़ या थर्ड पार्टनर शैक्षिक सामग्री।
सर्वेक्षण की सफलता निर्भर करेगी डेटा एकत्रण की गति, सटीकता और समय पर प्रसंस्करण पर।
आखिरकार, अगर यह डेटा भविष्य की नीतियों में सही उपयोग नहीं हुआ, तो यह सिर्फ एक बड़े खर्च वाला प्रयोग बना रहेगा।