हाल ही में झारखंड राज्य के बरबाम्बो स्टेशन के नजदीक हावड़ा-मुंबई मेल की दुर्घटना में दो लोगों की जान चली गई और 20 से अधिक यात्री घायल हो गए। इस दर्दनाक दुर्घटना ने एक बार फिर से भारतीय रेलवे की सुरक्षा व्यवस्थाओं पर सवाल खड़े कर दिए हैं। यह घटना केवल एक अलग से दुर्घटना नहीं है, बल्कि पिछले छह हफ्तों में हुई हृदयविदारक श्रृंखला का हिस्सा है।
इस दुर्घटना से पहले भी कई भयानक घटनाएँ घट चुकी हैं। 17 जून को कचंनजंगा एक्सप्रेस के पटरी से उतरने के कारण 11 लोगों की जान चली गई और 60 से अधिक लोग घायल हो गए। वहीं, 18 जुलाई को उत्तर प्रदेश के गोंडा रेलवे स्टेशन के नजदीक एक और ट्रेन पटरी से उतर गई, जिसमें चार लोगों की मृत्यु हो गई और 35 से अधिक घायल हो गए। इन घटनाओं ने भारतीय रेल यात्रियों को एक बार फिर से सुरक्षा को लेकर चिंतित कर दिया है। भारतीय रेलवे में सुरक्षा की बात करें तो यह पूरी प्रणाली पर कई सवाल खड़े कर रही हैं।
इन घटनाओं के पीछे सबसे बड़ी वजह संकेत प्रणाली और पटरियों की सुरक्षा में कमी को बताया जा रहा है। भारतीय रेलवे ने इस वित्तीय वर्ष में रेलवे के लिए 2.52 लाख करोड़ रुपये का आवंटन किया है, लेकिन इसके बावजूद सुरक्षा में सुधार की गति बहुत धीमी दिख रही है। रेलवे सुरक्षा को बढ़ाने के लिए शुरू किए गए कावच प्रणाली के तहत 69,000 किमी के रेलवे नेटवर्क पर केवल 1,445 किमी पर ही यह प्रणाली लागू हो पाई है। जबकि इसके लिए 1,112.57 करोड़ रुपये का बजट आवंटित किया गया है।
कावच प्रणाली भारतीय रेलवे की सिग्नलिंग और ट्रेन संचालन में एक महत्वपूर्ण कदम है। यह प्रणाली ट्रेन को ऑटोमैटिक ब्रेकिंग और अलर्ट देने की सुविधा प्रदान करती है, जिससे दुर्घटनाओं की संभावना काफी कम हो जाती है। परंतु इसके सीमित अनुप्रयोग के कारण इसका प्रभाव उतना व्यापक नहीं हो पाया है।
भारतीय रेलवे अधिकारियों का कहना है कि सुरक्षा के लिए विभिन्न योजनाएँ चलाई जा रही हैं और जल्द ही सभी प्रमुख मार्गों पर कावच प्रणाली को लागू कर दिया जाएगा। इसके साथ ही नई प्रणालियाँ और उपकरण भी लाए जा रहे हैं जिससे भविष्य में इस तरह की दुर्घटनाओं को रोका जा सके।
भारत के नागरिक अब सरकार और रेलवे प्रशासन से यह उम्मीद कर रहे हैं कि वे रेलवे सुरक्षा पर गंभीरता से विचार करें और आवश्यक मात्रा में संसाधन और बजट का सही उपयोग करें, ताकि भविष्य में होने वाली दुर्घटनाओं को टाला जा सके। यह आवश्यक है कि रेलवे बोर्ड तेजी से कार्यवाही करे और मजबूत कदम उठाए।
यात्रियों की सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए कुछ ठोस उपाय किए जाने चाहिए। इनमे से प्रमुख कदमों में से एक है सभी प्रमुख रेलवे मार्गों पर कावच प्रणाली का व्यापक विस्तार और उपलब्ध कराना। साथ ही, पटरियों की नियमित निगरानी और निरीक्षण करना चाहिए ताकि कोई तकनीकी खामी सामने आते ही उसे तुरंत ठीक किया जा सके। इसके अलावा, संकेत प्रणाली को आधुनिक तकनीक के साथ उन्नत किया जाना चाहिए ताकि ट्रेन चालकों को समय पर सही जानकारी मिल सके।
हम सभी आम नागरिक के तौर पर भी इस दिशा में अपना योगदान दे सकते हैं। रेल यात्रा करते समय अनुशासन बनाए रखना और किसी भी असामान्य गतिविधि की सूचना तुरंत रेलवे अधिकारियों को देना आवश्यक है। रेलवे सुरक्षा के प्रति जागरूकता फैलाना और दूसरों को भी इसके प्रति संवेदनशील बनाना हमारी जिम्मेदारी है।
रेलवे सुरक्षा की चिंता आज के समय की एक विकट समस्या है, और इसे तेजी से सुलझाना आवश्यक है। हाल की दुर्घटनाओं ने हमें इस बात का एहसास करवाया है कि भारतीय रेल की सुरक्षा व्यवस्था में सुधार की बहुप्रतीक्षित जरूरत है। सरकार, रेलवे अधिकारियों और आम जनता सभी को मिलकर इस दिशा में कार्य करना होगा ताकि हमारे रेल यात्री सुरक्षित और निश्चिंत यात्रा कर सकें।