ई-कॉमर्स पर पीयूष गोयल का रुख
केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने हाल ही में हुए एक उद्योग कार्यक्रम में अपने विचार स्पष्ट किए हैं। उन्होंने कहा कि सरकार किसी भी तरह से ई-कॉमर्स के खिलाफ नहीं है, लेकिन वह व्यापार की दुनिया में निष्पक्षता और ईमानदारी की सख्त आवश्यकता महसूस करती है।
गोयल ने यह बयान उस वक्त दिया जब उन्होंने अमेजन पर अनुचित मूल्य निर्धारण का आरोप लगाया था। मुंबई में आयोजित इस कार्यक्रम में, गोयल ने इस बात पर जोर दिया कि प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) और प्रौद्योगिकी का स्वागत किया जाना चाहिए, क्योंकि इससे उपभोक्ताओं को सुविधा और तेजी से सेवा मिलती है। लेकिन उन्होंने यह भी बताया कि ई-कॉमर्स के तेज विकास से पारंपरिक रिटेल व्यवसायों में रोजगार की संभावनाओं पर खतरा मंडरा सकता है।
छोटे व्यापारियों पर असर
गोयल ने बताया कि प्रमुख ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म, विशेषकर अमेजन, उच्च मार्जिन वाले उत्पादों को रियायती दरों पर बेचकर छोटे रिटेलरों की बाजार हिस्सेदारी पर कब्जा कर रहे हैं। इसके अलावा, उन्होंने संदेह व्यक्त किया कि बड़े स्तर के निवेश अक्सर नुकसान को ढकने के लिए उपयोग किए जाते हैं, जिससे आर्थिक विकास में बाधा उत्पन्न हो सकती है।
उन्होंने अमेजन के अरबों डॉलर के निवेश का भी उल्लेख किया और कहा कि यह निवेश असल में दिखावे के होते हैं, जोकि बड़े नुकसानों को छुपाने के उद्देश्य से किए जाते हैं। गोयल ने यह भी सवाल उठाया कि क्या ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म्स द्वारा डायरेक्ट-टू-कंज्यूमर बिक्री करना कानून के अनुरूप है या नहीं।
स्थानीय व्यापारों की रक्षा
उन्होंने जोर देकर कहा कि स्थानीय व्यवसायों की सुरक्षा और ई-कॉमर्स क्षेत्र में निष्पक्ष प्रतिस्पर्धा सुनिश्चित करने के लिए नीतियों की आवश्यकता है। भारतीय ई-कॉमर्स क्षेत्र वर्ष दर वर्ष 27% की दर से बढ़ने की उम्मीद है, लेकिन गोयल ने चेतावनी दी कि इस विकास को सावधानीपूर्वक प्रबंधित किया जाना चाहिए ताकि छोटे विक्रेताओं और व्यापक अर्थव्यवस्था पर नकारात्मक प्रभाव न पड़े।
गोयल के इस बयान में एक महत्वपूर्ण संदेश था कि डिजिटल क्षेत्र में तेजी से विकास हो रहा है, लेकिन इसे संतुलित और न्यायसंगत तरीके से प्रबंधित करना आवश्यक है। इससे न केवल उपभोक्ताओं और बड़ी कंपनियों को फायदा होगा, बल्कि समाज के सभी वर्गों को भी समान अवसर मिलेंगे।
निष्पक्ष प्रतिस्पर्धा की आवश्यकता
गोयल ने कहा कि देश में प्रतिस्पर्धा की निष्पक्षता बनाए रखने के लिए कड़े कदम उठाने की आवश्यकता है। बिना वैधता की जांच किए हुए बड़े पैमाने पर डिस्काउंट और अन्य प्रलोभनों के जरिए बाजार में हेराफेरी करना देश की अर्थव्यवस्था को कमजोर बना सकता है।
उनका मानना है कि अगर ई-कॉमर्स कंपनियां कानून का पालन नहीं करती हैं, तो भौतिक रिटेल और छोटे व्यापारियों को भारी नुकसान हो सकता है। इसलिए, उन्होंने नीतिगत फ्रेमवर्क को मजबूत करने की आवश्यकता पर जोर दिया जिससे समान अवसर मिल सके और किसी भी प्रकार की वित्तीय गड़बड़ी पर रोक लगाई जा सके।
अंतर्राष्ट्रीय निवेश और प्रौद्योगिकी
गोयल का कहना था कि वे विदेशी निवेश और नई प्रौद्योगिकियों का स्वागत करते हैं, लेकिन यह भी सुनिश्चित करना चाहते हैं कि यह आर्य जीवनशैली और व्यापार टिकाऊ रहे।
उन्होंने इस पर भी ध्यान दिलाया कि कैसे अंतरराष्ट्रीय कंपनियां अपने भारी निवेश को आधार बनाकर भारतीय बाजार पर कब्जा जमाने की कोशिश कर रही हैं। निवेश के साथ जिम्मेदारी भी आती है और यह सुनिश्चित करना होगा कि इससे स्थानीय व्यवसायों का ह्रास न हो।
कुल मिलाकर, पीयूष गोयल ने उद्योग जगत से निष्पक्ष प्रतिस्पर्धा के लिए कदम उठाने और ई-कॉमर्स कंपनियों द्वारा जिम्मेदार और ईमानदार व्यापार प्रथाओं का पालन करने का आह्वान किया। यह न केवल प्रतिस्पर्धा को उचित बनाएगा बल्कि भारतीय अर्थव्यवस्था को भी स्थिरता प्रदान करेगा। इससे उपभोक्ताओं और छोटे व्यवसायों दोनों को फायदा होगा। स्वच्छ और पारदर्शी व्यापार प्रथाओं के साथ ही भारतीय ई-कॉमर्स उद्योग को मजबूती मिलेगी और यह एक संतुलित तरीके से आगे बढ़ेगा।
shubham ingale
अगस्त 23, 2024 AT 02:49सरकार की ईमानदार नीतियों से छोटे व्यापारी खुश 😊
Ajay Ram
अगस्त 24, 2024 AT 06:35पहला, ई-कॉमर्स का तेज़ विकास हमारे डिजिटल युग की अभिव्यक्ति है।
दूसरा, लेकिन इस प्रगति में स्थानीय छोटे व्यापारियों की आवाज़ को नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता।
तीसरा, नीतियों का संतुलन बनाते समय हमें समग्र आर्थिक प्रभाव को देखना आवश्यक है।
चौथा, बड़े प्लेटफ़ॉर्म द्वारा दी जाने वाली छूट और प्रोमोशन अक्सर छोटे विक्रेताओं को नुकसान पहुँचाते हैं।
पांचवां, इस संदर्भ में प्रतिस्पर्धा की निष्पक्षता सरकारी नियामक संस्थाओं की प्राथमिकता होनी चाहिए।
छठा, विदेशी निवेशकों को आकर्षित करना विकास की दिशा में सकारात्मक कदम है, परन्तु उनका लाभ सभी हितधारकों को समान रूप से मिलना चाहिए।
सातवाँ, डिजिटल इन्फ्रास्ट्रक्चर का विस्तार करने के साथ साथ डिजिटल साक्षरता पर भी बल देना चाहिए।
आठवाँ, छोटे व्यवसायों को ऑनलाइन मंचों पर उपस्थित होने के लिए तकनीकी समर्थन और प्रशिक्षण प्रदान किया जाना चाहिए।
नौवाँ, उपभोक्ता संरक्षण के नियमों को भी सुदृढ़ किया जाना आवश्यक है, जिससे अनुकूल कीमतें और गुणवत्ता सुनिश्चित हो।
दसवाँ, वर्तमान में अमेज़न जैसे दिग्ज़ के निवेश को पारदर्शी जांच के दायरे में लाया जाना चाहिए।
ग्यारहवाँ, यदि इन कंपनियों द्वारा किया गया निवेश वास्तविक विकास के लिए है तो उसे प्रोत्साहित किया जाना चाहिए।
बारहवाँ, लेकिन यदि यह केवल मार्केट शेयर बढ़ाने की चाल है तो नियामक को सख़्त कदम उठाना चाहिए।
तेरहवाँ, निष्पक्ष प्रतिस्पर्धा के बिना बाजार में असंतुलन उत्पन्न होगा जिससे राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था को हानि पहुँचेगी।
चौदहवाँ, इसलिए नीति निर्माण में विभिन्न हितधारकों की राय को एकत्रित कर एक समग्र दृष्टिकोण अपनाना चाहिए।
पंद्रहवाँ, अंत में, हमें यह सुनिश्चित करना है कि डिजिटल बदलाव का लाभ सभी वर्गों तक समान रूप से पहुँचे, तभी स्थायी विकास संभव है।
Dr Nimit Shah
अगस्त 25, 2024 AT 10:22पीयूष गोयल की बातों में कुछ सच्चाई है लेकिन बड़े अमेज़न जैसे दिग्ज़ को अक्सर थोड़ा‑बहुत बचाववादी माना जाता है, जो छोटे व्यापारियों को धक्का दे रहा है।
Ketan Shah
अगस्त 26, 2024 AT 14:09ई-कॉमर्स के उदय से डिजिटल बुनियादी ढांचे में सुधार हुआ है, परन्तु स्थानीय खुदरा व्यापार के संरक्षण के लिए नियामक पहल आवश्यक है।
Aryan Pawar
अगस्त 27, 2024 AT 17:55सरकार की नीतियां अगर संतुलित हों तो छोटे विक्रेता भी डिजिटल मंचों पर तेजी से बढ़ सकते हैं, हम सभी को इस दिशा में सहयोग देना चाहिए।
Shritam Mohanty
अगस्त 28, 2024 AT 21:42देखो, ये सब बयान केवल सतह पर दिखाने के लिए हैं, असली मकसद विदेशी कंपनियों को भारत में पूरी तरह से घुटने टेकना है, हमें इस पर सतर्क रहना चाहिए।
Anuj Panchal
अगस्त 30, 2024 AT 01:29निवेश‑आधारित एंट्री बॅरिअर और प्लेटफ़ॉर्म-ओनली मॉडल के बीच की असामंजस्य को दूर करने हेतु नियामक फ्रेमवर्क को री‑इंजीनियर करने की आवश्यकता है।
Prakashchander Bhatt
अगस्त 31, 2024 AT 05:15बिल्कुल सही कहा, छोटे व्यापारी की खुशहाली से पूरी इकोनॉमी को बल मिलता है 😊
Mala Strahle
सितंबर 1, 2024 AT 09:02आपके विस्तृत बिंदुओं ने इस मुद्दे की जटिलता को उजागर किया है; यह स्पष्ट है कि डिजिटल परिवर्तन को सामाजिक समावेशी ढंग से संचालित करने के लिए कई पहलुओं को संतुलित करना आवश्यक है, जैसे कि उपभोक्ता सुरक्षा, छोटे विक्रेताओं का समर्थन, और विदेशी निवेश की पारदर्शिता, ये सभी मिलकर एक स्वस्थ ईकोसिस्टम बनाते हैं।
shubham garg
सितंबर 2, 2024 AT 12:49सरकार की नई योजना से छोटे स्टोर भी ऑनलाइन बेच पाएँगे, बहुत खुशी हुई।
LEO MOTTA ESCRITOR
सितंबर 3, 2024 AT 16:35यह सच में सर्वांगीण विकास की दिशा में एक सकारात्मक कदम है, चलिए मिलकर इसे सफल बनाते हैं!
Sonia Singh
सितंबर 4, 2024 AT 20:22मैं भी पूरी तरह सहमत हूँ, हमें साथ मिलकर छोटे व्यापारियों को डिजिटल मंचों पर उतारने में मदद करनी चाहिए।